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IPS Prabhakar Chaudhary: 8 साल, 18 तबादले और 15 जिले, कभी बैगपैक टांगकर ड्यूटी पर पहुंचे थे यह अफसर

IPS अफसर, प्रभाकर चौधरी को यूपी का "अशोक खेमका" कहा जाता है क्योंकि IAS अशोक खेमका की तरह उनके भी लगातार ट्रांसफर होते रहे हैं. हाल ही में, 30 जुलाई 2023 को IPS प्रभाकर का तबादला हुआ है.

IPS Prabhakar Chaudhary IPS Prabhakar Chaudhary
हाइलाइट्स
  • 2010 बैच के हैं IPS अधिकारी 

  • संभाल चुके हैं 15 जिलों की कमान

उत्तर प्रदेश के चर्चित आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी का फिर से तबादला कर दिया गया है. रविवार को बरेली में गैर-पारंपरिक रास्ते से कांवड़ यात्रा निकलने को लेकर शुरू हुए विवाद में उपद्रव बढ़ा और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने लगी तो एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने हालात संभालने के लिए काँवड़ियों पर हल्का बल प्रयोग करने का आदेश दिया. इसका नतीजा हुआ कि महज आधे घंटे में बरेली शहर की कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल हो गई. 

लेकिन इस घटना के 4 घंटे बाद ही प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया. प्रभाकर चौधरी को लखनऊ स्थित 32वीं वाहिनी पीएसी में सेनानायक के पद पर तैनाती का आदेश जारी हो गया. प्रभाकर चौधरी के साथ ही सूबे में 14 आईपीएस अफसरों के तबादले का आदेश जारी हुआ. वैसे, साल 2010 बैच के आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी के लिए ट्रांसफर कोई नई बात नहीं है. बीते 8 साल में 15 जिलों की कमान संभाल चुके प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला किया गया है. 

आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कौन हैं IPS प्रभाकर चौधरी और क्यों कुछ ही महीने में हो जाता है कमांडो ट्रेन्ड IPS प्रभाकर चौधरी का तबादला.

2010 बैच के हैं IPS अधिकारी 
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के रहने वाले प्रभाकर ने बीएससी, एलएलबी की पढ़ाई की है. पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाले प्रभाकर को आईपीएस में होम कैडर मिला.

प्रभाकर ने आईपीएस की बेसिक ट्रेनिंग खत्म करने के बाद बतौर अंडर ट्रेनिंग एएसपी नोएडा में ज्वाइन किया था. इसके बाद प्रभाकर एएसपी आगरा, जौनपुर, और वाराणसी रहे. वह कानपुर नगर के एसपी सिटी रहे. जिले में कमान संभालने की बारी आई तो प्रभाकर चौधरी की पहली पोस्टिंग यूपी के आखिरी जिले ललितपुर में हुई थी. 

जनवरी 2015 को प्रभाकर चौधरी को ललितपुर का एसपी बनाया गया और दिसंबर 2015 यानी लगभग 11 महीने ललितपुर के एसपी रहने के बाद उन्हें इंटेलिजेंस मुख्यालय में पोस्टिंग मिली. 13 जनवरी 2016 में प्रभाकर चौधरी को यूपी के सबसे कठिन जिलों में शुमार देवरिया का कप्तान बनाया गया जहां उनकी तैनाती 18 अगस्त 2016 तक रही.  

देवरिया से लेकर झांसी तक संभाली है कमान 
देवरिया के बाद प्रभाकर चौधरी को सीधे बलिया का कप्तान बनाया गया. जहां पर वह 15 अक्टूबर 2016 यानी 2 महीने ही रहे. बलिया के बाद प्रभाकर चौधरी को कानपुर देहात की कमान मिली. लेकिन जब भाजपा सत्ता में आई तो 28 अप्रैल 2017 को प्रभाकर चौधरी का कानपुर देहात से महज 5 महीने में तबादला कर दिया गया और एटीएस भेज दिया गया.  

23 सितंबर 2017 तक प्रभाकर चौधरी यूपी एटीएस में तैनात रहे. 24 सितंबर 2017 को प्रभाकर चौधरी को बिजनौर जिले का कप्तान बनाया गया और 19 मार्च 2018 को उन्हें बिजनौर से हटा दिया गया. बिजनौर से ट्रांसफर के 3 दिन बाद ही प्रभाकर चौधरी को मथुरा जैसे बड़े जिले की कमान सौंपी गई. मथुरा में उन्होंने कई पुरानी लूट की घटनाओं का खुलासा किया, बड़े चांदी व्यापारियों के अवैध धंधों पर नकेल कसी, अपराध के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करने वाले प्रभाकर चौधरी की मथुरा के स्थानीय नेताओं से नहीं बनी और उनका 3 महीने में ही तबादला कर दिया गया. 

प्रभाकर चौधरी को 30 जून 2018 को सीतापुर का एसपी बनाया गया लेकिन वहां भी 6 महीने पूरे होने से पहले ही 8 दिसंबर 2018 को ट्रांसफर कर दिया गया. सीतापुर के बाद प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर भेजा गया. 9 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के एसपी बने लेकिन वहां से भी 2 महीने बाद 20 फरवरी 2019 को उन्हें हटा दिया गया और एसपी जीआरपी झांसी बनाया गया. 

