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जेल में ही पढ़ाई कर जला रही है शिक्षा की ज्योति, 14 निरक्षर महिलाओं को कर चुकी है साक्षर

अलका की इस मुहिम को जेल प्रशासन ने हाथों हाथ लिया और न सिर्फ अलका को जेल में क्लास लगाने की अनुमति दी बल्कि कॉपी किताबें और स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई. जेल अधीक्षक समय समय पर आकर क्लास का निरीक्षण करते हैं

जेल में महिला कैदियों को शिक्षा जेल में महिला कैदियों को शिक्षा
हाइलाइट्स
  • एटा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रही है अलका.

  • जेल में ही कैदी महिलाओं को पढ़ाती-लिखाती है.

विपरीत परिस्थितियों में जब लोग टूट जाते हैं तब आजीवन कारावास की सजा काट रही अलका ने जेल में ही पड़कर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. अब वो अपनी ही तरह जेल की सजा काट रही महिलाओं और बच्चों में शिक्षा की रोशनी फैला रही हैं. जेल में रोज कक्षा चलती है जिसमें बंदी महिलाएं पड़ने लिखने आती हैं. अलका का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें सुकून मिलता है. उनका मानना है कि महिलाओं के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है.

अलीगढ़ की रहने वाली अलका ने शादी से पहले इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की थी लेकिन 2010 मैं घर में देवरानी की मौत के बाद केस में अलका का भी नाम आया और उन्हें सजा हो गयी. अलका की शादी महज 17 वर्ष की उम्र में ही 1999 में मनोज वार्ष्णेय से हो गयी थी. शादी से पहले अलका सिर्फ इंटर तक पड़ी थी.अलका के दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी है. दुर्भाग्यवश 2010 में अलका की देवरानी की मौत हो गयी और दहेज हत्या के इस केस में अलका का नाम आया और अलका को जेल हो गयी. 

आजीवन कारावास की सजा काट रही है अलका 

जेल में रहते ही कोर्ट ने अलका को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. आजीवन कारावास की सजा मिलते ही निराशा में डूबी अलका को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे. ऐसी बिषम परिस्थितियों में अलका ने आगे पड़ने की मन में ठान ली और जेल अधिकारियों से ग्रेजुएशन करने की अनुमति मांगी. जेल प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद अलका ने पत्राचार के जरिये जेल से ही पहले ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
 
अलका खुद अपने बारे में बताती हैं,  "2017 में मुझे सजा मिली उसके बाद मैं जेल में आई. यहां पर विनीता मैडम थी. मैं इधर-उधर बैठकर रोती रहती थी तो मैडम ने बुलाकर पूछा तुम क्यों रोती हो? मुझे विनीता मैडम बोली इधर-उधर बैठने से दिमाग ही खराब होता है पढ़ी लिखी हो पढ़ लो. यहां पर पढ़ने की व्यवस्था है फिर वहां पर मुझे BA का फॉर्म भरवाया MA करवाया. फिर हालात ऐसे बने कि हम 12 महिलाओं को अलीगढ़ से एटा जेल लाया गया." 

अलका ने आगे बताया, "यहां भी टेंशन थी कि मुलाकात कैसे होगी कैसे होगा क्या होगा. फिर मैंने सोचा क्यों ना महिलाओं को पढ़ाने का काम किया जाए. यहां पर पुष्पा दीदी हैं मैंने उनसे बात की थी कि मैं महिलाओं को पढ़ाना चाहती हूं. फिर उन्होंने साहब से बात कि तो उन्होंने मुझे सहयोग किया, किताब कॉपी की व्यवस्था की. जिसके बाद कुछ महिलाएं आयीं जिन्हें हमने पढ़ाना शुरू किया. महिलाओं ने भी बहुत सहयोग किया."

एटा जेल में महिला कैदियों को कर रही है शिक्षित 
 
दो साल पहले अलीगढ़ जेल प्रशासन ने कैदी अलका को 11 अन्य कैदी महिलाओं सहित एटा जेल स्थानांतरित कर दिया. एटा जेल आने के बाद अलका का मन नहीं लगा और उसने अपनी ही तरह की अन्य महिला कैदियों को शिक्षित करने के बारे में विचार किया. अलका ने जब जेल प्रशासन से महिला कैदियों को शिक्षित करने के लिए क्लास लगाने की अनुमति मांगी तो जेल प्रशासन ने इसकी अनुमति देते हुए अलका को भरपूर सहयोग दिया. जेल में अलका की इस मुहिम में पूरा जेल प्रशासन साथ है और इस मुहिम के लिए अलका का शुक्रगुजार भी है. 

जेल प्रशासन भी करता है प्रशंसा

अलका की इस मुहिम को जेल प्रशासन ने हाथों हाथ लिया और न सिर्फ अलका को जेल में क्लास लगाने की अनुमति दी बल्कि कॉपी किताबें और अन्य स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई. जेल अधीक्षक समय समय पर आकर क्लास का निरीक्षण करते हैं और कैदी महिलाओं से बातचीत कर उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी लेते रहते हैं. जेल में कैदी अलका के इस प्रयास और मुहिम की जेल प्रशासन प्रशंसा करते नहीं थकता. 

जेल अधीक्षक अमित चौधरी का कहना है, "देखिए कारागार की जो संकल्पना है वह आजाद भारत में एक सुधार ग्रह के रूप में रही है. ऐसे में उसी दिशा में सोचते हुए हमने यह देखा कि शिक्षा कारागार में सुधार की दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकती है. ऐसे में अलका ने जब यहां पढ़ाने की इच्छा जाहिर की तो हमने भी सहयोग करते हुए उसको पुस्तक उपलब्ध कराई. उसने यहां पर पढ़ाना शुरू किया तो उसके परिणाम भी हमको बहुत अच्छे देखने को मिले. ये सभी कैदी महिलाएं जब जेल से बाहर जाएं तो शिक्षा के रूप में कुछ सीख कर आएं."

कैदी महिलाएं जेल में मिल रहे इस सुनहरे अवसर को पाकर काफी खुश हैं
 
सभी कैदी महिलाएं अलका को दीदी कह कर पुकारती हैं. महिला कैदी जेल में मिल रहे इस सुनहरे अवसर को पाकर काफी खुश हैं. अब यह महिलाएं आगे भी पड़ना चाहती हैं. कल्लो नाम की महिला कैदी कहती हैं, "मुझे पढ़ाई करके बहुत अच्छा लगता है. मैं कुछ जानती नहीं थी मैं अंगूठा छाप थी. अब अपने परिवार के, अपने बच्चों के, अपने माता-पिता के, सबके नाम लिख लेती हूं. कुछ लिखा हुआ पढ़ भी लेती हूं मैं यह चाहती हूं कि मैं जब तक यहां हूं मुझे आगे पढ़ाया जाए और मैं आगे तक पढ़ना चाहती हूं." महिला कैदी तारावती का कहना है, " हम पढ़ना चाहते हैं. जेल में हमारे पति नहीं है इस वजह से ज्यादा टेंशन रहती है. कुछ पढ़-लिख लें इसलिए सीख रहे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है पढ़कर." इस कठिन परिस्थिति में भी जहां जिंदगी में सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा फैला हो वहां अलका ने शिक्षा से खुद को रोशन किया. साथ ही उसने अपनी मुहिम के जरिए निराशा के गर्त में डूबी अन्य महिलाओं के जीवन में शिक्षा की रोशनी जगमगा दी.

(एटा से देवेश पाल सिंह की रिपोर्ट)