"शुरूआत में मुझो पानी से काफी डर लगता था. शुरुआत में, जब मैंने सर्फिंग शुरू की, तो मैं जेलिफ़िश और डॉल्फ़िन को अपने इतने करीब देखकर थोड़ा डरती थी, लेकिन अब पानी मेरा घर बन गया है," ये कहना है 2014 में युवा ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली और एकमात्र भारतीय नाविक कात्या कोएल्हो का. उन्होंने 2018 में एशियाई खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. 2022 में, उन्होंने 2022 में थाईलैंड में अंतर्राष्ट्रीय विंडसर्फिंग कप में दूसरा स्थान हासिल किया. कोएल्हो अब एशियाई खेलों 2023 में फिर से भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चीन के हांग्जो में आयोजित किया जाएगा.
कोएल्हो विंड फॉइलिंग कैटेगरी में कॉम्पीटिशन करेंगी, ये एक नया विंडसर्फिंग वर्ग है, जिसने 15 वर्षीय RS:X को बदल दिया है. ये नया वर्ग वर्ल्ड सेलिंग, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की तरफ से समाने लाया गया है.
पिता से मिली विंड सर्फिंग करने की प्रेरणा
कोएल्हो और समुद्र का प्यार काफी पुराना है. वह अपने पिता-डोनाल्ड कोएल्हो, तीन बार के राष्ट्रीय चैंपियन और भाई-डेन कोएल्हो, विंडसर्फ को देखते हुए बड़ी हुई हैं. वो बताती हैं कि वो बचपन में वो अपने पिता के साथ प्रैक्टिस किया करती थीं. वह कहती हैं, "जिस तरह से मेरे पिता ने तेज लहरों के बीच भी आसानी से विंड सर्फिंग की है, उसे देखकर ही मेरा इसकी तरफ अट्रैक्शन बढ़ा है. इसने मेरे अंदर एक चिंगारी की तरह काम किया है." हालाँकि, वह कहती है कि वह विंडसर्फिंग को एक शौक के रूप में अधिक देखती थी, और ज्यादातर गर्मी की छुट्टियों के दौरान ही करती थी, लेकिन समय के साथ उन्हें खेल के प्रति अपने बढ़ते जुनून का एहसास हुआ. वह कहती हैं, “अपने पिता को सर्फिंग करते देखने से लेकर अपनी खुद की लय खोजने तक, मैंने जुनून की लहरों पर सवार होकर अपने शौक को पेशे में बदल दिया.”
अच्छे इक्वीपमेंट्स हैं बेहद जरूरी
कात्या कहती हैं कि इस खेल में शारीरिक क्षमती की बहुत जरूरत होती है, क्योंकि इक्वीपमेंट्स को हैंडल करना आसान नहीं होता है. इसके अलावा मौसम और पानी की स्थिति का भी बहुत ध्यान रखना पड़ता है. इसके लिए अच्छे संतुलन के साथ-साथ सही उपकरण की भी आवश्यकता होती है. वह कहती हैं, "आप सिर्फ इसलिए नहीं जीत सकते क्योंकि आप खेल में कुशल हैं, बल्कि आपको एक ऐसे उपकरण की भी जरूरत है जो आपके स्कील सेट को और बढ़ाया." कोएल्हो का मानना है कि प्रत्येक जगह का अपना अलग मौसम और पानी की स्थिति होती है और इसलिए, वह इस बात पर जोर देती है कि एक एथलीट को नए वातावरण के अनुकूल होने में सक्षम होना चाहिए. यहां तक वो खुद भी ऐसी जगह पर प्रैक्टिस करती हैं, जहां प्रतियोगिता आयोजित की जाने वाली हो. ऐसा करने से उनके परफॉर्मेंस में भी काफी सुधार आता है.
हादसे को हराकर आगे बढ़ी कात्या
वो कहती हैं, “विंडसर्फिंग में कोई भी दो दिन एक जैसे नहीं होते, यह मेरे लिए हर दिन एक नए रोमांच की तरह है और मुझे खेल में यह रोमांच बहुत पसंद है.” कात्या को अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. एक बार एशियाई खेलों के दौरान यूनिवर्सल ज्वाइंट टूट की वजह से वो बोर्ड से गिर गई थीं. इस दुर्घटना के बाद उनके दोनों घुटनों में काफी चोट आ गई. जिसके बाद उन्हें ब्रेक लेना पड़ा, और तब तक वर्ल्ड सेलिंग ने IQFoil को RS:X रिप्लेस कर दिया. IQFoil विंडसर्फिंग में, जिसे विंड फ़ॉइलिंग और हाइड्रो फ़ॉइलिंग के रूप में भी जाना जाता है, पारंपरिक डैगरबोर्ड को हाइड्रोफ़ोइल्स से बदल दिया जाता है जो बोर्ड को पानी के ऊपर आसानी से स्लाइड कर सकते हैं, जिससे एथलीट की स्पीड भी बढ़ती है.
महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
कोएल्हो ने पिछले साल ही नई सीरीज के लिए ट्रेनिंग ली है. वह कहती हैं कि विंड फॉइलिंग के साथ, एक एथलीट को हवा की गति को तेज करने के लिए गति को अधिकतम करने के लिए अधिक मांसपेशियों के वजन पर डालने की आवश्यकता होती है. उनके अनुसार, मांसपेशियों के वजन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास और समय की आवश्यकता होती है. इसके अलावा इस गेम में महिलाओं की भागीदारी की कमी भी एक चुनौती रही है. यहां तक की कात्या को भी महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी नहीं होने के कारण उन्हें कई बार पुरुष वर्ग में भाग लेना पड़ा है. हालांकि, उनका मानना है कि एशियाई खेलों में उनकी भागीदारी से खेल में अन्य महिलाओं के लिए दरवाजे खुल सकते हैं.