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Dubai Tax System ललचा रहा अमीर भारतीयों को अपनी तरफ, X पर CA ने समझाई भारत और दुबई के टैक्स की ABCD

कहने के लिए दुबई एक टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर ज्यादा जाना जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ भारतीय दुबई की तरफ रुख कर रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण है भारत और दुबई की टैक्स पॉलिसी का फर्क.

यूनाइटेड अरब अमीरात का दुबई शहर एक ऐसा शहर है जहां टूरिज्म अपने चरम पर है. दुनिया भर के लोग यहां काम की तलाश में पहुंचते हैं. इसमें केवल बहुत पढ़े-लिखे नहीं बल्कि लेबर क्लास के लोग भी शामिल होते है. इस शहर की सेफ्टी और सिक्योरिटी का ढंका विश्व भर में बजता है. यहां तक भारत के कई नागरिक तो इस शहर में सेटल होने का प्लान बना चुके हैं, तो कई सेटल हो चुके हैं. लेकिन आखिर दुबई शहर भारतीयों तो अपनी तरफ इतना क्यों खींच रहा है.

दुबई के प्रति भारतीयों के खिंचाव को समझाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सीए पारस गंगवाल (@ThetaVegaCap) ने समझाने की कोशिश की है. सीए ने अपनी पोस्ट के जरिए समझाया है कि किस प्रकार भारत और दुबई के टैक्स रेट में फर्क है. इसमें इनकम टैक्स, जीएसटी और कैपिटल गेन को लेकर उन्होंने बात की है. चलिए विस्तार से समझाते हैं क्या कहती है इस सीए की पोस्ट.

इनकम टैक्स
जहां भारत में लोग कड़ी मेहनत करके इनकम जेनरेट करते हैं, तो वह कहीं ना कहीं दिमाग में सोचते हैं कि उन्हें इसको किसी को देना ना पड़े. और अगर इसका हिस्सा सरकार को देना भी पड़े तो वह कम से कम हो. लेकिन भारत में इनकम टैक्स का सिस्टम काफी हद तक उलझा देने वाला है. यहां अलग-अलग इनकम पर अलग-अलग टैक्स लगता है. हर बजट में लोग सोचते हैं कि सरकार इनकम टैक्स में उन्हें राहत दे. 

वहीं अगर दुबई की बात करें तो दुबई में आप जितना कमाते हैं उसके ऊपर आपको एक रुपया भी टैक्स के रूप में देने की कोई जरूरत नहीं होती है. जो कि एक काफी बड़ी वजह है जिसके कारण बड़े-बड़े उद्योगपति दुबई में सेटल होते हैं ताकि उन्हें उनकी इनकम पर किसी प्रकार का टैक्स देने की जरूरत ना पड़े.

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जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स
भारत जीएसटी लोगों के लिए एक गले की हड्डी की तरह है. वह किसी भी प्रकार की खरीददारी करें या फिर किसी भी प्रकार की सर्विस का लाभ उठाएं, जैसे रेस्तरां में खाना खाना आदि, तो उन्हें इसके उपर जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है. साथ ही यदि किसी का छोटा-मोटा धंधा भी है, तो उसके लिए उसे उसके लिए सामान की खरीददारी करनी पड़ती है. तो उस शख्स तो उस सामान पर भी जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है.

सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट के अनुसार भारत में जीएसटी का ऐवरेट रेट 12-18 प्रतिशत है. जबकि वहीं अगर दुबई की बात करें तो दुबई में जीएसटी नाम की कोई चीज़ अस्तित्व में ही नहीं है. वहां चीज़ों पर केवल 5 प्रतिशत वैट यानि वैल्यू एडेड टैक्स देना पड़ता है. वहीं व्यवसाय की बात करें तो दुबई में छोटे बिजनस को किसी भी प्रकार का कॉरपोरेट टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ती है.

कैपिटल गेन टैक्स
भारत में कई ऐसे लोग है जो अपनी सेविंग्स का थोड़ा हिस्सा शेयर मार्केट या किसी ऐसी जगह लगाते हैं जहां से वो थोड़ा प्रोफिट कमा सके. अब भारत में यहां भी एक पेंच है. शेयर मार्केट से होने वाले गेन दो प्रकार के होते हैं. पहला होता है शॉर्ट टर्म गेन. यानि आपने छोटे समय के लिए निवेश किया और मुनाफा कमाया. वहीं दूसरा होता है लॉन्ग टर्म गेन. यानि आपने लंबे समय के लिए निवेश करते हैं जिसके बाद आपको मुनाफा मिलता है. तो इन दोनों मामलों में ही आपको भारत सरकार को अपने पैसे से किए गए निवेश पर मिले मुनाफे पर टैक्स देना होगा.

वहीं अगर इस मामले तो दुबई में देखते हैं तो आप किसी भी प्रकार का निवेश करे तो आपको उस कैपिटल पर जितना भी गेन होता है तो आपको वहां की सरकार को गेन का 0.01 प्रतिशत भी देने की जरूरत नहीं है. निवेश कर कैपिटल गेन से हर कोई जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता है. अब अगर अपने पैसे से कमाए मुनाफे पर भी टैक्स देना पड़े को मन तो खट्टा होगा ही. यह भी एक बड़ी वजह है कि भारत दुबई शहर की तरफ रुख कर रहे हैं.