scorecardresearch

Ramon Magsaysay Award 2023: कौन हैं गरीबों का मुफ्त इलाज करने वाले कैंसर के डॉक्टर रवि कन्नन जिन्हें मिला मैग्सेसे अवॉर्ड, पद्मश्री से भी किया जा चुका है सम्मानित

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, जिसे अक्सर 'एशिया का नोबेल पुरस्कार' कहा जाता है, एक उल्लेखनीय सम्मान है जो असाधारण भावना और प्रभावशाली नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करता है. इस साल डॉ. रवि कन्नन, जो एक ऑन्कोलॉजिस्ट (Oncologist)हैं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

Ramon Magsaysay Ramon Magsaysay
हाइलाइट्स
  • करते हैं मुफ्त इलाज

  • फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति पर आधारित पुरस्कार

समय पर बोया गया बीज अवश्य ही अंकुरित होता है और जब उसे पोषण मिलता है तो वह एक सुंदर वृक्ष के रूप में विकसित हो ही जाता है. बिल्कुल यही कहानी है इस साल के मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, डॉ. रवि कन्नन की, जो एक ऑन्कोलॉजिस्ट (Oncologist) और असम के कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के निदेशक हैं. डॉ. रवि तमिलनाडु के पूर्व भारतीय वायु सेना कर्मी के बेटे हैं जिनके जीवन में केवल एक ही लक्ष्य था, डॉक्टर बनना और उन्होंने बनकर दिखाया. कैंसर रोग विशेषज्ञ डाक्टर डा. रवि कन्नन  को वर्ष 2023 के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है. रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन की 65वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रतिष्ठित 'हीरो फॉर होलिस्टिक हेल्थकेयर' पुरस्कार के लिए उन्हें चुना गया.

क्यों मिला पुरस्कार
डॉ कन्नन ने कहा,“मुझे याद है कि जब मैं बच्चा था तो मेरी मां इंदुमती ने मेरे लिए यह लक्ष्य निर्धारित किया था. उन्होंने पारिवारिक में मौजूद अन्य चिकित्सकों डॉ. नटराजन, डॉ. एमके शनमुघम और डॉ. एनके सुब्रमण्यम को देखा था. वे मेरी मां के गृहनगर कुंभकोणम से थे. वह भी डॉक्टर बनना चाहती थीं लेकिन उनके पारिवारिक हालात इसकी इजाजत नहीं देते थे इसलिए, वह चाहती थीं कि उनका बेटा डॉक्टर बने. मेरे पास कोई अन्य विचार नहीं था. ”उन्हें स्वास्थ्य देखभाल के प्रति ईमानदारी, समर्पण और दृढ़ता के साथ-साथ विशेष रूप से कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया. भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में कैंसर उपचार में एक क्रांति लाने में डॉ कन्नन का महत्वपूर्ण योगदान है.

कौन हैं रवि कन्नन?
कन्नन 2007 से असम के कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (सीसीएचआरसी) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं. इससे पहले वह चेन्नई के अडयार कैंसर संस्थान में सर्जन थे. उनके अस्पताल को दक्षिणी असम के साथ-साथ त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर में हाशिए पर रहने वाले कैंसर प्रभावित लोगों का इलाज करने के लिए जाना जाता है. गरीब लोगों के लिए कैंसर के इलाज को किफायती बनाने के लिए डा. कन्नन ने पिछले कुछ सालों में कई कदम उठाए. इनमें से एक राज्य के कुछ जिलों में दूरस्थ क्लीनिक स्थापित करना शामिल है. कन्नन ने पीटीआई के हवाले से कहा कि वे अब राज्य के विभिन्न हिस्सों और त्रिपुरा में छोटे अस्पताल स्थापित करना चाहते हैं ताकि लोगों को घर के नजदीक कैंसर का इलाज मिल सके. उन्होंने कहा, जब भी हम कोई सहायता मांगते हैं, सरकार कभी मना नहीं करती. डा. रवि ने कहा कि अन्य बीमारियों की तरह कैंसर का भी इलाज संभव है. डा. रवि के पिता भारतीय वायुसेना में सेवा दे चुके हैं.

करते हैं मुफ्त इलाज
कछार में कैंसर का पहला अस्पताल 1981 में खोला गया था. साल 1996 में एक गैर सरकारी संगठन ने कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (सीसीएचआरसी) की स्थापना की. डॉ रवि के नेतृत्व ने सीसीएचआरसी को एक व्यापक देखभाल वाले अस्पताल में बदल दिया. डॉ. कन्नन की देखरेख में अस्पताल ने गरीब कैंसर रोगियों के लिए मुफ्त उपचार, आवास और घरेलू देखभाल जैसे कार्यक्रम शुरू किए. अस्पताल हर साल सैकड़ों नए रोगियों को मुफ्त या रियायती कैंसर उपचार प्रदान करता है.

और किन लोगों को मिला पुरस्कार
रवि कन्नन  को पद्म श्री पुरस्कार भी मिल चुका है. इस वर्ष, समारोह की 65वीं पुनरावृत्ति में, चार एशियाई लोगों को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया, जो सर फज़ले हसन अबेद, मदर टेरेसा, दलाई लामा, सत्यजीत रे और कई अन्य लोगों की श्रेणी में शामिल हो गए. डा. रवि के साथ ही तीन अन्य लोगों को भी यह पुरस्कार मिलेगा. इनमें शिक्षा के लिए बांग्लादेश के रक्षंद कोरवी, पर्यावरण संरक्षण के लिए तिमोर-लेस्ते के यूजेनियो लेमोस, शांति और महिलाओं की भागीदारी के लिए फिलिपींस की मिरियम कोरोनेल फेरर शामिल हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलने पर रवि कन्नन को बधाई दी है.

फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति पर आधारित पुरस्कार
1957 में स्थापित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की विरासत पर स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है. यह एक लोकतांत्रिक समाज के भीतर शासन, सार्वजनिक सेवा और व्यावहारिक आदर्शवाद में ईमानदारी के प्रति योगदान के लिए व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है. रेमन मैग्सेसे  पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। टीवी पत्रकार रवीश कुमार वर्ष 2019 में पुरस्कार पाने वाले अंतिम भारतीय थे. अपनी स्थापना के बाद से, यह पुरस्कार तीन सौ से अधिक उल्लेखनीय व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किया गया है.