
राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट गहराता जा रहा है. पहले सचिन पायलट का नाम सीएम कैंडिडेट के तौर पर सामने आ रहा था. लेकिन अब सीपी जोशी का नाम भी उछाला गया है. हर पल कुछ नया हो रहा है. कांग्रेस आलाकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था. दोनों राजस्थान पहुंच भी गए थे. विधायकों को मीटिंग के लिए बुलाया भी था, लेकिन तभी खेल हो गया. कांग्रेस विधायकों के एक गुट ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद कल शाम से रात तक सियासी ड्रामा चलता रहा. कभी ऑब्जर्वर से विधायकों के एक-एक करके बात करने की बात सामने आई. तो कभी विधायकों के इससे इनकार की खबरें आई. विधायकों का कहना है था कि पार्टी आलाकमान विधायकों की बात नहीं सुन रहा है. गहलोत गुट के बडे़ नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने साफ कह दिया कि विधायकों की इच्छा है कि सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाया जाए. इसके बाद बखेड़ा खड़ा हो गया. ऑब्जर्वर्स को वापस दिल्ली लौटना पड़ा.
राजस्थान की सियासत में सीपी जोशी नया नाम नहीं है. इससे पहले भी सीपी जोशी का नाम मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर सामने आ चुका है. जब साल 2008 विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीपी जोशी का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर उछला था. लेकिन वो चुनाव हार गए थे और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन एक बार फिर सीपी जोशी का नाम सीएम के तौर पर उछाला जा रहा है. इस बार अशोक गहलोत खेमे से उनका नाम लिया गया है. चलिए जानते हैं कि कौन हैं सीपी जोशी और राजस्थान की सियासत में कितने ताकतवर हैं.
कौन हैं सीपी जोशी-
सीपी जोशी का पूरा नाम चंद्र प्रकाश जोशी है. वो राजस्थान विधानसभा के स्पीकर हैं. अशोक गहलोत के बाद सीपी जोशी राजस्थान कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता है. वो चार बार केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वो राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. इतना ही नहीं, जोशी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सीपी जोशी को राहुल गांधी का करीबी बताया जाता है. साल 2018 में सचिन पायलट की बगावत के वक्त सीपी जोशी ने अशोक गहलोत की सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई थी.
29 साल की उम्र में बने विधायक-
सीपी जोशी का जन्म राजसमंद के कुंवरिया में हुआ था. उनकी सियासत में इंट्री छात्र राजनीति से हुई. जोशी ने उदयपुर के मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी मे छात्र संघ अध्यक्ष बने. साल 1975 में जोशी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के शिक्षक बन गए. साल 1980 में जोशी को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका मिला. सिर्फ 29 साल की उम्र में सीपी जोशी विधायक बन गए. इसके बाद साल 1985 में भी विधायक बने. इसी दौरान अशोक गहलोत भी सियासत में आगे बढ़ रहे थे. गहलोत साल 1980 में पहली बार सांसद बने.
1998 में पहली बार बने मंत्री-
सीपी जोशी को साल 1993 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. लेकिन साल 1998 में जोशी को पार्टी का टिकट मिला और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अशोक गहलोत की मानी गई. अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने और सीपी जोशी को अपनी कैबिनेट में जगह दी. उनको शिक्षा, ग्रामीण विकास एवं रंचायती राज, पेयजल जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए.
सीएम की दावेदारी, लेकिन 1 वोट से हार गए चुनाव-
कांग्रेस पार्टी में सीपी जोशी का कद लगातार बढ़ता गया. साल 2007 में उनको राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. साल 2008 का विधानसभा उनकी अगुवाई में लड़ा जाने लगा. सीपी जोशी को मुख्यमंत्री का दावेदार माना जाने लगा. जोशी को नाथुद्वारा सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया. वोटिंग हुई और जब काउंटिंग हुई तो हैरान करने वाले नतीजे आए. सीपी जोशी सिर्फ एक वोट से चुनाव हार गए और उनका सीएम बनने का सपना अधूरा रह गया. शायद सीपी जोशी की किस्मत में उस वक्त सीएम बनना नहीं लिखा था. नाथद्वारा सीट से सीपी जोशी ने चार बार 1980, 1985, 1998 और 2003 में चुनाव जीता था. लेकिन जब सीएम पद के दावेदार थे तो सिर्फ एक वोट से चुनाव हार गए. इस बारे में सीपी जोशी ने एक बार कहा था कि उनकी पत्नी, बेटी मंदिर जाने की वजह से वोट नहीं डाल पाई थी. इस हार से सीपी जोशी इतने आहत हुए कि उन्होंने हार के ऐलान के एक घंटे बाद ही राजनीति से संन्यास लेने का फैसला कर लिया. हालांकि बाद में वो एक बार फिर सियासत में लौटे और यूपीए सरकार में मंत्री बने.
एक बार फिर मुख्यमंत्री के लिए सीपी जोशी का नाम सामने आया है. इस बार गहलोत गुट की तरफ से उनका नाम उछाला गया है.
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