हर साल 21 दिसंबर को वर्ल्ड साड़ी डे मनाया जाता है. साड़ी भारतीय परिधान है, लेकिन उसे प्यार दुनियाभर में मिलता है. साड़ी का फैशन कभी भी चलन से नहीं गया. आइए आज हमें गर्व दिलाने साड़ी के बारे में जानते हैं.
साड़ी पहनने से महिलाओं की खूबसूरती में लग जाता है चार चांद
बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों का मानना है कि साड़ी सभी पोशाकों को मात दे सकती है. इसे पहनने पर महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लग जाता है. बॉलीवुड की हीरोइनें भी साड़ी में जितनी खूबसूरत दिखती हैं, उतनी किसी और ड्रेस में नहीं लगीं. यह बात जितनी सच नरगिस, मधुबाला, वैजयंती माला, हेमामालिनी पर फिट बैठती है, उतनी ही मैं हूं ना की सुष्मिता कुछ-कुछ होता है की काजोल और परिणीता की विद्या बालन में भी बैठती है. फिल्म इंडस्ट्री में ऐश्वर्या से लेकर करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा तक साड़ी का जादू बिखेर रही हैं और छोटे परदे की तो पूछिये ही मत.
साड़ी देती है स्मार्ट और मैच्योर लुक
जो लोग कहते हैं कि साड़ी ऑफिस के लिए विकल्प नहीं है उन्हें याद करना चाहिए कि होटल और एयरलाइन्स इंडस्ट्री से लेकर कापोर्रेट बोर्डरूम तक महिलाएं ज्यादातर साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है साड़ी स्मार्ट और मैच्योर लुक देती है. डिजाइनरों का इस बारे में कहना है, साड़ी हर किसी पर फबती है. मोटा या पतला होना साड़ी के लिए मैटर नहीं रखता. जैसा मौका हो, उसी हिसाब से आप इसे पहन सकती हैं. यही नहीं, विदेशों में भी साड़ी की जबरदस्त डिमांड है.
ये साड़ियां हैं महिलाओं में खासी प्रचलित
वैरायटी की बात करें तो बनारसी, असमी, बंगाली, कांजीवरम , चंदेरी, बंधेज, शिफॉन, नेट, सिल्क, महाराष्ट्रीयन साड़ी आज महिलाओं में खासी प्रचलित हैं. एम्ब्रॉयडरी और सलमा-सितारों के साथ गोटे के काम वाली साड़ियां भी खूब पहनी जा रही हैं.
बनारसी साड़ी: जब भी बात साड़ी की होती है, तो सबसे पहले जुबान पर बनारसी साड़ी का ही नाम आता है. बनारस के बुनकर द्वारा खासतौर पर बुनी जाने वाली बनारसी साड़ी अपनी जटिल और सुंदर बारीक कढ़ाई के लिए मशहूर है. यह हर महिला के कलेक्शन का एक अहम हिस्सा होती है. कोई भी शादी हो या पूजा पाठ, बनारसी साड़ी का फैशन कभी नहीं जाता है, और ये हमेशा नई दिखती है. कहा जाता है कि बनारसी साड़ी के बिना बिहार-यूपी में बेटी विदा नहीं होती, बहू उतारी नहीं जाती.
शिफॉन साड़ी: शिफॉन हल्की और पतले कपड़े की साड़ियां होती हैं, जिनके आकर्षक प्रिंट और कलर होते हैं. इनकी खासियत ये है कि इसे पहनना बहुत आसान है, यह आसानी से शरीर के शेप में आ जाती है जिससे इसे कैरी करना भी बहुत आसान हो जाता है.
जॉर्जेट साड़ी: यह दो तरीके से बनाई जाती हैं. एक सिल्क और दूसरा रेयोन फैब्रिक से. गर्मी हो या ठंडी, दोनों ही मौसम में आप इस साड़ी को पहन सकती हैं . साथ ही ये क्रीज़ फ्री होती है जिसका मतलब है कि इसे हर बार इस्तेमाल से पहले आयरन करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है.
कॉटन साड़ी: अधिक गर्मी हो या फिर कोई फॉर्मल मीटिंग, प्योर कॉटन की साड़ी की बात ही अलग है. यह सादगी भरा स्मार्ट लुक देती है और साथ ही पहनने में भी बहुत आरामदायक होती है.
बंधेज साड़ी: ये रेशम या मलमल से बनी साड़ियां होती हैं. इसे आप शादी, हल्दी, मेहंदी, होली, पूजा या किसी भी प्रकार के फंक्शन में पहन सकती हैं. इसे कैरी करना भी बहुत ही आसान है.
कांजीवरम साड़ी: कांचीपुरम में बनने वाली सिल्क की साड़ियां अपने समृद्ध गोल्डन जरी बॉर्डर, पारंपरिक डिजाइन और विपरीत रंगों में सघन कपड़े के लिए जानी जाती हैं. बुनाई की यह परंपरा 150 साल से भी ज्यादा पुरानी है, जो विशुद्ध रूप से प्रोसेस्ड मलबरी सिल्क धागे और ज़री से हाथ से बुनी जाती है यानी सोने के रंगों में रंगा चांदी का रेशमी धागा. असली कांजीवरम साड़ी की कीमत 25,000 रुपए से 1,50,000 रुपए तक हो सकती है.
