scorecardresearch

Revanth Reddy: एबीवीपी से राजनीतिक जीवन की शुरुआत, टीडीपी छोड़ कांग्रेस में आए, तेलंगाना में केसीआर को 'धूल' चटा बने सुपर स्टार, सीएम रेस में सबसे आगे

Who is Revanth Reddy: तेलंगाना में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरों में फिलहाल सबसे बड़ा नाम प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का है. ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर कौन हैं रेवंत रेड्डी? उनका सियासी रसूख कितना है? 

Revanth Reddy Revanth Reddy
हाइलाइट्स
  • रेवंत रेड्डी टीडीपी को छोड़ आए हैं कांग्रेस में

  • छात्र जीवन से है राजनीति में रुचि

Telangana Election Result 2023: तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने केसीआर की जीत का तिलिस्‍म तोड़ दिया है. इस राज्य पर 'पंजा' का कब्जा हो गया है. कांग्रेस की इस जीत का श्रेय 54 वर्षीय ए. रेवंत रेड्डी को दिया जा रहा है. रेवंत सीएम पद की रेस में भी सबसे आगे बताए जा रहे हैं. आइए इस नेता के राजनीतिक जीवन के बारे में जानते हैं.

कौन हैं रेवंत रेड्डी
रेवंत रेड्डी वर्तमान में तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के पद पर हैं. उनका जन्म 8 नवंबर 1967 को अविभाजित आंध्र प्रदेश में नगरकुर्नूल के कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर हुआ था. रेवंत के पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है. उन्होंने हैदराबाद में एवी कॉलेज (ओस्मानिया विश्विद्यालय) से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. इसके बाद रेवंत ने एक प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की. 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता की भतीजी से की शादी
7 मई 1992 को रेवंत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी अनुमुला गीता से शादी कर ली. हालांकि, शुरुआत में करियर के चुनाव की वजह से परिवार वाले इस रिश्ते के खिलाफ हो गए थे. बाद में परिवार वाले मान गए. रेवंत और गीता की एक बेटी है, जिसका नाम न्यामिषा है. 

छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़े
शादी के बाद कांग्रेस सांसद रेवंत के सियासी सफर का आगाज हुआ. इसकी कहानी भी दिलचस्प है. छात्र जीवन के दौरान वह आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हुए थे. उन्होंने 2006 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ा और मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रीय समिति के सदस्य चुने गए. 

टीडीपी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से हुई मुलाकात
रेवंत 2007 में निर्दलीय ही आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बन गए. इस कार्यकाल के दौरान उनकी मुलाकात तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से हुई और आखिरकार वह पार्टी का हिस्सा बन गए. 2009 में रेवंत ने टीडीपी के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और 6,989 वोटों से जीत दर्ज की. कोडंगल सीट से चुनाव मैदान में उतरे रेवंत कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हराकर पहली बार विधायक बने थे.

2017 में टीडीपी ने पद से कर दिया बर्खास्त
तेलंगाना गठन से पहले 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में रेवंत एक बार फिर कोडंगल सीट से टीडीपी के उम्मीदवार बने। एक बार फिर उन्होंने गुरुनाथ रेड्डी को हराया, जो इस बार टीआरएस के उम्मीदवार थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में रेवंत 14,614 वोटों के अंतर से विजयी हुए थे. इसके बाद टीडीपी ने रेवंत को तेलंगाना विधानसभा में नेता सदन बनाया दिया. हालांकि, 25 अक्टूबर 2017 में टीडीपी ने रेवंत को इस पद से बर्खास्त कर दिया, जब पता चला कि वह कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं. 

रेवंत बन गए कांग्रेस के सदस्य
 31 अक्टूबर 2017 को रेवंत कांग्रेस के सदस्य बन गए. 20 सितंबर 2018 को उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नियुक्त किया गया. वहीं 2018 के तेलंगाना विधानसभा में रेवंत तीसरी बार कोडंगल सीट से चुनाव मैदान में उतरे. इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले रेवंत को बीआरएस के पटनाम नरेंदर रेड्डी के हाथों पहली हार मिली. 

