कमलनाथ की कभी कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिनती होती थी. संजय गांधी से दोस्ती थी. राजीव गांधी से बनाव था. इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा कहती थीं. सोनिया गांधी के भी करीबी रहे. इन सब के बावजूद कमलनाथ अब कांग्रेस का हाथ छोड़ने के मूड में आ गए हैं. ऐसी अटकले हैं कि वह कभी भी बीजेपी को ज्वाइन कर सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को एक और बड़ा झटका होगा.
इन सब बातों से आहत कमलनाथ
माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता कमलनाथ (Kamal Nath) राज्यसभा का टिकट नहीं दिए जाने के चलते पाला बदलने के बारे में सोच रहे हैं. इसके अलावा विधानसभा चुनाव में हार का ठिकरा उनके सिर पर फोड़ा गया. बिना उनसे राय लिए प्रदेश अध्यक्ष को चुन लिया गया. उन्हें एक तरह से कांग्रेस ने अलग-थलग कर दिया था. इन सब बातों से कमलनाथ आहत थे. उनके सांसद बेटे नकुलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर से कांग्रेस का लोगो हटा दिया है.
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का जीता था भरोसा
कानपुर के एक कारोबारी परिवार में जन्मे कमलनाथ दून स्कूल में संजय गांधी के क्लासमेट थे. यही से इन दोनों में दोस्ती हुई. कमलनाथ इससे गांधी परिवार के करीब आ गए. वह संजय के तो फ्रेंड थे ही साथ ही राजीव गांधी के भी करीबी रहे. संजय और राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी के भी वे उतने ही भरोसेमंद बने रहे. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी अपना तीसरा बेटा कमलनाथ को कहती थीं. कमलनाथ का रिश्ता इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के साथ बेहद खास था. 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले के दौरान कमलनाथ ने बेहतरीन रोल अदा किया था. इससे इंदिरा गांधी उनसे प्रभावित हो गईं थीं.
छिंदवाड़ा से पहली बार लड़ा लोकसभा चुनाव
कमलनाथ को कांग्रेस ने पहली बार 1980 में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. इंदिरा गांधी खुद कमलनाथ के नामांकन के वक्त छिंदवाड़ा पहुंची थीं. उन्होंने उस समय कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहकर संबोधित किया था. इतना ही नहीं इसके बाद भी कई मौकों पर इंदिरा ने कमलनाथ का परिचय अपने तीसरे बेटे के रूप में कराया.
जब इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी जेल गए तो कमलनाथ भी जेल गए. वह कांग्रेस के पक्के वफादार बन गए थे. उस समय कमलनाथ समेत कुछ अन्य युवा सांसदों की 'संजय के छोड़े' कहकर आलोचना की जाती थी. उस दौर में प्रचलित रहे एक नारे से भी कमलनाथ और गांधी परिवार के रिश्ते का पता चलता है. यह नारा था- इंदिरा गांधी के दो हाथ, संजय गांधी-कमलनाथ.
कमलनाथ के आने से BJP को क्या होगा फायदा
यदि कमलनाथ कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी (BJP) का दामन थामते हैं तो इससे कांग्रेस को जहां काफी नुकसान होगा वहीं भाजपा को काफी फायदा होगा. कमलनाथ के आने से कांग्रेस को बड़ा आर्थिक झटका लगेगा. कमलनाथ को कांग्रेस के लिए फंड जुटाने वाला बड़ा सोर्स माना जाता है. अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण कांग्रेस को छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ चुके हैं. अब पूर्व सीएम कमलनाथ के आने से भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान कहेगी कि यह पार्टी जब पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी अपने साथ नहीं रख पा रही है तो जनता का कैसे ख्याल रख पाएगी. इस फैसले से यह संदेश भी जाएगा कि भाजपा देश की सबसे बड़ी सियासी ताकत है.
एमपी में कांग्रेस के पास कोई बड़ा लोकल नेता नहीं रह जाएगा
इसके अलावा भाजपा में कमलनाथ के आने से एमपी में कांग्रेस (Congress) बहुत कमजोर हो जाएगी. कांग्रेस के पास कोई बड़ा लोकल नेता नहीं रह जाएगा. क्योंकि हिंदुत्व को लेकर गलत बयानबाजी के चलते दिग्विजय सिंह हिंदुओं के बीच मजबूत छाप छोड़ने में असफल हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में लोकसभा हो या कोई अन्य चुनाव भाजपा को काफी फायदा होगा.
कांग्रेस के कई विधायक भी जुड़ सकते हैं बीजेपी से
कमलनाथ यदि कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनके साथ इस पार्टी के कई विधायक और नेता भी भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं. इससे लोकसभा की तैयारियों जुटी बीजेपी को सीधा फायदा होगा. भाजपा इस प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. कमलनाथ कई सालों से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. उनके समर्थकों की संख्या में लगातार बढ़ी है. उनके भाजपा में जाने से कांग्रेस को निश्चित ही बड़ा झटका लगेगा.