सिर्फ मेरठ में रहा एक साल का पूरा कार्यकाल
प्रभाकर जीआरपी में थे कि तभी सोनभद्र में उंभा कांड हो गया, जमीन कब्जे के पुराने विवाद में पुलिस और पब्लिक के बीच पथराव हुआ फायरिंग हो गई. कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी तो सरकार ने आनन-फानन में प्रभाकर चौधरी को सोनभद्र की कमान दी और 4 अगस्त 2019 को सोनभद्र का कप्तान बनाया गया. 

लेकिन 2 महीने बाद 31 अक्टूबर 2019 को सोनभद्र से हटाकर प्रभाकर को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का SSP बनाया गया. वाराणसी के बाद उन्हें मुरादाबाद का कप्तान बनाया गया. मुरादाबाद में भी प्रभाकर चौधरी सिर्फ 9 महीने ही रहे और 14 जून 2021 को मुरादाबाद से हटकर मेरठ का एसएसपी बनाया. 

प्रभाकर चौधरी के 8 साल की कप्तानी के करियर में उनके 18 तबादले हुए जिसमें 15 जिलों के वह कप्तान रहे लेकिन मेरठ एक अकेला जिला है जहां पर प्रभाकर चौधरी 1 साल तक एसएसपी रहे. 25 जून 2022 तक मेरठ के एसएसपी रहे प्रभाकर चौधरी को आगरा जैसे बड़े शहर के कमान दी गई.

संभाल चुके हैं 15 जिलों की कमान
आगरा में भी प्रभाकर चौधरी 5 महीने तक ही टिक पाए और 28 नवंबर 2022 को प्रभाकर चौधरी हटा दिए गए. आगरा से हटकर पीएसी सीतापुर भेजा गया और 12 मार्च 2023 को प्रभाकर चौधरी को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया, लेकिन बरेली में भी प्रभाकर चौधरी 4 महीने तक ही रह पाए और 30 जुलाई 2023 को बरेली एसएसपी से भी हटाकर 32वी वाहिनी पीएसी लखनऊ का सेनानायक बना दिया गया. ट्रेनिंग के कार्यकाल को हटा दें तो जनवरी 2015 से जुलाई 2023 यानी कुल 8 साल के करियर में प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला किया गया जिसमें 15 जिलों के कप्तानी भी शामिल है. 

झांसी जीआरपी में एसपी के बंगले के अवैध कब्जे का मामला हो, सोनभद्र का उम्भा कांड हो, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव हो, मथुरा में स्थानीय नेता से गतिरोध या फिर अब बरेली में कावड़ियों के उपद्रव को रोकने की कोशिश, प्रभाकर चौधरी ने जिले की कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया. वह फिर अपराधी हो या फिर कोई बड़ा सत्ताधारी दल का नेता, अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस पर काम करने वाले प्रभाकर चौधरी की गिनती देश के ईमानदार अफसरों में होती है. 

CBI में जा सकते हैं IPS प्रभाकर
IPS प्रभाकर जनता की सुनवाई पर तुरंत कार्रवाई, अच्छा काम करने वाले पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई और पुलिस के साथ बदसुलूकी करने वालों को कानून की ताकत का एहसास कराने वाले अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं. 

एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग कर चुके प्रभाकर चौधरी अपनी फिटनेस का बेहद ख्याल रखते हैं. सपा सरकार ने प्रभाकर चौधरी को अक्टूबर 2016 में कानपुर देहात का एसपी बनाया तो वह छात्र की तरह एक पिट्ठू बैग लेकर ज्वाइन करने पहुंचे, एक फरियादी की तरह थाने में पहुंचकर साइकिल चोरी की एफआईआर लिखाने की कोशिश की और कोई पुलिसकर्मी पहचान तक नहीं पाया. कानपुर देहात में ट्रेन हादसा हुआ तो प्रभाकर चौधरी खुद ही हाई मास्क लाइट लगाने के लिए पोल खड़ा कराने लगे, एंबुलेंस के नहीं पहुंचने पर अपनी गाड़ी से कई घायलों को अस्पताल भेजा, रात भर राहत कार्य की खुद मॉनिटरिंग करते रहे. 

वाराणसी में कप्तान रहे तो प्रभाकर चौधरी काशी की तंग गलियों में साइकिल से निकलकर लोगों के बीच चाय पीते और लोगों का फीडबैक लेते. यही वजह है कि प्रभाकर चौधरी वाराणसी में महज 8 महीने के अंदर बेहद लोकप्रिय कप्तान हो गए थे. 

प्रभाकर चौधरी का सेंट्रल डेपुटेशन में सीबीआई में जाना तय है. सीबीआई की तरफ से 4 बार रिलीव करने का रिमाइंडर दिया जा चुका है लेकिन सरकार ने रिलीव नहीं किया है. अब माना जा रहा है कि बरेली से हटाने के बाद प्रभाकर चौधरी को सरकार रिलीव कर देगी और वह जल्द सीबीआई ज्वाइन करेंगे.