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Mizoram में ZPM का जलवा! 6 क्षेत्रीय दलों के गठजोड़ से बनी पार्टी कैसे पहुंची सत्ता के शीर्ष पर, कौन हैं अगले CM बनने जा रहे Lalduhoma? यहां जानिए 

Who is Lalduhoma: पूर्व आईपीएस अधिकारी और जेडपीएम नेता लालदुहोमा मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी टीम के इंचार्ज रह चुके हैं. उन्होंने 1984 में मिजोरम से लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर इतिहास रच दिया था.

ZPM supremo Lalduhoma (File Photo) ZPM supremo Lalduhoma (File Photo)
हाइलाइट्स
  • पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी रहे चुके हैं लालदुहोमा

  • 1984 में पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में रखा कदम

Mizoram Assembly Election Result 2023: जिस पार्टी का गठन महज चार साल पहले हुआ था, वह अब मिजोरम में सरकार बनाने जा रही है. जी हां, हम बात कर रहे हैं जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की. आइए जानते हैं इस पार्टी की बनने की कहानी और अगले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने जा रहे लालदुहोमा के बारे में. 

कौन हैं लालदुहोमा
74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी और जेडपीएम नेता लालदुहोमा मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. मिजोरम के तुआलपुई गांव में 22 फरवरी 1949 को लालदुहोमा का जन्म हुआ था. लालदुहोमा की पत्नी का नाम लियानसाइलोवी है. उनके दो बेटे हैं और वह अपने परिवार के साथ आइजोल के चौल्हमुन में रहते हैं. 

1977 में बने थे आईपीएस
लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. वह पिछले कुछ साल से मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते आ रहे हैं. लालदुहोमा ने स्नातक की पढ़ाई के बाद भारतीय सिविल सेवा परीक्षा दी. 1977 में आईपीएस बनने के बाद उन्होंने गोवा में एक स्क्वाड लीडर के तौर पर काम किया. 

तैनाती के दौरान उन्होंने तस्करों पर बड़ी कार्रवाई की. पुलिस अधिकारी के तौर पर उनकी उपलब्धियां सामाचार पत्रों की सुर्खियां बनने लगी थीं. 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना सुरक्षा प्रभारी नियुक्त किया था. पुलिस उपायुक्त के रूप में विशेष पदोन्नति दी गई थी. राजीव गांधी की अध्यक्षता में 1982 एशियाई खेलों की आयोजन समिति के सचिव भी थे.

कैसे हुई लालदुहोमा की राजनीति में एंट्री
लालदुहोमा 1984 में पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उसी वर्ष दिसंबर माह में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर लालदुहोमा संसद पहुंचे थे. 1988 में कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, जिसके कारण उन्हें लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी. 

लोकसभा अध्यक्ष ने 24 नवंबर 1988 को लालदुहोमा को अयोग्य घोषित कर दिया, और जिस पार्टी (कांग्रेस) का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया उसकी सदस्यता छोड़ने के लिए भारत में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने. उन्होंने 1986 में मिजो नेशनल यूनियन (MNU) का गठन किया जिसका बाद में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस में विलय हो गया और उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. 

जोरम पीपुल्स मूवमेंट का कैसे हुआ गठन 
जोरम पीपुल्स मूवमेंट  (जेडपीएम)  का गठन 6 क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के रूप में किया गया था. यह 6 क्षेत्रीय दल थे मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी, जोरम एक्सोडस मूवमेंट, जोरम डिसेंट्रेलाइजेशन फ्रंट, जोरम रिफॉर्मेशन फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स पार्टी. इन दलों ने आगे चलकर एक एकीकृत इकाई के रूप में विलय कर दिया, इसके बाद आधिकारिक तौर पर 2018 में जोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी आज के जेडपीएम का गठन हुआ. हालांकि चुनाव आयोग में पंजीकृत होने के लिए जेडपीएम को और इंतजार करना पड़ा.

जब निर्दलीय लड़े जेडपीएम प्रत्याशी
2018 के मिजोरम विधान सभा चुनावों में जेडपीएम पहली बार मैदान में उतरा. पार्टी ने खुद को मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश किया. पार्टी ने शराबबंदी की वकालत की. पार्टी ने 36 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ा. 

उस वक्त लालदुहोमा की गठित पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिल सकी थी, जिसके कारण उनके उम्मीदवारों को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था. निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में जेडपीएम ने 8 सीटों पर जीत हासिल की. यह अपेक्षाकृत नए ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी. चुनाव में लालदुहोमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालथनहलवा को करारी शिकस्त दी, जिसके बाद से वे राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बन गए.

2019 में जेडपीएम को चुनाव आयोग से मिली मान्यता 
जेडपीएम का उद्देश्य मिजोरम के लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाना था. इसका गठन  सामाजिक चिंताओं और सामुदायिक कल्याण पर ध्यान देने के लिए एक गैर-राजनीतिक इकाई के रूप में किया गया था. भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने आधिकारिक तौर पर जुलाई 2019 में पार्टी को पंजीकृत किया. एक तरफ जेडपीएम को राजनीतिक पार्टी का दर्जा मिला दूसरी ओर इसकी सबसे बड़ी संस्थापक पार्टी, मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, 2019 में ही गठबंधन से बाहर हो गई.

पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर लालदुहोमा को चुना गया 
पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर लालदुहोमा को चुना गया. इस आधार पर उन्हें अपनी विधानसभा सदस्यता को गंवाना पड़ा. बता दें 27 नवंबर 2020 को मिज़ोरम राज्य में विधानसभा की सदस्यता गंवाने वाले लालदुहोमा पहले विधायक बन गए थे. 

दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में इनकी विधान सभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी. हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ इस घटना को लालदुहोमा के लिए संजीवनी बताते हैं. 2021 में सेरछिप सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने इसे मुद्दा बना दिया. इस उपचुनाव में उन्हें फिर से विधानसभा पहुंचा दिया था. अब मिजोरम विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों में सत्तासीन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की करारी हार हुई है. जोरम पीपुल्स मूवमेंट सरकार बनाने जा रही है.