एक आधिकारिक बयान में रविवार को कहा गया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) लद्दाख के न्योमा क्षेत्र में दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करने की तैयारी में है. न्योमा के इस एयरबेस से भारतीय वायुसेना को रणनीतिक तौर पर काफी फायदा होगा.
बीआरओ ने कहा कि परियोजना की आधारशिला 12 सितंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देवक ब्रिज से रखेंगे. इस एयरफील्ड की खासियत ये है कि चीन यहां से सिर्फ़ 35 किलोमीटर दूर है. अगले तीन साल के भीतर यहां वायुसेना का एयरबेस तैयार होगा. बीआरओ अधिकारी के अनुसार, हवाई क्षेत्र हवाई बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में मदद करेगा और इसका उपयोग व्यापक रणनीतिक हवाई संपत्तियों के लिए किया जाएगा. पीटीआई ने बीआरओ अधिकारी के हवाले से कहा, "इस हवाई क्षेत्र के निर्माण से लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और हमारी उत्तरी सीमाओं पर IAF (भारतीय वायु सेना) की क्षमता में वृद्धि होगी."
क्या होगा फायदा?
इसका फायदा ये होगा कि लड़ाकू विमान यहां उतर भी सकेंगे और यहां से उड़ान भी भर सकेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज इस परियोजना की आधारशिला रखने जा रहे हैं. आज सोशल मीडिया साइट एक्ट पर उन्होंने कहा कि बॉर्डर रोड ऑरगेनाइजेश (BRO) ने भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्री इस हवाई क्षेत्र की आधारशिला रखने के अलावा 2,941 करोड़ रुपये की लागत से सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और राष्ट्र को समर्पित भी करेंगे. पीआरओ ने कहा कि राजनाथ सिंह 12 सितंबर को पश्चिम बंगाल में पुनर्निर्मित बागडोगरा और बैरकपुर हवाई क्षेत्रों का भी उद्घाटन करेंगे. उन्होंने कहा, 529 करोड़ रुपये की लागत से बीआरओ द्वारा हवाई क्षेत्रों का नवीनीकरण किया गया है. बीआरओ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “ये हवाई क्षेत्र न केवल उत्तरी सीमाओं पर भारतीय वायु सेना की रक्षात्मक और आक्रामक वास्तुकला में सुधार करेंगे बल्कि क्षेत्र में वाणिज्यिक उड़ान संचालन की सुविधा भी प्रदान करेंगे.”
218 करोड़ की आएगी लागत
आपको बता दें कि इस नए फाइटर एयरबेस पर क़रीब 218 करोड़ की लागत आएगी. ये दुनिया का सबसे ऊंचा एयरबेस होगा. यहां होने का मतलब वो सामरिक मज़बूती है जिसकी चीन के खिलाफ भारत को जरूरत थी. अभी फुकचे , दौलत बेग ओल्डी और न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, जहां सिर्फ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ही उड़ान भर सकते हैं. अब न्योमा में फाइटर बेस बनने से वायुसेना की बढ़ी हुई ताकत का एक और पैमाना होगा.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का उपयोग 2020 से चीन के साथ गतिरोध के बीच सेना के जवानों और सैन्य उपकरणों के परिवहन के लिए किया गया था और चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों और सी-130जे विशेष अभियानों एयरक्रॉफ्ट के संचालन को देखा गया है. यह लद्दाख का तीसरा फाइटर एयरबेस होगा. फिलहाल लद्दाख में लेह और परतापुर में दो फाइटर एयरफील्ड हैं, जहां से फाइटर ऑपरेशन होते हैं. बीते तीन साल से भारत और चीन के बीच जो टकराव चल रहा है, उसमें इस एयरबेस का बनना काफी अहम बात है. इसकी तैयारी भर से भारत का दावा कुछ और मजबूत हो जाएगा.