पटोला साड़ी: गुजराती में पटोलु कही जाती है. पटोला वह भी पाटन की, न मिले तो राजकोट की ही सही. डबल इक्कत की सिल्क की पाटन-पटोला सपनों-सी सुंदर लगती है. इन साड़ियों के रंग इतने गाढ़े होते हैं कि पुरानी होने पर साड़ी फट सकती है लेकिन रंग फीके नहीं पड़ते.
चंदेरी साड़ी: चंदेरी के कपड़े पारंपरिक सूती धागे में रेशम और सुनहरी ज़री में बुनकर तैयार किए जाते हैं। चंदेरी साड़ी अपनी बनावट, हल्के वजन और चमकदार पारदर्शिता के लिए जानी जाती है।
अपनी मंहगी साड़ियों को धोते समय इन बातों का रखें ख्याल
1. कॉटन की साड़ियों को हमेशा अलग से धोएं, बाकी कपड़ों के साथ धोने की गलती न करें. पहली बार साड़ी को धो रही हैं, तो सबसे पहले गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर इसमें साड़ी को भिगोकर रख दें. इससे साड़ी का रंग पक्का हो जाएगा. इसके बाद आप नॉर्मली इसे धो सकती हैं. कॉटन की सड़ियों को स्टीम प्रेस की जरूरत होती है.
2. शिफॉन की साड़ियां बहुत नाजुक होती हैं, तो इन्हें भी एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. इन्हें धोने के लिए माइल्ड डिटर्जेंट और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. बहुत तेजी से निचोड़कर पानी निकालने की गलती न करें. छांव में सुखाएं और पहनते वक्त बहुत ज्यादा पिन यूज करने से बचें.
3. सिल्क की साड़ियां बहुत महंगी होती हैं. इस्तेमाल के बाद सिल्क की साड़ियों को ऐसे ही अलमारी में न रख दें, बल्कि हर बार ड्राई क्लीन करवाएं. हां, स्टोर करते वक्त भी ध्यान रहें कि इनके फोल्ड को बीच-बीच में चेंज करते रहें. लंबे समय तक एक ही फोल्ड में रखे रहने की वजह से कई बार साड़ियां वहीं से खराब हो जाती हैं.
4. ऑर्गेंजा साड़ी को सालों-साल चलाना है, तो उसके रखरखाव पर ध्यान दें. इन साड़ियों को हमेशा ठंडे पानी में और एक माइल्ड डिटर्जेंट में धोएं. साथ ही तेज धूप में भी न सुखाएं. वॉर्डरोब में इसे हैंगर में टांगने के बजाय कागज में रैप करके रखें.
5. डिजिटल प्रिंट या दूसरी हैंडमेड साड़ियों का ही ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है, तो कई बार इन्हें दूसरे कपड़ों के साथ ही वॉश कर दिया जाता है, लेकिन इससे साड़ियां जल्दी खराब हो जाती हैं. ऐसे में इन साड़ियों को भी ठंडे पानी से ही धोना है और छांव में सुखाएं.
बनारसी साड़ी को कहां और कैसे रखें
अक्सर किसी भी पार्टी में बनारसी साड़ी पहनने के बाद सबसे ज्यादा परेशानी होती है इसे वापस रखने की. इसे किसी ब्रीफ केस में रखने से बचें और किसी हैंगर में लटकाकर और ठीक से कबर करके स्टोर करें. बिना ठीक से कवर किए इसे स्टोर करने से यह खराब हो जाता है. इसके साथ ही इसे कही भी रखते समय इसे अखबार से जरूर कबर कर दें जिससे इसमें सिलवटें न पड़ें.
बानरसी साड़ी पहनने के बाद ड्रायक्लीन जरूर करवाएं
कई बार साड़ी को ठीक से स्टोर न करने के कारण इसमें कीड़े लग जाते हैं और यह खराब हो जाती है. कीड़े साड़ी के धागों को खराब कर देते हैं. ऐसे में इसे कीड़े से बचाने के लिए आप साड़ी को नेप्थलीन बॉल के साथ स्टोर करें. ध्यान रखें कि बानरसी साड़ी पहनने के बाद इसे ड्रायक्लीन करवाना बहुत जरूरी है. यदि साड़ी में किसी तरह का दाग लगा है तो इसे हटाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह बाद में जल्दी नहीं हटता है. इसलिए यह साड़ी पहनने के बाद ड्रायक्लीन करा कर ही अलमारी में रखें.
कांजीवरम साड़ी को ऐसे करें फोल्ड
कांजीवरम साड़ी को फोल्ड करने के बाद इसे मलमल या शुद्ध सूती कपड़े की थैली में भरकर रख दें. धूप में रखने से कांजीवरम साड़ी की चमक खो सकती है. वॉर्डरोब में साड़ी फोल्ड करते वक्त ध्यान रखें कि जरी वर्क खराब न हो. वॉर्डरोब में हर 3 महीने पर अपनी कांजीवरम साड़ी को बाहर निकालकर कर रखें और वापस उसे फोल्ड करें. कोशिश करें कि इसे थोड़ी देर खुले में छोड़ दें, इससे कपड़े से बदबू नहीं आएगी. दरअसल कई बार वॉर्डरोब में साड़ी रखे रहने से बदबू की समस्या शुरू हो जाती है. यदि आपकी कांजीवरम साड़ी में जरी का काम अधिक है तो फोल्ड करते वक्त ध्यान रखें. कोशिश करें कि जरी को अंदर की तरफ फोल्ड करें.