 2019 लोकसभा चुनाव में आजमाई किस्मत 
विधानसभा की हार के बाद रेवंत ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई. रेवंत तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में चुनाव जीता था. मल्काजगिरि सीट से उतरे कांग्रेस उम्मीदवार ने टीआरएस के एम राजशेखर रेड्डी को करीबी मुकाबले में 10 हजार से ज्यादा मतों से हराया. 

'सीएम-सीएम' के नारे लगाए गए
जून 2021 में रेवंत रेड्डी को बड़ी जिम्मेदारी मिली, जब कांग्रेस ने उन्हें अपनी तेलंगना प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया. इस बार के विधानसभा चुनाव में रेवंत रेड्डी चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस का प्रमुख चेहरा बने रहे. वे प्रचार के दौरान हमेशा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ नजर आए. चुनावी कैंपेन के दौरान राहुल गांधी ने तेलंगाना में करीब 26 रैलियां की थीं. प्रियंका गांधी ने भी यहां पूरा जोर लगाया हुआ था. 

पार्टी के बड़े दिग्गज के तौर पर जहां राहुल-प्रियंका ने मोर्चा संभाला था, वहीं जमीन पर रेवंत रेड्डी लगे हुए थे. रेवंत रेड्डी दो सीटों कोडांगल और कामारेड्डी से चुनाव लड़े हैं. कोडांगल उनकी पारंपरिक सीट रही है जबकि कामारेड्डी में उनका मुख्यमंत्री केसीआर से मुकाबला रहा. तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक दिन पहले भी रेवंत रेड्डी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो उनके समर्थन में 'सीएम-सीएम' के नारे लगाए गए. हालांकि रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बनेंगे? इस सवाल पर रेड्डी पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस तेलंगाना में 80 से ज्यादा सीटें जीतेगी और इस पद (मुख्यमंत्री) के लिए 80 से ज़्यादा उम्मीदवार होंगे.

जाति कारक ने भी रेड्डी के पक्ष में किया काम 
कांग्रेस में कई लोग मानते हैं कि जाति कारक ने भी रेड्डी के पक्ष में काम किया. यदि रेड्डी को वास्तव में मुख्यमंत्री नामित किया जाता है, तो वह उन रेड्डीओं की सूची में शामिल हो जाएंगे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए तेलुगु राज्य (पूर्व में संयुक्त आंध्र प्रदेश) जीता है. 1950 के दशक में नीलम संजीव रेड्डी से लेकर 70 के दशक में मैरी चन्ना रेड्डी से लेकर 90 के दशक में के विजया भास्कर रेड्डी, 2000 के दशक में वाईएस राजशेखर रेड्डी और किरण कुमार रेड्डी तक, रेवंत का नाम गांधी भवन के प्रवेश द्वार पर बोर्ड पर अंकित किया जा सकता है.

इतनी संपत्ति के हैं मालिक
चुनाव आयोग के दिए गए हलफनामे के मुताबिक रेड्डी ने 2014 चुनावों के बाद से कई प्रॉपर्टीज खरीदी है. इस दौरान उनकी अचल संपत्ति 4.44 करोड़ रुपए से बढ़कर 7.79 करोड़ रुपए पहुंच गई है. यानी नौ साल में इसमें 3.48 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. हाल में उन्होंने सेरिलिंगमपल्ली में जमीन खरीदी है. हलफनामे के मुताबिक चार साल में उनका निवेश और शेयरों की वैल्यू 51 लाख रुपए से बढ़कर 1.75 करोड़ रुपए पहुंच गई है. उनकी पत्नी गीता रेड्डी के पास 9.44 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है.

विवादों से भी रहा नाता 
मई 2015 में रेवंत विवादों में आए गए थे, जब तेलंगाना की अपराध निरोधक शाखा (एसीबी) ने उन्हें रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. उनके खिलाफ मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को विधान परिषद चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान से जुड़े एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद यह कार्रवाई हुई थी. 30 जून को तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में रेवंत को सशर्त जमानत दे दी. पिछले महीने ही तेलंगाना पुलिस ने रेवंत रेड्डी को गिरफ्तार किया था. हैदराबाद गन पार्क में चुनाव आचार संहिता के उललंघन के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इससे पहले उन्होंने सीएम को चुनौती भी दी थी.