भारत में लगातार किन्नर समुदाय अपनी पहचान और सम्मान के लिए संघर्षरत है. समाज द्वारा हीन भावना से देखे जाने वाले किन्नर अपने अच्छे कामों से लोगों की अपने प्रति दकियानूसी सोच को धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदल रहे हैं. आज बहुत से किन्नरों को उनके लिंग के आधार पर नहीं बल्कि उनके काम के आधार पर जाना जा रहा है.
इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है. जो न सिर्फ राजनैतिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश में सरकार ने राज्य के जाने-माने किन्नर चेहरे, सोनम किन्नर को उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड (उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड) का उपाध्यक्ष बनाया है.
एक किन्नर को मिला राज्य मंत्री का दर्जा:
किन्नर नेता सोनम को ट्रांसजेंडर बोर्ड का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया गया है. जिसके लिए सोनम ने सीएम योगी का आभार व्यक्त किया. बीजेपी पार्टी में शामिल होने से पहले सोनम सपा पार्टी का हिस्सा थीं.
लेकिन उनका कहना है कि सपा में उनसे किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया था. लेकिन अब वह खुश है कि यूपी सरकार ने किन्नरों के हितों का ध्यान रखते हुए न सिर्फ किन्नर बोर्ड का गठन किया बल्कि उन्हें भी साथ में काम करने का मौका दिया.
सोनम का कहना है कि किन्नर कल्याण बोर्ड एलजीबीटी समुदाय के लिए काम कर रहा है. बोर्ड की कोशिश रहेगी कि अगर किसी घर में किन्नर लक्षणों के साथ कोई बच्चा पैदा हो तो उसे घर से न निकाला जाए. ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जिम्मेदारी बोर्ड लेगा और हर सम्भव मदद की जाएगी.
कौन हैं सोनम किन्नर:
सोनम का पूरा नाम किन्नर सोनम चिश्ती है. बताया जाता है कि वह अजमेर से संबंध रखती हैं. लेकिन फिलहाल यूपी के सुल्तानपुर के किन्नर आश्रम की पीठाधीश्वर हैं. पिछले कई सालों से सोनम समाज में किन्नरों को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए काम कर रही हैं. इसके अलावा वह सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रहती हैं.
सुल्तानपुर में सोनम का बहुत मान-सम्मान है और अपने काम के दम पर वह धीरे-धीरे यूपी के लगभग पांच लाख किन्नरों का चेहरा बनकर उभर रही हैं. साल 2018 में सोनम को जिला जज द्वारा पैरा लीगल वॉलंटियर के रूप में भी नियुक्त किया गया था.
यह पहली बार था जब एक किन्नर को यह पद मिला था. इस पद पर चयनित व्यक्ति का काम ऐसे शख्स को न्याय दिलाने का होता है, जो खुद न्याय के लिए लड़ने में असमर्थ है. बताया जाता है कि इस पद के लिए सोनम ने बाकायदा साक्षात्कार दिया था.
सामाजिक कार्यों के साथ सोनम राजनीती में भी सक्रिय रही हैं. उन्होंने अलग-अलग पदों के लिए चुनाव भी लड़े हैं. और अब वह बीजेपी के झंडे तले राजनीती में आगे बढ़ना चाहती हैं.