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बच्चे ने कोई अपराध होते हुए देखा… क्या उसकी गवाही कोर्ट में मानी जाएगी? Supreme Court ने सुनाया अपना 'सुप्रीम' फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बच्चे की गवाही में कुछ छोटे-मोटे सुधार या परिवर्तन नजर आते हैं, तो इससे पूरी गवाही को गलत नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी गवाह की गवाही सिखाई हुई पाई जाती है, तो उसे प्रमाणिक नहीं माना जाएगा. लेकिन अगर बच्चे ने जो देखा और महसूस किया है, वही बयान दिया है, तो उसकी गवाही को पूरी तरह से मान्य किया जा सकता है.

क्या बच्चा कोर्ट में गवाही दे सकता है? (प्रतीकात्मक तस्वीर/AI) क्या बच्चा कोर्ट में गवाही दे सकता है? (प्रतीकात्मक तस्वीर/AI)
हाइलाइट्स
  • गवाही को मानने से पहले प्रक्रिया अपनानी होगी

  • सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है

अगर कोई बच्चा किसी अपराध का गवाह हो तो क्या उसकी गवाही अदालत में मानी जाएगी? क्या किसी बच्चे की बात को सिर्फ इस आधार पर खारिज किया जा सकता है कि वह कम उम्र का है? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने इस पर एक अहम फैसला सुनाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) के तहत किसी भी व्यक्ति की गवाही को उसकी उम्र के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता. यानी कोई भी बच्चा, यदि वह सवालों को समझने और तर्कसंगत उत्तर देने में सक्षम है, तो उसकी गवाही भी मान्य होगी.

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा: "एविडेंस एक्ट में गवाही देने के लिए कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं की गई है. इस आधार पर किसी भी बाल गवाह (Child Witness) की गवाही को पूरी तरह से अस्वीकार नहीं किया जा सकता."

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क्या बच्चे की गवाही को बिना किसी प्रमाण के माना जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी बाल गवाह की गवाही को इस शर्त पर नहीं टाला जा सकता कि उसे दूसरे सबूतों से प्रमाणित किया जाए. हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि बच्चे आसानी से प्रभावित हो सकते हैं और उन्हें गवाही देने से पहले सिखाया या तैयार किया जा सकता है. इसलिए, ट्रायल कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चा स्वतः और निष्पक्ष रूप से गवाही दे रहा है.

बाल गवाह की गवाही को मानने से पहले क्या प्रक्रिया अपनानी होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रक्रिया भी बताई, जिसे ट्रायल कोर्ट को अपनाना होगा:

  • गवाही देने से पहले बच्चे की जांच होगी- कोर्ट यह परखेगा कि क्या बच्चा सवालों को समझ सकता है और तार्किक उत्तर दे सकता है.
  • गवाही से पहले कोर्ट अपनी राय दर्ज करेगा- ट्रायल कोर्ट को लिखित रूप से यह दर्ज करना होगा कि बच्चा सच्चाई को समझता है और गवाही देने योग्य है.
  • बच्चे के हावभाव और जवाब देने की क्षमता की जांच की जाएगी- अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चा सहज रूप से और बिना किसी डर या दबाव के गवाही दे रहा है.
  • गवाही के लिए किसी अतिरिक्त सबूत की जरूरत नहीं- अगर बच्चे की गवाही विश्वसनीय लगती है, तो उसे अन्य सबूतों से जोड़ने की जरूरत नहीं होगी.
  • कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे को सिखाया या गवाही के लिए तैयार नहीं किया गया है- अगर यह साबित हो जाए कि बच्चे को गवाही देने से पहले किसी ने सिखाया या प्रभावित किया है, तो उसकी गवाही संदेहास्पद मानी जाएगी.

क्या है इस फैसले के पीछे की कहानी?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मध्य प्रदेश में हुई एक हत्या के मामले से जुड़ा है. इस मामले में एक सात वर्षीय बच्ची ने अपनी मां की हत्या होते हुए देखी थी. उसने कोर्ट में अपने पिता के खिलाफ गवाही दी, जिसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी और गुपचुप तरीके से उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था.
ट्रायल कोर्ट ने बच्ची की गवाही को मान्य ठहराया और आरोपी को दोषी करार दिया, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया और आरोपी को बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि बच्ची की गवाही भरोसेमंद नहीं है और वह सिखाई हुई हो सकती है.

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि बच्चे की गवाही को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि वह कम उम्र का है.

क्या कोई भी बच्चा गवाही दे सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई भी बच्चा गवाही दे सकता है, लेकिन उसकी गवाही को मान्य ठहराने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा:

  1. क्या बच्चा सवालों को समझ पा रहा है?
  2. क्या बच्चा तर्कसंगत और तार्किक उत्तर दे रहा है?
  3. क्या बच्चा सच बोलने के महत्व को समझता है?
  4. क्या बच्चा किसी के प्रभाव में आकर बोल रहा है या अपनी स्वतंत्र राय दे रहा है?

अगर ये सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो बच्चे की गवाही को अदालत में वैध माना जाएगा.

क्या कोर्ट ने बच्चों की गवाही के बारे में कोई चेतावनी दी है?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों की गवाही को सावधानी से परखा जाना चाहिए, क्योंकि बच्चे आसानी से प्रभावित हो सकते हैं. उनकी गवाही को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन इस बात की संभावना को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उन्हें सिखाया गया हो या वे दबाव में बोल रहे हों.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी गवाह की गवाही सिखाई हुई पाई जाती है, तो उसे प्रमाणिक नहीं माना जाएगा. लेकिन अगर बच्चे ने जो देखा और महसूस किया है, वही बयान दिया है, तो उसकी गवाही को पूरी तरह से मान्य किया जा सकता है.

क्या होगा अगर बच्चा कुछ झूठ बोल दे या सिखाई गई बातें दोहरा दे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बच्चे की गवाही में कुछ छोटे-मोटे सुधार या परिवर्तन नजर आते हैं, तो इससे पूरी गवाही को गलत नहीं माना जा सकता. SC ने कहा, "अगर कोई बच्चा लंबी जिरह के बावजूद स्पष्ट और ठोस गवाही देता है, और उसका बयान किसी अन्य प्रमाण से मेल खाता है, तो उसे सिर्फ इस कारण खारिज नहीं किया जा सकता कि वह बच्चा है."