आज पूरी दुनिया में नो टोबैके डे ( No-Tobacco Day 2022) मनाया जा रहा है. आज के दिन पूरी दुनिया में तंबाकू के सेवन को लेकर जागरूकता फैलायी जाती है. लेकिन दिल्ली के रहने वाले हार्दिक अग्रवाल पिछले लगभग डेढ़ साल से हर दिन सिगरेट बट्स के दोबारा इस्तेमाल में अपना योगदान दे रहे हैं. हार्दिक अग्रवाल श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स (shri ram college of commerce) में ग्रेजुएशन के छात्र हैं. हार्दिक इस समय अपनी टीम के साथ मिल कर सिगरेट बट्स को चुनते हैं और इन बट्स को कुम्हारों को देते हैं, ये कुम्हार इन बट्स से मिट्टी (टेराकोटा) के सामान बनाती है. इसके लिए हार्दिक ने प्रोजक्ट लहर की शुरुआत की. हार्दिक फिलहाल प्रोजक्ट लहर के को-फाउंडर के तौर पर काम कर रहे हैं.
GNTTV से खास बातचीत में हार्दिक अग्रवाल ने बताया कि मैंने ये बात नोटिस की कि लोग सिगरेट पीते हैं और सिगरेट बट्स को कहीं भी फेंक देते हैं. हार्दिक ने बताया कि ये सिगरेट बट्स बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक होते हैं, जिस जगह पर ये फेंके जाते हैं वहां की जमीन पूरी तरह से बंजर हो जाती है. लेकिन फिर भी लोग सिगरेट बट्स को कहीं भी फेंक देते हैं.
सिगरेट बट्स के दोबारा इस्तेमाल पर काम कर रही टीम लहर
लोगों के ऐसा करने की वजह जागरूकता की कमी है, इसलिए हार्दिक ने ये सोचा कि क्यों ना सिगरेट बट्स के बेतरतीबी से फेंके जाने को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाई जाए. इसके लिए हार्दिक ने कॉलेज में एक टीम बनाई, पूरी टीम ने मिल कर इस बात पर फोकस किया कि इन सिगरेट बट्स का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए जिससे इससे होने वाला प्रदूषण कम हो. टीम लहर ने रिसर्च में ये पाया कि कॉटन के रेशे जैसे दिखने वाले ये सिगरेट बट्स प्रदूषण का सबसे बड़ा जरिया हैं साथ ही ये जमीन भी बंजर कर देते हैं. टीम लहर ने अपनी रिसर्च में ये भी पाया की 90 प्रतिशत लोगों को इसकी जानकारी नहीं है.
प्रोजेक्ट विरासत और प्रोजेक्ट अमल जैसे प्रोजेक्ट से जुड़े
प्रोजेक्ट लहर से अभी कुल 70 लोग जुड़े हुए हैं. जो अलग- अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, ये सभी प्रोजेक्ट अलग-अलग प्रदूषकों को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं, इनमें प्रोजेक्ट विरासत और प्रोजेक्ट अमल शामिल हैं. प्रोजेक्ट लहर की टीम ने पूरे NCR से सिगरेट बट्स इकट्ठा करने के लिए वॉलिंटियर्स की एक अलग टीम बनाई है. साथ ही NCR के कई इलाकों के सिगरेट बेचने वालों में भी जागरुकता फैला कर उनसे सिगरेट बट्स लेते हैं.
हर साल फेकें जाते हैं 4 मिलियन से ज्यादा बट्स
हार्दिक ने बताया कि भारत में हर साल 100 करोड़ सिगरेट बट्स फेंके जाते हैं. वहीं पूरी दुनिया में 4.3 मिलियन सिगरेट बट्स फेंके जाते हैं. टीम लहर ने अभी तक 90 लाख से ज्यादा सिगरेट बट्स इकट्ठा कर के उनके रीयूज के लिए दिया है. रीयूजिंग के लिए टीम लहर ने माइक्रोसॉफ्ट पैन इंडिया और DLF से पार्टनरशिप की है. सिगरेट बट्स लाने के बाद टीम लहर सिगरेट बट्स को डिटॉक्सिफाई करती है और इसे उत्तम नगर के कुम्हारों को देती है.
ये कुम्हार सिगरेट बट्स को टेराकोटा में मिक्स कर इसका इस्तेमाल मिट्टी के बरतन बनाने में करती है. हार्दिक ने बताया कि भविष्य में वो अलग-अलग तरह के प्रदूषकों का दोबारा इस्तेमाल करने पर काम करेंगे. साथ ही टीम लहर सिगरेट बट्स से सीमेंट बनाने पर भी रिसर्च कर रही है . टीम लहर का अगला टारगेट पूरे देश ही नहीं दुनिया भर में सिगरेट बट्स का दोबारा इस्तेमाल करना और लोगों में इसको लेकर जागरूकता फैलाना है.