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Deputy CM: आंध्र प्रदेश, ओडिशा के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी सीएम के साथ डिप्टी सीएम ने ली पद की शपथ, जानिए आखिर क्यों BJP ने बना लिया है उप मुख्यमंत्रियों वाला मॉडल

देश का पहला डिप्टी सीएम अनुग्रह नारायण सिन्हा को माना जाता है. अनुग्रह नारायण सिन्हा आजादी के बाद से जुलाई 1957 तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे थे. पिछले साल जिन नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे, उनमें से सात राज्यों में उपमुख्यमंत्री हैं. देश के कई बड़े राज्यों में बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम वाला मॉडल अपनाया है.

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हाइलाइट्स
  • 14 राज्यों में हैं 23 डिप्टी सीएम

  • मौजूद समय में 15 डिप्टी सीएम हैं बीजेपी से

ओडिशा विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नवीन पटनायक सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है. इस राज्य में भाजपा के नेतृत्व में नई सरकार ने सत्ता संभाल ली है. कई राज्यों में दो डिप्टी सीएम वाला फॉर्मूला लागू करने के बाद अब ओडिशा में भी बीजेपी ने इसे रिपीट किया है.

ओडिशा में मुख्यमंत्री के साथ-साथ दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. ओडिशा के नए मुख्यममंत्री मोहन चरण माझी बने हैं. उनके साथ केवी सिंह देव और पार्वती परीदा को डिप्टी सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई है. आइए जानते हैं आखिर बीजेपी ने बड़े राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ दो उपमुख्यमंत्री का मॉडल क्यों अपनाया है?

किन-किन राज्यों में हैं डिप्टी सीएम 
पिछले साल जिन नौ राज्यों कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मेघालय, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और नागालैंड में विधानसभा चुनाव हुए थे, उनमें से सात राज्यों में उपमुख्यमंत्री हैं. कुल मिलाकर इस समय देश के 14 राज्यों में 23 डिप्टी सीएम हैं. 5 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में एक-एक डिप्टी सीएम हैं.

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नौ राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो डिप्टी सीएम हैं. इनमें से 15 डिप्टी सीएम बीजेपी से, तीन कांग्रेस और पांच अन्य पार्टियों से हैं. आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पार्टी (TDP) सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू चौथी बार सीएम बने हैं. उनके साथ जनसेना प्रमुख और एक्टर पवन कल्याण ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी.

डिप्टी सीएम के मामले में गुजरात है अपवाद
देश के कई बड़े राज्यों में बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम वाला मॉडल अपनाया है जबकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के राज्य गुजरात में इस मॉडल को नहीं अपनाया गया है. यानी यह राज्य इस मामले में अपवाद है. यहां मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने 2021 में पदभार संभाला तो भाजपा ने उपमुख्यमंत्री नियुक्त नहीं किया.बीजेपी ने सबसे पहले यूपी में इस मॉडल की शुरुआत की थी, लेकिन पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों के बाद बड़े राज्यों के लिए इसे एक पैटर्न बना दिया है.  

उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति के कारण अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं. गठबंधन सरकार में यह सहयोगियों को राजनीतिक महत्व देने के लिए हो सकता है जबकि कुछ राज्यों में नेतृत्व संकट को हल करने के लिए और राज्य के जाति समीकरणों को संतुलित करने के लिए भी हो सकता है. डिप्टी सीएम का पद राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि गठबंधन सरकार में यह पार्टी के राजनीतिक वजन को दर्शाता है. यह घोषित करने जैसा है कि जिस नेता को डिप्टी सीएम नियुक्त किया गया है वह सरकार में नंबर 2 है.

क्या संविधान में है डिप्टी सीएम का पद
हमारे संविधान का अनुच्छेद 163 और 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से जुड़े प्रावधान हैं. अनुच्छेद 163 (1) कहता है कि राज्यपाल को सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमंडल होगा. इसमें प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति भी राज्यपाल करेंगे. हालांकि इन दोनों अनुच्छेदों में डिप्टी सीएम पद का जिक्र नहीं है. नीलम संजीव रेड्डी जो 1956 में संयुक्त आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे ने डिप्टी सीएम के पद को हाथ की अवांछित छठी उंगली कहते हुए उपमुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया था.

