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Baijnath Aggarwal: गीताप्रेस गोरखपुर को सफर बनाने के लिए लगा दिया पूरा जीवन... जानिए कौन थे बैजनाथ अग्रवाल

समाजसेवी बैजनाथ अग्रवाल करीब 40 वर्षों तक गीताप्रेस गोरखपुर के ट्रस्टी रहें. उन्होंने साल 1950 में सामान्य कर्मचारी की तरह ही गीताप्रेस में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तक एक मंच पर देखा गया.

बैजनाथ अग्रवाल बैजनाथ अग्रवाल

विश्वप्रसिद्ध गीताप्रेस गोरखपुर के ट्रस्टी और समाजसेवी बैजनाथ अग्रवाल का शनिवार (28 अक्टूबर ) का उनके आवास पर 90 साल की आयु में निधन हो गया. उनके बेटे देवी दयाल अग्रवाल ने पिता बैजनाथ अग्रवाल के निधन की जानकारी दी. उनके निधन पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवार को सांत्वना दी. लगभग 40 वर्षों तक गीताप्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ जी का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए हमेशा ही समर्पित रहा. बैजनाथ अग्रवाल के गीताप्रेस के साथ रहे सफर के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं...

हरियाणा के भिवानी में हुआ था जन्म

बैजनाथ अग्रवाल का जन्म सन 1933 में हरियाणा के भिवानी में हुआ था. महज 17 साल की आयु में 1950 में गीता प्रेस के एकसामान्य कर्मचारी के तौर पर अपने कार्य की शुरुआत की थी. धर्म के प्रति आगाध आस्था और संस्कृति को बढ़ावा देने की उनकी ललक को देखते हुए 1983 में उन्हें गीता प्रेस का ट्रस्टी बनाया गया. तब से लेकर 90 वर्ष की उम्र तक उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां का बखूबी निर्वहन किया है. इस दौरान गीताप्रेस में प्रकाशित पुस्तकों से लेकर नई-नई तकनीकियों के इस्तेमाल किया.  विभिन्न भाषाओं में पुस्तकों के प्रकाशन के संदर्भ में लिए गए उनके कई निर्णयों ने गीताप्रेस को विश्वप्रसिद्ध बना दिया.

70 सालों तक दी गीताप्रेस के लिए अपनी सेवाएं

गीता प्रेस के मैनेजर लालमणि तिवारी कहते हैं कि बैजनाथ अग्रवाल जी ने अपने जीवन के 70 वर्ष से ज्यादा का समय गीता प्रेस और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया. इस दौरान वह पूरी तरह गीता प्रेस के एक सच्चे कर्मचारी और ट्रस्टी के रूप में कार्यरत रहे. उन्होंने कभी भी इससे अलग होकर कुछ और करने की कोशिश नहीं की. अपना पूरा जीवन गीता प्रेस और इसके उत्थान के लिए ही समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि आज का दिन प्रेस के लिए बड़े शोक का दिन है. 1950 में गीता प्रेस से जुड़ने के बाद से उन्होंने रातों दिन और अपने जीवन काल के अंतिम समय तक सिर्फ गीता प्रेस और उसके उत्थान के विषय में ही सोचते रहे.

प्रथम राष्ट्रपति से लेकर पीएम मोदी तक के साथ मंच किया साझा

29 अप्रैल 1955 में जब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद यहां स्थापित लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन करने आए थे तब भी उन्होंने उनके साथ मंच साझा किया था और अब जब गीता प्रेस के स्थापना दिवस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 4 जून 2022 को आयोजित उद्घाटन समारोह के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और 7 जुलाई 2023 को समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ मंच साझा किया था. लालमणि तिवारी ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार काशी में किया जाएगा.