जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी विवादों में हैं. दरअसल, डॉ. बी आर अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड विषय पर व्याख्यान था. जिसमें प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी भी शामिल हुईं थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मानवशास्त्रीय रूप से देवता ऊंची जाति के नहीं होते. भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हो सकते हैं. फिर क्या था, प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी के इस बयान पर विवाद हो गया.
कौन हैं JNU की VC शांतिश्री धुलिपुड़ी?
प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी ने शिक्षण करियर की शुरुआत 1988 में गोवा विश्वविद्यालय से की और 1993 में पुणे विश्वविद्यालय चली गईं. शांतिश्री जेएनयू की कुलपति बनने से पहले सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में थीं. उन्होंने अलग-अलग शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर भी कार्य किया है. बता दें कि प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं.
शांतिश्री ने जेएनयू से एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई की है. प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल जैसी छह भाषाओं के साथ कन्नड़, मलयालम और कोंकणी भी समझ लेती हैं. अपने करियर में शांतिश्री ने 29 शोधार्थियों को निर्देशित किया है. प्रो. शांतिश्री की शुरुआती पढ़ाई मद्रास (जो कि अब चेन्नई ) में हुई. इसके बाद जेएनयू से एम.फिल में टॉप किया. फिर यहीं से पीएचडी भी की.
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ जन्म
प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी का जन्म 15 जुलाई 1962 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था. पिता डॉ. धुलिपुड़ी अंजानेयूलु आईएएस अफसर थे. मां प्रो. मुलामूदी आदिलक्ष्मी तमिल के साथ तेलुगु भाषा की प्रोफेसर रहीं हैं.
बता दें कि पूरे विवाद की शुरूआत प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी के हिंदू-देवी देवताओं को लेकर दिए गए बयान के बाद शुरु हुआ. यही नहीं, शांतिश्री धुलिपुड़ी ने कहा कि महिलाओं की जाति शादी के बाद मिलती है.