दुनियाभर में हर साल 23 मई को विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का लक्ष्य लोगों में इस जीव के बारे में जानकारी फैलाना और लोगों को उनके बचाव के लिए प्रोत्साहित करना है. आपको बता दें कि कछुए दुनिया के सबसे पुराने रैपटाइल ग्रुप्स में से एक हैं, जो सांप, और मगरमच्छों की तुलना में बहुत पुराने हैं.
बताया जाता है कि दुनिया में कछुओं की 300 प्रजातियां हैं, जिनमें से 129 खतरे में हैं. यही कारण है कि विश्व कछुआ दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. इस दिन लोगों को याद दिलाया जाता है कि कछुओं का संरक्षण करना कितना महत्वपूर्ण है. आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे 3 भारतीय हीरोज के बारे में जो सालों से इनके बचाव में जुटे हुए हैं.
1. रवींद्रनाथ साहू
रवींद्रनाथ साहू को ओडिशा का Turtle Man कहा जाता है. पहली बार ओडिशा के ऋषिकुल्या समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के साथ उनकी दोस्ती हुई थी. और पिछले 27 सालों से, ओडिशा के गंजम जिले के पुरुनाबंधा गांव के रवींद्रनाथ साहू इन्हें बचाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.
साल 1994 में साहू एक वैज्ञानिक के साथ ऋषिकुल्या नदी के मुहाने पर गए थे. उन्हें नहीं पता था कि एक रात में उनका जीवन बदल जाएगा. उन्हें पता चला कि हर साल ये कछुए यहां पर प्रजनन प्रक्रिया के लिए आते हैं और अंडे देते हैं. पर लोग इन अंडो को बेच देते हैं. जिस कारण इन कछुओं का प्रजाति खत्म हो रही है. इसके बाद से साहू ने संरक्षण कार्य शुरू किया. पहले तो उनका विरोध हुआ फिर सब लोग साथी बन गए.
द क्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1994 में केवल 30,000 कछुए समुद्र तट पर आते थे पर अब साहू के लगातार प्रयासों से लगभग चार लाख कछुए हर साल समुद्र तट पर आते हैं.
2. अरुणिमा सिंह
अरुणिमा सिंह को अक्टूबर में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज सेव द स्पीशीज अवार्ड 2021 मिला था. क्योंकि वह कई सालों से कछुओं, मगरमच्छों और डॉल्फ़िन की रक्षा के लिए काम कर रही हैं. साल 2013 के बाद से, लखनऊ निवासी अरुणिमा सर्वाइवल एलायंस (TSA) - इंडिया की कर्मचारी हैं.
कछुओं का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने कई अलग-अलग प्रयास किए हैं. वह मीठे पानी के रैपटाइल्स के संरक्षण पर काम करती हैं. द बेटर इंडिया के अनुसार, पिछले 8-9 सालों में उन्होंने 28,000 से अधिक कछुओं, 25 गंगा डॉल्फ़िन, 6 दलदली मगरमच्छों और 4 घड़ियालों को बचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.
3. डॉ सुप्रजा धारिणी
ट्री फाउंडेशन की संस्थापक और अध्यक्ष डॉ सुप्रजा धारिणी भी पिछले कई सालों से कछुओं का संरक्षण करने में जुटी हैं. साल 2002 में डॉ सुप्रजा ने ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा करने के इरादे से ट्रस्ट की स्थापना की थी. कहा जाता है कि ओलिव रिडले कछुए उसी जगह अंडे देते हैं जहां वे खुद जन्म लेते हैं.
सुप्रजा को पिछले साल उनके लगातार प्रयासों के लिए प्रसिद्ध अमेरिका-बेस्ड एक्सप्लोरर्स क्लब ने "50 पीपल चेंजिंग द वर्ल्ड" में से एक के रूप में सम्मानित किया था.