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Gyanvapi Mosque Scientific Survey: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी सर्वे पर 26 तक लगाई रोक, जानें क्या है ASI और वैज्ञानिक सर्वेक्षण वाला ये पूरा मामला 

Gyanvapi Mosque: सोमवार को ज्ञानवापी सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने का आदेश भी दिया है.

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हाइलाइट्स
  • ASI करने वाली था ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण

  • SC ने ज्ञानवापी सर्वे पर 26 तक लगाई रोक,

एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद चर्चा में है. सोमवार को ज्ञानवापी सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने का आदेश भी दिया है. दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को परिसर का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करना था. इसके जवाब में सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के लिए वाराणसी जिला कोर्ट के निर्देश को 26 जुलाई शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाना चाहिए. SC ने इस बीच मस्जिद समिति को जिला न्यायालय के खिलाफ इलाहाबाद HC से संपर्क करने की अनुमति देने का आदेश पारित किया है.

बता दें, मस्जिद की प्रबंधन समिति ने वाराणसी जिला अदालत के सर्वेक्षण की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. वाराणसी अदालत ने यह पता लगाने के लिए कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी, ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद हिस्से को छोड़कर, ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेड वाले क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसमें कोर्ट का मानना थी कि सही तथ्य सामने आने के लिए वैज्ञानिक जांच की जरूरत है. हालांकि, इसपर रोक लगा दी गई है. 

ज्ञानवापी मस्जिद के 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण से क्या फायदा होगा? 

दरअसल, ये वैज्ञानिक सर्वे मस्जिद के बैरिकेड वाले क्षेत्र का किया जाना था. इसमें ये पता लगाया जाना था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी या नहीं. हालांकि, सर्वेक्षण में इसके सीलबंद भाग को शामिल नहीं किया जाना था. इसके अलावा, एएसआई ज्ञानवापी परिसर के तीन गुंबदों के साथ पश्चिमी दीवार और पूरे परिसर का भी सर्वेक्षण होना था.  

बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद में बैरिकेडेड 'वजूखाना' एक ऐसी संरचना है जिस पर हिंदू वादियों ने दावा किया है कि जहां 'शिवलिंग' मौजूद है. अपनी इस रिपोर्ट को एएसआई 4 अगस्त तक सौंपने वाली थी. ये वही दिन है जिस दिन अगली सुनवाई होने वाली है.

क्या है ज्ञानवापी मस्जिद मामला?

1991 में बाबरी मस्जिद विध्वंस से एक साल पहले वाराणसी में साधुओं के एक समूह ने अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी. इसके तीस साल बाद 2021 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी. इसमें एएसआई के सर्वेक्षण को निलंबित कर दिया गया था. एएसआई तब ये रिसर्च कर रही थी कि क्या 17 वीं शताब्दी की मस्जिद के निर्माण के लिए एक हिंदू मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ा गया था या नहीं?

ज्ञानवापी मस्जिद पर मौजूदा विवाद कैसे शुरू हुआ?

मौजूदा विवाद तब खड़ा हुआ जब पांच हिंदू महिलाओं ने कोर्ट में केस दायर किया. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर श्रृंगार गौरी और दूसरी मूर्तियों की पूजा करने की मांग की. अदालत ने ज्ञानवापी-गौरी श्रृंगार परिसर के तहखानों का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए एक समिति नियुक्त की. मस्जिद समिति की आपत्तियों के बीच सर्वेक्षण रोक दिया गया था. इसमें दावा किया गया था कि अदालत द्वारा नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त के पास परिसर के अंदर फिल्म बनाने का अधिकार नहीं है. इसके बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 14 मई को फिर से इस सर्वेक्षण को शुरू किया गया जिसमें समिति ने ज्ञानवापी-गौरी श्रृंगार परिसर में दो तहखानों का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी पूरी की.

क्या है दोनों पक्षों का दावा?

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण 16 मई को पूरा हुआ था. मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद परिसर में एक जलाशय के अंदर एक 'शिवलिंग' पाया गया था. हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने दावे को खारिज कर दिया और कहा कि यह केवल एक 'फव्वारा' था.