सेना में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने आर्टिलरी में महिला अधिकारियों को शामिल करने का फैसला किया है. बता दें, ये भआरतीय आर्मी के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है. इससे महिलाओं को उनके कौशल और क्षमताओं के हिसाब से बड़ी रैंकों तक पहुंचने में मदद मिलेगी. सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को साल की पहली कॉन्फ्रेंस करते हुए इस बात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना के आर्टिलरी रेजिमेंट में महिला अधिकारियों को कमीशन किया जाएगा. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है.
आर्टिलरी रेजिमेंट है सेना का महत्वपूर्ण हिस्सा
बताते चलें कि इन्फेंट्री के बाद, भारतीय सेना में आर्टिलरी रेजिमेंट दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है. इसे 'आर्म ऑफ डिसीजन' भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि आर्टिलरी रेजिमेंट मिसाइलों, बंदूकों, 105 मिमी फील्ड गन, ऑटोमैटिक बंदूकों, रूसी स्मर्च, ग्रेड यूनिट, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर और यूएवी वाहनों से लैस है. इसके अलावा आर्टिलरी में लगभग 300 रेजिमेंट हैं. हर रेजिमेंट में 18 बंदूकें, और कुछ 5,000 अधिकारी होते हैं. आर्टिलरी में शामिल होने वाली महिला अधिकारी जल्द ही K-9 वज्र और बोफोर्स हॉवित्जर जैसे लड़ाकू हथियारों का संचालन करती नजर आएंगी.
चीन के बारे में भी की बात
आर्मी चीफ मनोज पांडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चीन से सीमा विवाद के बारे में भी बात की. आर्मी चीफ ने पड़ोसी चीन से सीमा विवाद पर कहा कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा पर कोई खतरा नहीं है वहां हालात फिलहाल स्थिर हैं. तो वहीं लद्दाख में चीन के साथ 7 में से 5 जगहों पर जो पहले विवाद चल रहा था उसे सुलझा लिया गया है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वहां हालात कुछ अनुमानित भी नहीं है. उन्होंने कहा, "हम सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर बात करना जारी रखते हैं.
इसके बाद आर्मी चीफ मनोज पांडे ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 में जिस संघर्षविराम समझौते पर सहमति बनी थी, वह सही चल रहा है. वहीं, जनरल पांडे ने कहा कि आतंकवाद को सीमा पार से समर्थन और आतंकी ढांचा अभी भी बना हुआ है.