दिवाली की शाम से चलने वाली हवाओं की वजह से प्रदूषण का जो स्तर पहले बेहद खतरनाक हो जाता था वह इस बार दिखाई नहीं दिया. ये सब कुछ हुआ क्योंकि उत्तर पश्चिम दिशा से हवाएं लगातार चल रही हैं और कई दिनों से हवा का यही डायरेक्शन लगातार बना हुआ है. हवा की रफ्तार 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा है. हालांकि दिल्ली एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स अभी भी बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है.
बड़े बदलाव के रूप में
हवाओं की रफ्तार अब कम होगी और इसकी दिशा भी बदलेगी. 3 नवंबर की शाम से हवाओं की दिशा दक्षिण पूर्वी हो जाएगी और रफ्तार कम हो जाएगी पराली का धुआं नहीं पहुंचेगा लेकिन लोकल पॉल्यूशन बढ़ सकता है. स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत ने बताया कि प्रदूषण में वृद्धि देखने को मिलेगी इसके पीछे हवा की स्पीड कम होना और प्रदूषण कारी तत्वों का इकट्ठा होना है.
ला नीना का दिल्ली के प्रदूषण पर असर
पिछले साल इसी दौरान अल नीनो था लेकिन इस साल ला नीना भी नहीं बना है. स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत का कहना है, ला नीना बनने वाला है जो काफी कमजोर बनेगा. यानी ला नीना का भी कोई असर नहीं पड़ेगा प्रदूषण पर हवा की रफ्तार का ही असर पड़ता है. यानी हवा की स्पीड या बारिश ही दिल्ली को कुछ राहत दिला सकती है. अगले एक सप्ताह तक कोई भी बड़ा वेस्टर्न डिस्टरबेंस नहीं आ रहा है. जो दिल्ली एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में बारिश करवा दे. अगर बारिश हो जाती है तभी प्रदूषण कम हो सकेगा. हालांकि अभी तक इसकी कोई संभावना नजर नहीं आती. हवाओं की रफ्तार कम होना और बारिश का ना होना दो फैक्टर हैं कि दिल्ली एनसीआर का मौसम वेरी पुअर कैटेगरी में बना रहेगा.
ला नीना पर मौसम विभाग
मौसम विभाग के मुताबिक नवंबर दिसंबर में ला नीना बनने की संभावना है. आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि ला नीना आमतौर पर सर्दियों के दौरान उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में तापमान में गिरावट से जुड़ा होता है. अनुकूल परिस्थितिया होने के बावजूद ला नी ना की स्थिति अभी तक विकसित नहीं हुई है. दरअसल ला नीना का सीधा कनेक्शन सर्दियों से है. यही वजह है कि अभी तक बीते अक्टूबर और नवंबर में गर्मी भी पड़ रही है.
7 में से 1 वैदर मॉडल ने कही ये बात
ऑस्ट्रेलिया की वेदर एजेंसी ने अपने ताजा क्लाइमेट ड्राइवर अपडेट में कहा है कि 7 में से केवल एक वेदर मॉडल ने इस बात की संभावना जाहिर की है कि नवंबर से फरवरी की अवधि में ला नी ना एक्टिव हो सकता है. साल 2020 से 2023 तक लगातार 3 साल ला नीना का प्रभाव देखा गया जिसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में बड़े मौसमी बदलाव दिखे.
-राम किंकर सिंह की रिपोर्ट