हर साल पूरी दुनिया में वर्ल्ड पॉपुलेशन डे यानी विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन जनसंख्या के वैश्विक मुद्दों मसलन बढ़ती आबादी पर्यावरण को कैसे प्रभावित कर रही है पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. इसके साथ ही लोगों में जनसंख्या मुद्दों के समाधान और आगे इससे कैसे लड़ा जाए आदि के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है. स्कूल-कॉलेजों व अन्य जगहों पर जनसंख्या के मुद्दों को लेकर भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.
मनाने का उद्देश्य
वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव दुनियाभर के पर्यावरण पर तेजी से पड़ रहा है. पर्यावरण में हो रहे तेजी से बदलाव रोकने और लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना इसका प्रमुख उद्देश्य है. इसके साथ ही दुनियाभर को इस बात के लिए प्रेरित करना है की एक दिन विश्व स्थाई जनसंख्या को प्राप्त कर सके और हमारी पृथ्वी और पर्यावरण को कोई भी नुकसान न हो.
क्या है थीम
यूनाइटेड नेशंस ऑर्गेनाइजेशन की ओर से 11 जुलाई 1989 को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे घोषित किया गया था. उसके बाद से प्रतिवर्ष इस दिन को मनाया जाता है. हर साल एक थीम के साथ इसे सेलिब्रेट किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस वर्ष का थीम 'एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो' तय की गई है.
विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ फैक्ट
1. 1000 ई में दुनिया की कुल जनसंख्या 40 करोड़ थी. 1804 में यह संख्या एक अरब, 1960 में 3 अरब पहुंच गई.
2. हालिया शोध के अनुसार प्रति सेकेंड 4.2 लोग पैदा होते हैं, जबकि मृत्यु दर 1.8 है.
3. विश्व की जनसंख्या 1.10 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है. वैश्विक जनसंख्या 2030 में 8.6 अरब, 2050 में 9.8 अरब, 2100 में 11.2 तक पहुंचने की उम्मीद है.
4. संपूर्ण विश्व की जनसंख्या अगले 15 वर्षों में 9 अरब तक पहुंचने की संभावना है.
जनसंख्या विस्फोट क्या है
जब जनसंख्या दर इतनी तेज हो जाती है कि देश मे उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते तब इस स्थिति को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है. जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि हमारे आर्थिक विकास के सारे प्रयासों को विफल कर देती है.
ताजे आंकड़ों के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा है. विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में चीन (143 करोड़) प्रथम, भारत (138 करोड़) दूसरे, अमेरिका तीसरे, इंडोनेशिया चौथे और पाकिस्तान पांचवें स्थान पर है. हमारे देश में भी आज जनसंख्या विस्फोट के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो गईं हैं. 1901 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की आबादी 23.8 करोड़ थी जो की 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 1.21 अरब हो गई है.
जनसंख्या विस्फोट के दुष्प्रभाव
जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आती है. बचत और विनियोग बहुत कम हो पाता है. भूमि पर जनसंख्या का अधिक भार पड़ रहा है. कृषि योग्य भूमि आवश्यक मात्रा में अनाज उत्पन्न नहीं कर पा रही है. खाद्यन्न का उत्पादन सीमित और जनसंख्या में वृद्धि खाद्यन्न की कमी की समस्या पैदा करता है. जनसंख्या वृद्धि के कारण आवास और शिक्षा की समस्या उत्पन्न हो रही है. रहने के लिए आवास क्षेत्र बढ़ता है परिणामस्वरूप कृषि व अन्य उपयोग के लिए भूमि कम हो रही है. स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यक मात्रा में पूर्ति नहीं हो पा रही है. जनसंख्या वृद्धि से मांग बढ़ रही है वस्तुएं कम मात्रा में उपलब्ध हो पा रही हैं. इससे कीमतें बढ़ रही हैं. जनसंख्या वृद्धि से श्रम की पूर्ति बढ़ जाती है, इससे बेरोजगारी की संख्या बढ़ जाती है. इन सब कारणों से देश का विकास तेज गति से नहीं हो पाता है.
भारत में जनसंख्या बढ़ने की प्रमुख वजहें
1. पिछले कुछ वर्षों से जन्म-दर की अपेक्षा मृत्यु दर कम हुई है. वर्तमान में मृत्यु दर एक तिहाई आंकी गई है.
2. हमारे देश में विवाह एक आवश्यक प्रक्रिया मानी जाती है. विवाह की इस अनिवार्यता के कारण भी तेजी से जनसंख्या बढ़ती है.
3. हमारे देश में विवाह की आयु कम है. इस वजह से संतान उत्पत्ति की अवधि भी लंबी होती है, साथ ही कम उम्र में विवाह होने से परिपक्वता के अभाव में दंपत्ती समझदारी भरा फैसला नहीं ले पाते.
4. हिंदू धर्म में जहां पुत्र प्राप्ति को मोक्ष का मार्ग माना जाता है, वहीं मुस्लिम धर्म में संतानोत्पति ईश्वर की कृपा मानी जाती है.
5. हमारे देश की जलवायु गर्म है. इस कारण विशेषकर लड़कियां शीघ्र ही तरुणावस्था को प्राप्त कर लेती हैं.
6. हमारे देश में शिक्षा का प्रसार कम है. अधिकांश लोग भाग्यवादी हैं. वे संतान को भगवान की देन समझते हैं. वे संतान निरोध के उपयोग में विश्वास नहीं रखते हैं.