डिप्टी सीएम कितने पावरफुल
उपमुख्यमंत्री का सरकार में कोई विशेष पद नहीं होता है और उसका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है.इसे वह वेतन और सुविधाएं मिलती हैं जिनका एक कैबिनेट मंत्री हकदार होता है. मुख्यमंत्री के पास यह अधिकार होता है कि राजनीतिक समीकरण बदलने पर वह डिप्टी सीएम को भी हटा सकता है या उन्हें बदल सकता है. संविधान में यह नाम या शक्ति दर्ज न होने के कारण कानूनीतौर पर डिप्टी सीएम कुछ नहीं कर सकता.संवैधानिक पद न होने के कारण इसकी भूमिका और काम को लेकर स्पष्टता नहीं होती.

इन्हें दूसरे कैबिनेट मंत्रियों की तरह ही विभाग दिए जाते हैं. डिप्टी सीएम केवल उन्हीं विभागों की फाइलों को देखता है जिसकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाती है. डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में और उनकी सहमति के बिना कोई आदेश या निर्देश नहीं दे सकता. हालांकि डिप्टी सीएम कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता कर सकता है.आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की स्थिति में डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की जगह ले सकता है.

उपमुख्यमंत्री पद को लेकर क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट
12 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दिया था. ये याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी नाम की संस्था ने दायर की थी और उसने सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक नहीं है.

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद एक ओहदा है और इससे किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता. उन्होंने कहा था कि डिप्टी सीएम बनने से कोई खास सुविधा या ज्यादा सैलरी नहीं मिलती है.सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि एक उप-मुख्यमंत्री राज्य सरकार में सबसे पहला और सबसे अहम मंत्री होता है. डिप्टी सीएम का ओहदा संविधान का उल्लंघन नहीं है.

क्या किसी राज्य में बने हैं दो से अधिक उपमुख्यमंत्री
2019 में जब जगन मोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश की सत्ता संभाली तो उनके पास रिकॉर्ड पांच उपमुख्यमंत्री थे. 2019 में कर्नाटक में भाजपा सरकार ने राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम उठाया, जब उसने तीन उपमुख्यमंत्री पद बनाए. 

किस राज्य में कौन हैं डिप्टी सीएम 
अरुणाचल प्रदेश: पेमा खांडू ने 13 जून 2024 को लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इनके साथ ही चौना मीन ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
बिहार: भाजपा नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा बिहार में मौजूदा उपमुख्यमंत्री हैं. नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद दोनों ने कमान संभाली है.
छत्तीसगढ़: पिछले साल छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बीजेपी नेता अरुण साव और विजय शर्मा ने राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला था. अरुण साव ओबीसी नेता हैं जबकि विजय शर्मा ब्राह्मण हैं.
मध्य प्रदेश: इस राज्य में बीजेपी नेता जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला मौजूदा डिप्टी सीएम हैं. देवड़ा अनुसूचित जाति (एससी) से हैं, राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण हैं.
महाराष्ट्र: इस राज्य को अपने राजनीतिक इतिहास में पहली बार दो उप मुख्यमंत्री मिले जब अजित पवार 2023 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हुए. यह कदम राजनीतिक था क्योंकि भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस और राकांपा के अजित पवार दोनों एक ही सरकार में पद साझा कर रहे थे.
राजस्थान: राजपूत नेता दीया कुमारी और दलित नेता डॉ. प्रेम चंद बैरवा मौजूदा उपमुख्यमंत्री हैं. 
उत्तर प्रदेश: यूपी के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य और ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक राज्य में मौजूदा उप मुख्यमंत्री हैं.
मेघालय: एनपीपी के प्रेस्टोन त्यनसोंग और संगियावभालंग धर राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं. 
नागालैंड: बीजेपी से वाई पैटन और एनडीपीपी से टीआर जेलियांग राज्य के मौजूदा डिप्टी सीएम हैं.
कर्नाटक: उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति केवल एनडीए शासित राज्यों तक ही सीमित नहीं है. कर्नाटक में कांग्रेस ने नेतृत्व के मुद्दे को तब सुलझाया जब उसने डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया.
हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस ने 2022 में हिमाचल प्रदेश में दो वरिष्ठ नेताओं सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के बीच संतुलन बनाने के लिए यही फॉर्मूला अपनाया. सुक्खू को सीएम बनाया गया जबकि अग्निहोत्री डिप्टी सीएम बने.
तेलंगाना: एससी समुदाय से भट्टी विक्रमार्क तेलंगाना में उपमुख्यमंत्री हैं.

(डॉली चिंगखम की रिपोर्ट)