भारतीय वायु सेना ने ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी को पश्चिमी क्षेत्र में फ्रंटलाइन कॉम्बैट यूनिट की कमान संभालने के लिए चुना है. इंडिया एयर फाॅर्स के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब कोई महिला ऑफिसर कॉम्बैट यूनिट को कमांड करने वाली हैं. बताते चलें, इस मार्च की शुरुआत में, सेना ने मेडिकल स्ट्रीम के बाहर पहली बार महिला अधिकारियों को कमान सौंपने की शुरुआत की है. उनमें से लगभग 50 आगे अलग-अलग डिफेंस यूनिट का नेतृत्व करेंगी.
ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी को साल 2003 में एक हेलीकाप्टर पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था. फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर शालिजा ने पश्चिमी क्षेत्र में एक हेलीकाप्टर यूनिट की फ्लाइट कमांडर के रूप में काम किया है. बताते चलें कि भारतीय वायुसेना में एक ग्रुप कैप्टन सेना में एक कर्नल के बराबर होता है.
9वीं कक्षा से ही देखा पायलट बनने का सपना
एक इंटरव्यू में शालिजा बताती हैं कि उनका जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ, माता-पिता के पास सरकारी नौकरी थी तो उन्होंने 9वीं कक्षा से पायलट बनने का सपना देखा था. उन्होंने अपनी पहली सोलो फ्लाइट 2003 में हैदराबाद में एचपीटी -32 दीपक, ट्रेनर एयरक्राफ्ट पर भरी थी, और 2017 तक, उन्होंने हवा में 2,300 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरी थी. ये वही साल था जब वे इंडियन एयर फाॅर्स की पहली महिला फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर बनीं थीं.
15 साल से कर रही हैं देश की सेवा
बताते चलें इससे पहले जब शालिजा धामी भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर थीं तब उन्हें फ्लाइंग यूनिट की फ्लाइट कमांडर बनाया गया था. ऐसा करने वाली भी वे पहली महिला ऑफिसर थीं. बताते चलें फ्लाइट कमांडर यूनिट की कमान में दूसरे नंबर पर होता है. शालिजा 15 साल से एयर फाॅर्स में सेवा दे रही हैं हैं, इतना ही नहीं बल्कि चॉपर भी उड़ा रही हैं. वह वायु सेना की पहली महिला फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी बनी चुकी हैं साथ ही फ्लाइंग ब्रांच का स्थायी कमीशन पाने वाली पहली महिला अधिकारी भी हैं.
उड़ाती हैं चेतक हेलीकॉप्टर
कॉम्बैट यूनिट को कमांड करने से पहले, साल 2019 में शालिजा ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हिंडन हवाई अड्डे पर चेतक हेलीकॉप्टर यूनिट के फ्लाइट कमांडर के रूप में पदभार संभाल रखा था. बता दें, चेतक एक सिंगल इंजन टर्बो शाफ्ट है, जिसमें 6 यात्रियों की क्षमता होती है. ये एक लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर है, जिसकी अधिकतम स्पीड 220 किमी/घंटा है.