भारत का सबसे युवा राज्य तेलंगाना सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार है. कांग्रेस सफलता की राह पर है, उसने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हराकर 64 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि कई लोग पार्टी की जीत का श्रेय रेवंत रेड्डी को देंगे, एक और शांत ताकत है जो पृष्ठभूमि में काम कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि राज्य में पार्टी की किस्मत बदले. वह आदमी कोई और नहीं बल्कि मायावी सुनील कानुगोलू हैं. वही व्यक्ति जो पहले हुए कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस के लिए हवा का रुख मोड़ने के लिए जिम्मेदार था. आइए इसे और बेहतर तरीके से समझते हैं. उन्होंने के.चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी, बीआरएस को परेशान करते हुए, तेलंगाना में कांग्रेस को जीत दिलाने में कैसे मदद की.
कानुगोलू के निजी जीवन के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. वह बहुत ही शर्मीले स्वभाव के हैं और सुर्खियों से दूर रहना पसंद करते हैं. उनका जन्म कर्नाटका के बल्लारी डिस्ट्रिक्ट में हुआ था इसके बाद वो चेन्नई चले आए.
कहां से की पढ़ाई?
कर्नाटक के बल्लारी जिले में जन्में कानुगोलू बाद में अपनी शिक्षा के लिए चेन्नई और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. उन्होंने स्नातक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इसके बाद वह 2009 में भारत लौट आए. उन्होंने मैकिन्से के साथ सलाहकार के रूप में काम किया है और शायद इसी वजह से वो सार्वजनिक चकाचौंध से दूर रहते हैं. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि कानुगोलू ने तीन कंपनियों - एसआर इंडिपेंडेंट फिशरीज प्राइवेट लिमिटेड, एसआर नेचुरो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और ब्रेनस्टॉर्म इनोवेशन एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड (बीएसआईआर) में निदेशक का पद संभाला था, इन सभी का अस्तित्व समाप्त हो गया है.
मोदी के प्रचार से लेकर कांग्रेस की जीत तक
राजनीतिक रणनीति में कानुगोलू की शुरुआत एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स के सह-संस्थापक के साथ हुई, जो एक ऐसी कंपनी थी जो बीजेपी के लिए राजनीतिक रणनीति बनाती थी. वह सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) का भी हिस्सा थे, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रि अभियान को आगे बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा लाया गया एक समूह था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने फरवरी 2018 तक अमित शाह के साथ मिलकर काम किया और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक चुनावों में पार्टी की मदद की. संयोग से, दक्षिणी राज्य में 2018 में भाजपा ने उनकी निगरानी में जीत हासिल की. साल 2021 में, सोनिया गांधी और राहुल ने कानुगोलू के साथ बैठक की और उनकी कंपनी, माइंडशेयर एनालिटिक्स सेवाओं को नियुक्त किया. मई 2022 में, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कानुगोलू को पार्टी के 2024 लोकसभा चुनाव टास्क फोर्स का सदस्य नामित किया. उन्हें पिछले साल कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' की रणनीति बनाने का भी श्रेय दिया जाता है.
केसीआर ने पीछे लगा दी थी पुलिस
जब कानुगोलु तेलंगाना में कांग्रेस के चुनाव प्रसार में लगे थे तब सुस्त पड़ी कांग्रेस अचानक ही एक्टिव हो गई. पार्टी को व्यवस्थित करने से लेकर उन्होंने उसमें कई सारे बदलाव किए. वहीं कानुगोलू की रणनीति से घबराए केसीआर ने उनके पीछे पुलिस लगा दी. KCR ने हैदराबाद में सुनील के कार्यालय पर पुलिस का छापा पड़वाया और उपकरण तक जब्त कर लिए. हालांकि कानुगोलू पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
क्या रहा फॉर्मूला?
कर्नाटक में कांग्रेस को जीत दिलाने का श्रेय मिलने के बाद, उन्हें पार्टी के लिए तेलंगाना सुरक्षित करने की कठिन लड़ाई सौंपी गई. और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत देखने के बाद ऐसा लगता है कि कानुगोलू इस कार्य के लिए तैयार थे. उन्होंने राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सप्ताह के सातों दिन खूब परिश्रम किया. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें एहसास हुआ कि बीजेपी के लिए एक बड़ा वोट शेयर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को सत्ता में बने रहने में मदद करेगा और इसलिए, उन्होंने सबसे पहले राज्य में बीजेपी के प्रभाव को सीमित करने की कोशिश की.
इसी के साथ ही कानुगोलू YSR की बेटी वाईएस शर्मिला को भी राज्य में चुनाव नहीं लड़ने के लिए मनाने में सफल रहे. प्रतिशोध से प्रेरित शर्मिला को अपने तर्क के महत्व का एहसास हुआ और उन्होंने केसीआर को गद्दी से हटाने के लिए चुनाव से बाहर होने का फैसला किया. एमएसएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कानुगोलू की टीम थी जो पांच गारंटियों को शामिल करने के लिए जिम्मेदार थी, जिन्हें 'अभय हस्तम' के नाम से जाना जाता था. यह विशेष रूप से तेलंगाना की जरूरतों के अनुरूप थीं.
तेलंगाना चुनाव के नतीजे
तेलंगाना में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर, 10 साल से सत्ता पर काबिज BRS को हरा दिया. राज्य की 119 सीटों में से 64 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इसके विपरीत BRS महज 39 सीटों पर जीती है. बीजेपी के खाते में 8 सीटें आई जबकि AIMIM मात्र 7 सीटें जीती है. BRS ने हार स्वीकार कर कांग्रेस को जीत की बधाई दी है.