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Heatwave in India: रेड जोन, येलो जोन, ग्रीन जोन... Heat stroke के मरीजों के लिए कुछ ऐसी है RML Hospital की तैयारी

हीटवेव के मामलों के लिए आरएमएल अस्पताल ने तीन श्रेणियां तैयार की हैं. रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन. अस्पताल नाजुक मामलों को रेड जोन में डाल रहा है. जो मामले खतरे से खाली हैं उन्हें येलो जोन में डाला जा रहा है, जबकि छोटे-मोटे मामलों को ग्रीन जोन में रखा जा रहा है. 

अस्पताल ने पिछले महीने हीट स्ट्रोक यूनिट शुरू किया था. अस्पताल ने पिछले महीने हीट स्ट्रोक यूनिट शुरू किया था.
हाइलाइट्स
  • लू से पिछले 72 घंटों में 15 लोगों की मौत

  • आरएमएल में उत्तर भारत का पहला हीट स्ट्रोक यूनिट

उत्तर भारत में इस समय बेहद खतरनाक लू (Heatwave) चल रही है. गर्मी का आलम यह है कि दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ पिछले 72 घंटे में 15 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसकी वजह से अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ गई है. दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए एक एक्शन प्लान तैयार किया है. 

बनाए गए रेड, येलो, ग्रीन जोन
हीटवेव के मामलों के लिए आरएमएल अस्पताल ने तीन श्रेणियां तैयार की हैं. रेड जोन, येलो जोन और ग्रीन जोन. इंडियन एक्सप्रेस की ओर से बुधवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, अस्पताल नाजुक मामलों को रेड जोन में डाल रहा है. जो मामले खतरे से खाली हैं उन्हें येलो जोन में डाला जा रहा है, जबकि छोटे-मोटे मामलों को ग्रीन जोन में रखा जा रहा है. 

रिपोर्ट के अनुसार, महिपालपुर में काम करने वाला दिहाड़ी मजदूर राजू मंगलवार को हीटस्ट्रोक की समस्या के साथ आरएमएल अस्पताल में भर्ती हुआ. डॉक्टरों ने राजू को फौरन रेड जोन में डाल दिया और भीषण हीटस्ट्रोक पड़ने के कारण उसे 'हीटस्ट्रोक यूनिट' में भर्ती किया गया. 

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हीट स्ट्रोक यूनिट में बाथ टब, बर्फ
राजू की पत्नी अंजना कुमारी ने अपने पति की स्थिति के बारे में बताया, "वह एक दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं. वह सोमवार को पूरा दिन काम करने के बाद शाम 7-7.30 बजे घर लौटे तब वह ठीक थे. हमारी झुग्गी में एक पंखा है, लेकिन वह काम नहीं कर रहा था. जब मेरे पति सोने गए तो पूरे इलाके की लाइट कट गई." 
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वह बताती हैं, "जब घर में घुटन होने लगी तो वह बाहर सोने चले गए लेकिन सो नहीं सके. कुछ घंटे बाद उन्हें घबराहट होने लगी." 

सुबह 10 बजे अस्पताल पहुंचे राजू को हीट स्ट्रोक यूनिट में भर्ती करने के लिए डॉक्टरों ने ज्यादा समय नहीं लिया. जब राजू अस्पताल पहुंचे तो उनके शरीर का तापमान 107 डिग्री फारेनहाइट था. अंजाना बताती हैं कि राजू को दौरे भी पड़ रहे थे और उन्हें लगातार उल्टी-दस्त भी हो रहा था. हालांकि उन्हें पसीना नहीं आ रहा था. इन्हीं लक्षणों को देखते हुए राजू को हीट स्ट्रोक यूनिट में भर्ती कराया गया. वहां उन्हें ठंडे पानी और बर्फ से भरे एक बाथ टब में रखा गया, ताकि उनके शरीर का तापमान काबू में आ सके. अंजना बताती हैं कि राजू को आधा घंटा बाथ टब में रखने के बाद उन्हें रेड जोन में भर्ती किया गया. 

हीट स्ट्रोक के मरीजों को कब कराएं भर्ती?
डॉक्टरों का कहना है कि राजू लू लगने के करीब 12 घंटे बाद अस्पताल पहुंचे. आरएमएल अस्पताल में इमरजेंसी विभाग की प्रमुख डॉ. सीमा बालकृष्ण वासनिक का कहना है कि हीट स्ट्रोक के मरीज देर से आते हैं, जिससे उनकी हालत संभालना एक बड़ी चुनौती बन जाता है. वह कहती हैं, "वे लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं और अस्पताल नहीं जाते हैं. बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए इलाज के लिए जरूरी है कि मरीज को तुरंत बर्फ और ठंडे पानी में डुबोया जाए." 

रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ मंगलवार को हीट स्ट्रोक यूनिट में चार मरीज आए जिन्हें बाद में आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया. 'येलो जोन' में 36 मरीज गर्मी से संबंधित बीमारियों के बाद तेज बुखार से पीड़ित थे. आरएमएल अस्पताल की इमरजेंसी कार्डियक एंड स्ट्रोक सिस्टम में हीट स्ट्रोक से पीड़ित सात मरीजों को भर्ती कराया गया. 

मई में शुरू किया गया था हीट स्ट्रोक यूनिट 
हीट स्ट्रोक के रोगियों के लिए यह यूनिट 8 मई को शुरू किया गया था. यह उत्तर भारत का पहला हीट स्ट्रोक यूनिट है. अस्पताल ने दिल्ली में बढ़ते तापमान को देखकर यह फैसला किया. इस यूनिट में दो बाथटब, एक बर्फ बनाने वाली मशीन और दो वेंटिलेटर बेड शामिल थे. अगर दो से ज्यादा हीट स्ट्रोक के मामले आते हैं तो वेंटिलेटर बेड में से एक पर हवा भरने वाला पानी का टब (Inflatable Tub) भी मौजूद होता है. 

अब तक यूनिट में करीब 20-25 मरीज भर्ती हो चुके हैं. वासनिक का कहना है कि आरएमएल की हीट स्ट्रोक यूनिट उत्तर भारत में पहली ऐसी विशेष सुविधा है और इसे विशेष रूप से गर्मी से संबंधित बीमारी के रोगियों की देखभाल के लिए लॉन्च किया गया था. वह कहती हैं, ''हमने अनुमान लगाया था कि बढ़ते तापमान के कारण हमें आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ सकता है."