
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति यूयू ललित के नाम की सिफारिश की है. रमना भारत के 48वें और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस ललित 49वें CJI बनेंगे. मुख्य न्यायाधीश रमना इसी महीने 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. जस्टिस ललित 27 अगस्त को 49वें सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे. उनका कार्यकाल महज 74 दिनों का होगा. सीजेआई के रूप में जस्टिस ललित उस कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस नज़ीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी शामिल होंगे.
जस्टिस बनर्जी के 23 सितंबर को सेवानिवृत्त होने के साथ ही जस्टिस के एम जोसेफ कॉलेजियम में प्रवेश करेंगे. जस्टिस ललित 8 नवंबर को CJI के रूप में सेवानिवृत्त होंगे. इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ 50 वें CJI के तौर पर नियुक्त होंगे.
देश के 49वें CJI होंगे ललित
उदय उमेश ललित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं. न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ वकील के रूप में प्रैक्टिस की है. न्यायमूर्ति ललित, अब तक सीधे सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने वाले छठे सीनियर एडवोकेट हैं. सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू यू ललित, जो भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने की कतार में हैं कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं. इसमें हाल फिलहाल मुसलमानों के बीच अवैध और असंवैधानिक 'तीन तलाक' के माध्यम से तलाक की प्रथा शामिल है.
Chief Justice of India NV Ramana today recommends Justice UU Lalit's name as his successor. Justice Lalit to become the 49th CJI. Chief Justice Ramana is retiring this month. pic.twitter.com/AfJJc8652V
— ANI (@ANI) August 4, 2022
अगर जस्टिस यूयू ललित नियुक्त होते हैं, तो न्यायमूर्ति ललित दूसरे CJI बन जाएंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में पदोन्नत किया जाएगा. बता दें कि कानून मंत्री किरन रिजिजू ने CJI एन वी रमणा को पत्र लिखकर उनसे अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने के लिए कहा था. परंपरा के मुताबिक अपने रिटायरमेंट से करीब एक महीना पहले जस्टिस एक बंद लिफाफे में अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश कानून और न्याय मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति तक भेजते हैं.
कौन है जस्टिस यूयू ललित?
जस्टिस यूयू का नाम आपने इससे पहले भी कई बार सुना होगा. वो इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण केसों का हिस्सा रह चुके हैं, जिसमें राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद शामिल है. जस्टिस लूलू ने बाद में खुद को राम मंदिर केस से अलग कर लिया था. दरअसल राम मंदिर मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए 1994 में अदालत में पेश हुए थे, जिसके बाद न्यायमूर्ति ललित ने खुद को इस केस से अलग कर लिया था .
जस्टिस यूयू का जन्म 9 नवंबर, 1957 को महाराष्ट्र में हुआ था. उनका पूरा नाम उदय उमेश ललित है. उन्होंने दिसंबर, 1985 तक बंबई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की और जनवरी, 1986 में प्रैक्टिस के लिए दिल्ली आ गए. अप्रैल, 2004 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सुनवाई करने के लिए सीबीआई के लिए उन्हें स्पेशल पब्लिक प्रॉक्जीक्यूटर नियुक्त किया गया. उन्हें 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल 8 नवंबर, 2022 तक रहेगा.