पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संकट के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 22 अप्रैल को दुनियाभर में 'पृथ्वी दिवस' (Earth Day 2022) मनाया जाता है. हर साल कोई न कोई थीम तय की जाती है ताकि लोग पृथ्वी के महत्व को समझें. इस साल के लिए हमारी थीम है - Invest In Our Planet यानी कि हर किसी को अपने ग्रह के संरक्षण के लिए निवेश करना चाहिए.
इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे किसान के बारे में, जो न सिर्फ आज से बल्कि पिछले 12 साल से धरती के संरक्षण में जुटे हुए हैं. यह कहानी है राजस्थान में जयपुर के भैराणा गांव निवासी 59 साल के सुरेंद्र अवाना की, जो एक प्रगतिशील किसान हैं. सुरेंद्र अवाना पिछले कई सालों से इंटीग्रेटेड मॉडल से खेती कर रहे हैं, जिसमें वह प्रकृति-आधारित और जैविक खेती करते हैं.
हर दिन लगाते हैं एक पौधा
खेती करने के साथ-साथ सुरेंद्र अवाना एक काम नियमित रूप से करते हैं. वह है हर दिन एक पेड़ लगाना. सुबह अपने घर से निकलने के बाद वह सबसे पहले यही काम करते हैं. उन्हें जहां भी खाली जगह दिखती है, वहीं सुरेंद्र पेड़-पौधे लगाना शुरू कर देते हैं. और तो और लगभग डेढ-दो साल तक इन पौधों की देखभाल का भी ध्यान रखते हैं. सुरेंद्र अवाना ने बताया कि उन्हें बचपन से ही हरियाली से प्यार रहा है. इसलिए जब भी मौका मिलता तो पौधे लगाते.
हालांकि, पहले वह सिर्फ खास मौकों पर पौधे लगाते थे जैसे हरियालो राजस्थान उत्सव, स्वतंत्रता दिवस, पर्यावरण दिवस, जन्मदिवस आदि. लेकिन जंगलो को खत्म होते देख उन्हें लगा कि यह काफी नहीं है. इसके बाद, 1 जुलाई 2010 से, उन्होंने हर दिन एक पौधा लगाने का फैसला किया. इसके अलावा खास दिनों पर ज्यादा संख्या में पौधे लगाए जाते हैं. उन्होंने अब तक अपने गांव में, जयपुर के कई ईलाकों में और अपने खेतों के आसपास पौधे लगाए हैं.
अपने खर्चे से लगा दिए 1 लाख से ज्यादा पौधे
सुरेंद्र अवाना बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत से ही पौधरोपण के लिए अपने साल का बजट बना लिया था. हर साल अपनी कमाई का कुछ हिस्सा वह सिर्फ इस काम के लिए रखते हैं. उनका कहना है कि वह अलग-अलग जगहों पर अब तक 1 लाख से ज्यादा पौधरोपण कर चुके हैं. जिनमें से लगभग 80 हजार पौधे अब पेड़ बनकर लोगों के काम आ रहे हैं. अगर वह कभी अपने गांव से बाहर होते हैं तो उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य पौधा लगाता है.
पिछले काफी समय से वह अलग-अलग जगह छोटे-छोटे जंगल बना रहे हैं जैसे औषधि वन, जिसमें सभी औषधीय पेड़ हैं. एक जगह पशुओं के लिए उन्होंने चारा वानिकी भी लगाई है ताकि पशुओं का पेट भर सके. उनका कहना है कि लोग अगर अपने घर में या आसपास खाली पड़ी जगहों में पौधे लगाकर भी पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं. अपने स्थानीय इलाके में होने वाली प्रजातियों के पौधे लगाने से क्लाइमेट भी सुधरेगा.
आखिर में किसान सुरेंद्र अवाना कहते हैं कि पहले जो लोग उन्हें ‘बावला’ बताते थे. आज वही लोग उनके लगाए पेड़ों की छांव का सुख ले रहे हैं और उनकी तारीफें करते नहीं थकते हैं.