NEET Paper Leak 2024: नीट-यूजी पेपर लीक मामले (NEET UG Paper Leak Case) को लेकर बढ़ते आक्रोश के बाद शिक्षा मंत्रालय ने इसकी जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है. सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर नीट पेपर लीक मामले की जांच शुरू कर दी है. इस टीम ने आर्थिक अपराध इकाई (EOU) से इस मामले में अब तक इकट्ठे किए गए साक्ष्य और दस्तावेज ले लिए हैं.
नीट-यूजी पेपर लीक मामले में एक नाम संजीव मुखिया (Sanjeev Mukhiya) जोर-शोर से आ रहा है. अब तक जांच में नीट पेपर लीक का उसे मास्टरमाइंड माना जा रहा है. संजीव मुखिया अभी फरार चल रहा है. सीबीआई की टीम उसकी तलाश कर रही है. हालांकि उसने स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है. माना जा रहा है कि सबसे पहले नीट परीक्षा का प्रश्न पत्र संजीव मुखिया के पास ही पहुंचा था. आइए जानते हैं आखिर कौन है संजीव मुखिया?
नालंदा जिले का रहने वाला है संजीव मुखिया
51 वर्षीय संजीव मुखिया बिहार के नालंदा जिले के नगरनौसा गांव का रहने वाला है. उसे लोग लूटन मुखिया के नाम से भी बुलाते हैं. उसका पहली बार नाम साल 2010 में ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करके छात्रों को नकल कराने में आया था. संजीव मुखिया का नाम साल 2016 में बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा लीक मामले में आया था. इसके बाद कई पेपर लीक कांडों में उसका नाम जुड़ चुका है.संजीव मुखिया का नाम बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा -III (बीएसएसी) के पेपर लीक मामले में आ चुका है. उसका डॉक्टर बेटा शिवकुमार इसी मामले में अभी जेल में है. शिवकुमार ने एमबीबीएस की पढ़ाई पीएमसीएच से की है.
पेपर लीक मामले में दो बार हो चुका है गिरफ्तार
संजीव मुखिया का रवि अत्री गैंग से सीधा कनेक्शन है. बिहार के अंदर और बाहर कम से कम चार बड़े पेपर लीक रैकेट में उसका नाम सामने आ चुका है. संजीव मुखिया को दो बार गिरफ्तार भी किया गया था. एक बार एक दशक पहले बिहार में ब्लॉक-स्तरीय परीक्षा के लिए और दूसरी बार 2016 में उत्तराखंड की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के लिए. संजीव मुखिया रंजीत डॉन के सहयोगी के रूप में भी रह चुका है. संजीव मुखिया का पेपर लीक में बड़ा नेटवर्क है. कहां जा रहा है कि वह देश भर के परीक्षाओं का प्रश्न पत्र लीक करवाने में लगा रहता है. उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती पेपर लीक में भी संजय मुखिया पर आशंका व्यक्त की जा रही है.
नीट परीक्षा वाले दिन से ही गायब है संजीव मुखिया
संजीव मुखिया नालंदा के नूरसराय हॉर्टिकल्चर कॉलेज में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है. संजीव मुखिया 4 मई तक कॉलेज में काम करने के लिए आया था. वह नीट परीक्षा वाले दिन से ही गायब है. बिना किसी सूचना के गायब रहने के बाद जब महाविद्यालय प्रबंधन की तरफ से उसे नोटिस जारी किया गया तो उसने एक फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट कॉलेज में भेज दिया. कॉलेज की तरफ से उस सर्टिफिकेट को मानने से इनकार कर दिया गया.
प्रश्न पत्र सबसे पहले संजीव मुखिया के पास ही आया था
माना जा रहा है कि सबसे पहले नीट परीक्षा का प्रश्न पत्र संजीव मुखिया के पास ही पहुंचा था. इसके बाद उसने अन्य आरोपियों को पेपर उपलब्ध कराया था. संजीव मुखिया को परीक्षा का प्रश्न पत्र एक प्रोफेसर ने उपलब्ध कराया था. बताया जा रहा है कि मोबाइल के जरिए प्रोफेसर ने संजीव को पत्र भेजा था. इसके बाद संजीव ने हर छात्र से 40 लाख रुपए प्रश्न पत्र के बदले मांगे थे. इस 40 लाख में से 30 से 32 लाख रुपए ऊपर भेजे जाने थे. बचे 8 लाख रुपए अन्य बिचौलियों में बांटे जाने थे.
इसकी पूरी योजना संजीव मुखिया ने ही बनाई थी. ईओयू की जांच में पेपर लीक माफिया और साइबर अपराधियों का गठजोड़ सामने आया है. पेपर लीक के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया गिरोह के तार साइबर अपराधियों से जुड़े हैं. साइबर अपराधियों ने संजीव मुखिया गिरोह के लोगों को सिम कार्ड और शेल्टर मुहैया कराया था. इसके बाद पेपर लीक माफिया ने फर्जी तरीके से लिए गए सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था. नीट पेपर गड़बड़ी मामले में अब तक चार राज्यों बिहार, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र से कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें सबसे अधिक लोग बिहार से हैं.
कैसे हुआ नीट पेपर लीक का शक
5 मई, 2024 को आयोजित नीट यूजी-2024 परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद ही सवाल खड़े होने शुरू हो गए थे. दरअसल, ऐसा पहली बार हुआ था जब नीट की परीक्षा में 67 छात्रों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे. क्योंकि अक्सर ऐसा होता रहा है कि 2 या 3 ही टॉपर रहे थे. जैसे ही यह पता चला कि 67 लोग टॉप इस बार बने हैं. शक की सुई घूमने लगी. मेडिकल के कई छात्रों और शिक्षकों ने चिंता जताते हुए जांच की मांग की.
पत्नी लोजपा के टिकट पर लड़ चुकी है विधानसभा चुनाव
संजीव को मुखिया नाम से इस लिए बुलाया जाता है क्योंकि उसकी पत्नी ममता देवी 2016 और 2021 के बीच नालंदा की भुतहाखार पंचायत की ग्राम प्रधान थीं. इसके बाद ममता देवी ने जदयू की सदस्यता ले ली थी. 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ममता ने जदयू का साथ छोड़कर लोक जनशक्ति पार्टी का दामन थाम लिया था. लोजपा के टिकट पर नालंदा के हरनौत विधानसभा सीट से ममता चुनावी मैदान में भी कूदी थी लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था.