ई-मेल के युग से पहले, दुनिया भर में खत हाथ से लिखे जाते थे और डाक से भेजे जाते थे. बदलते परिवेश और बढ़ती तकनीक ने लोगों को अनेकों सुविधाएं भले दे दी हैं लेकिन आज भी, डाक सेवाएं विश्व स्तर पर पार्सल की डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. विश्व डाक दिवस (World Post Day)भी इसी बात को स्वीकार करता है. विशाल डाक नेटवर्क जिसमें लाखों कर्मचारी सैकड़ों हजारों डाकघरों के माध्यम से अरबों मेल भेजते हैं हमारे समाज में बुना हुआ है, जो दुनिया भर के समुदायों को जोड़ता है.
कब मनाते हैं
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है.
क्या है इसका इतिहास
विश्व डाक दिवस 1874 में बर्न (Bern), स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की याद में मनाया जाता है. 151 देशों में मनाए जाने वाले इस दिन को पहली बार 1969 में टोक्यो, जापान में आयोजित यूपीयू कांग्रेस द्वारा विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया था. भारत 1 जुलाई, 1876 में यूपीयू का सदस्य बना था. खास बात ये है कि भारत एशिया का पहला देश है जिसे इसकी सदस्यता मिली है. भारत में भी, यह दिन राष्ट्रीय डाक सप्ताह की शुरुआत का प्रतीक है, जो 9 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाता है.
एक कहानी ये भी है कि साल 1840 के समय में इंग्लैंड में एक प्रणाली की शुरुआत की गई थी. इस प्रणाली के तहत जो भी डाक पत्र होते थें उन पर भुगतान पहले यानी प्रीपेड करना होता था. इस प्रणाली की शुरुआत सर रॉलैंड हिल द्वारा की गई थी. इस प्रणाली में पत्रों के लिए प्रीपेड भुगातने के साथ घरेलू सेवा के लिए एक श्रेणी निश्चित की गई थी, जिसमें समान भार वाले सभी पत्रों के लिए एक समान दर वसूल किया जाता था. इतना ही नहीं सर रॉलैंड हिल ने ही दुनिया की पहली डाक टिकट भी पेश की थी.
क्या है उद्देश्य?
हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना और उन्हें जागरुक करना ताकि डाकघरों के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके. विश्व डाक दिवस यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना और लोगों के रोजमर्रा के जीवन में पत्रों के साथ संचार के क्रांतिकारी तरीके के निर्माण का प्रतीक है.
कैसे मनाते हैं और इसके बारे में रोचक तथ्य?
दुनिया भर के सदस्य राष्ट्र इस दिन का उपयोग नई डाक पहल शुरू करने और रोजमर्रा की जिंदगी में डाक सेवाओं के महत्व और देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रदर्शनियां आयोजित करने के लिए करते हैं. पोस्ट से दुनिया की लगभग 82% आबादी को होम डिलीवरी की फैसिलिटी मिलती है. इसके अलावा 77% लोग ऑनलाइन भी इन सर्विस का फायदा उठाते हैं. मार्च, 2017 तक देश में कुल 1,54,965 पोस्ट ऑफिस थे, जबकि देश में 23 पोस्टल सर्किल हैं, जिनमें हर एक का चीफ पोस्टमास्टर जनरल होता है. दुनिया का सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस हिमाचल प्रदेश के हिक्किम में है.
(गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें )