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World Tiger Day: जानिए क्या है सरकार का प्रोजेक्ट टाइगर, देश के लिए इसका क्या है महत्व

हर साल 29 जुलाई को World Tiger Day मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर में लुप्त हो रहे बाघों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. भारत सरकार निरंतर बाघों के संरक्षण के लिए काम कर रही है. आज हम आपको बता रहे हैं Project Tiger के बारे में.

World Tiger Day World Tiger Day
हाइलाइट्स
  • 1973 में हुई थी प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत

  • दो चरणों में हुआ है भारत में बाघ संरक्षण 

हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक मेगा कार्यक्रम में बाघों की नवीनतम संख्या जारी की थी. आंकड़ों के मुताबिक, देश में बाघों की आबादी 2018 में 2,967 से बढ़कर 2022 में 3,167 हो गई. शिवालिक पहाड़ियों-गंगा के मैदानी लैंडस्केप, मध्य भारत और सुंदरबन में बाघों की आबादी बढ़ी है, लेकिन पिछले कुछ सालों में पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में उनकी संख्या घट गई है.

भारत देश दुनिया की 70 प्रतिशत से अधिक जंगली बाघों की आबादी का घर है. और कहीं न कहीं इसका श्रेय भारत सरकार के अभियानों और पहलों को जाता है. पिछले कई दशकों से लगातार बाघों के संरक्षण के लिए सरकार काम कर रही है. हर साल दुनियाभर में 29 जुलाई को World Tiger Day मनाया जाता है ताकि लोगों को बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सके. 

क्या है भारत सरकार का 'प्रोजेक्ट टाइगर'
बाघ के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था. प्रोजेक्ट टाइगर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र सरकार सपोर्टेड है जो नामित बाघ अभयारण्यों (Tiger Reserves) में बाघ संरक्षण के लिए बाघ राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करती है.

अपनी स्थापना के बाद से, यह परियोजना 18,278 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) को कवर करने वाले नौ टाइगर रिजर्व से बढ़कर 18 टाइगर रेंज वाले राज्यों में 53 रिजर्व तक 75,796 वर्ग किमी तक विस्तारित हो गई है, जो भारत के भूमि क्षेत्र का 2.3 प्रतिशत है.

बाघ अभयारण्यों का गठन कोर/बफर रणनीति पर किया गया है. मुख्य क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य का लीगल स्टेट्स मिला हुआ है, जबकि बफर या पेरिफ्रल एरिया वन और गैर-वन भूमि का मिश्रण हैं, जिन्हें बहु उपयोगी क्षेत्र के रूप में प्रबंधित किया जाता है. प्रोजेक्ट टाइगर का लक्ष्य बफर में लोगों के साथ मिलकर बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में एक विशेष बाघ एजेंडा को बढ़ावा देना है.

दो चरणों में हुआ है बाघ संरक्षण 
भारत में बाघों के संरक्षण को दो चरणों में बांटा जा सकता है. 1970 के दशक में शुरू हुए पहले चरण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम को लागू करना और संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना शामिल थी जिससे बाघों और ट्रॉपिकल वन इकोसिस्टम के संरक्षण में मदद मिली. हालांकि, 1980 के दशक में, बाघ के अंगों के व्यापार ने आबादी को ख़त्म करना शुरू कर दिया, जिससे 2005 में सरिस्का टाइगर रिज़र्व में स्थानीय स्तर पर बाघों के विलुप्त होने का एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ और इस तरह दूसरा चरण शुरू हुआ.

दूसरा चरण 2005-06 में शुरू हुआ, जिसमें सरकार ने लैंडस्केप लेवल एप्रोच अपनाई और बाघ संरक्षण के लिए सख्त निगरानी लागू की. इसके परिणामस्वरूप बाघों की आबादी 2006 में 1,411 से बढ़कर 2022 में 3,167 हो गई. आपको बता दें कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में दिए गए कार्यों को करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पर है जो मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है. 

बाघ संरक्षण की चुनौतियां
बाघों के संरक्षण के प्रयासों के बावजूद, अभी भी कई चुनौतियां हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. प्रमुख चुनौतियों में से एक जंगलों और उनके वन्य जीवन की सुरक्षा और मानव-बाघ संघर्ष को कम करते हुए बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास को देखना है. 
 
साथ ही, बाघ राज्यों में लगभग 400,000 वर्ग किमी जंगलों में से केवल एक तिहाई अपेक्षाकृत स्वस्थ स्थिति में हैं. एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती अवैध वन्यजीव व्यापार है. भले ही शिकार अवैध है, लेकिन फिर भी बाघ उत्पादों की मांग ज्यादा बनी हुई है, और शिकारी अभी भी बाघों का शिकार करते हैं. इससे निपटने के लिए, भारत सरकार ने अवैध शिकार और अवैध व्यापार को रोकने के लिए सख्त कानून लागू किए हैं और निगरानी बढ़ा दी है. 

International Big cat Alliance की शुरुआत 
पीएम मोदी ने कुछ समय पहले ही इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस (आईबीसीए) भी लॉन्च किया, जो एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य दुनिया की सात प्रमुख बड़ी बिल्लियों - बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना है. एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मोदी ने जुलाई 2019 में एशिया में अवैध शिकार को रोकने के लिए अवैध वन्यजीव व्यापार का हिस्सा बनने वाले उत्पादों की मांग को रोकने के लिए वैश्विक नेताओं के गठबंधन का आह्वान किया था. 

प्रधान मंत्री ने "अमृत काल" के दौरान बाघ संरक्षण के लिए एक विज़न दस्तावेज़ सहित बाघ संरक्षण के बारे में एक स्मारक सिक्का और प्रकाशन भी जारी किया था. सरकार की इन सब पहलों से लोगों के बीच भी काफी ज्यादा जागरूकता बढ़ी है. उम्मीद है कि बाघों की संख्या अब भारत में बढ़ती रहेगी.