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कौन हैं Maharaja Hari Singh, जिनकी मूर्ति लगी है जम्मू-कश्मीर में..इनके जन्मदिन पर रहेगी छुट्टी

Who is Maharaja Hari Singh: जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी अवकाश करवाने की मांग की है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि हमने एलजी से बात कर ली है, उन्होंने हमें आश्वासन दिया है. बता दें, ये पहली बार होगा कि किसी राजा के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी होगी. आइए जानते हैं महाराजा हरि सिंह कौन थे और कैसा रहा उनका जीवन.

Who is Maharaja Hari Singh Who is Maharaja Hari Singh
हाइलाइट्स
  • महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर BJP सरकारी छुट्टी की मांग की

  • राजपूत समाज के लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में महाराजा हरि सिंह की एंट्री हो गई है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ऐसा पहली बार होगा..जब किसी राजा के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी होगी. जी हां, बीजेपी ने महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी करवाने की तैयारी की है.

बीजेपी का सियासी दांव! 

बता दें कि वहां के राजपूत समाज के लोगों ने इस मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे दी है. इसे ध्यान में रखते हुए  भाजपा के स्थानीय नेताओं ने जम्मू की सिविल सोसाइटी और व्यापारिक संगठनों के साथ बैठकें भी की थीं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि बीजेपी ने विलय दिवस (26 अक्टूबर) पर सरकारी अवकाश करवाया. अब हमारी कोशिश है कि महाराजा के जन्मदिन (23 सितंबर) पर अवकाश की अधिसूचना जल्द जारी हो.

उन्होंने कहा कि एलजी ने हमें आश्वासन दे दिया है. जम्मू जश्न मनाने की तैयारी करे. बता दें कि साल 2012 में पहली बार महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा लगी थी. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने अपने वोट बैंक के नाराज होने के डर से यह फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर में 28.33% हिंदू और 68.34% मुस्लिम हैं. हिंदुओं में 27% राजपूत हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि राजनीतिक तौर पर यह बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है.

कौन हैं महाराजा हरि सिंह?

23 सितंबर 1895 को महाराजा हरि सिंह का जन्म जम्मू में हुआ था. महाराजा हरि सिंह के पिता का नाम अमर सिंह और माता का नाम भोटियाली छिब था. अपने चाचा की मृत्यु के बाद, 23 सितंबर 1923 को हरि सिंह जम्मू और कश्मीर के नए महाराजा बने थे. बता दें कि 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद, महाराजा हरि सिंह चाहते थे कि जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हो. उन्होंने अपने राज्य को पाकिस्तानी सेना के आक्रमण से बचाने के लिए भारत सरकार से मदद मांगी थी. जिसके बाद उन्हें भारतीय सैनिकों का समर्थन प्राप्त हुआ.

महाराजा गुलाब सिंह, जोकि महाराजा हरि सिंह के परदादा थे, उन्होंने अंग्रेजों से जम्मू और कश्मीर राज्य को 75 लाख रुपये में खरीदा था. जिसके बाद 23 सितंबर 1925 को महाराजा हरि सिंह सिंहासन पर चढ़े. स्वतंत्रता के समय तक, वह चार देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ भारत के सबसे बड़े राज्य के शासक भी थे.

भारत में कैसे शामिल हुआ जम्मू-कश्मीर?

भारत जब आजाद हो रहा था जब ब्रिटिश राज ने सभी मौजूदा रियासतों और राजतंत्रों के सामने पेशकश की थी कि वो भौगोलिक स्थितियों के लिहाज से भारत और पाकिस्तान में से किसी एक में अपना विलय कर लें. तब महाराजा हरि सिंह ने कहा था कि 'ना तो हम भारत में जुड़ेंगे और न ही पाकिस्तान में. हरि सिंह यूरोप में स्विटजरलैंड की तर्ज पर एक स्वतंत्र रियासत का भविष्य देख रहे थे. 1947 में भारत अंग्रेजों के शासन से आजाद हो गया.

22 अक्टूबर को पाकिस्तान के द्वारा भेजे गए हथियारबंद कबायलियों ने राज्य पर आक्रमण कर दिया. कबायलियों की फौज श्रीनगर की ओर बढ़ी तो हिंदुओं की हत्या और उनके साथ ज्यादती की खबरें आने लगीं. इस दौरान महाराजा हरि सिंह 25 अक्टूबर को जम्मू पहुंचे, जहां 26 अक्टूबर को भारत में विलय के लिए संधि पत्र इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर दस्तखत कर दिया. इसके ठीक बाद अगले दिन ही कबायलियों से लड़ने के लिए भारतीय सेना श्रीनगर पहुंची. इसके साथ ही कश्मीर पर भारत का आधिकारिक कब्जा हो गया.

2012 में लगी प्रतिमा

1949 में शेख अब्दुल्ला के साथ आपसी मतभेदों के कारण हरि सिंह को राज्य से दूर होना पड़ा था. विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने और राज्य को भारत में मिलाने के बाद वो गुमनामी में जिए. 1961 में 66 साल की उम्र में मुंबई में उनका निधन हो गया. बता दें कि जम्मू में महाराजा की एक भी प्रतिमा नहीं थी. अप्रैल 2012 में डॉ. कर्ण सिंह, उनके बेटे अजातशत्रु और गुलाम नबी आजाद ने प्रतिमा का अनावरण किया था.