
मध्य प्रदेश के रायसेन में देश के इतिहास की एक अनोखी धरोहर सामने आई है. भारतीय इतिहास संघ की दस सदस्यी टीम ने 11वीं सदी के अवशेषों को खोज निकला. इस खोज में गोरखपुर के गोड़वाना राजा मान सिंह के किले में बहुत से मंदिरों के अवशेष मिले. लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई कि गोरखपुर से बाड़ी तक एक 83 किमी लंबी दीवार है जो जो जमीन से 10-12 फीट ऊंची और 12 फीट चौड़ी है.
कहा जा रहा है कि चीन में मौजूद विश्व की सबसे बड़ी दीवार के बाद इसे दुनिया की दूसरी बड़ी दीवार के रूप में देखा जा सकता है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस दीवार को देखकर ही चीन की दीवार का निर्माण कराया गया होगा. अब यहां पर सांची की बौद्ध यूनिवर्सिटी के छात्र शोध के लिए आए हैं और इस दीवार के पुरातत्विक संरक्षण की बात की जा रही है.
ऐतिहासिक संपदाओं का खजाना है यह जिला
रायसेन जिला पुरानी संपदाओं का अमूल्य खजाना है. यहा पर सांची, भोजपुर, भीमबेटका जैसी विश्व प्रसिद्ध धरोहर हैं. लेकिन भारतीय इतिहास संकल्न समिति मध्यभारत के तत्वाधान में पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास की 10 सदस्यी टीम ने विंध्याचल पर्वत का दौरा किया. जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूर उदयपुरा तहसील के गोरखपुर में राजा मानसिंह के किले में शोधकर्ताओ ने किया शोध. यह किला 11-12वीं सदी में बनाया गया होगा. इस किले में सूर्य, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और भैरों की बीस भुजाओं वाली प्रतिमा और कई मंदिरो के अवशेष पड़े हुए हैं.
परमार काल में बनी थी दीवार
बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण दल ने पाया की पर्वत श्रृंखला में एक पाषाण निर्मित दीवार है जो गोरखपुर से बाड़ी तक 83 किमी लंबी है. इस दीवार का निर्माण पत्थरों से किया गया है जिन्हें लोहे के साथ शीशा धातु से जोड़ा गया है. यह परमार काल की बनाई गई होगी और इसे गोड़वाना सुरक्षा सीमाओ से भी जोड़ा जा रहा है. इस दीवार के रहस्य को खगालने में पुरात्तवविद लगे हुए है. हालांकि, अंतिम शासक राजा मानसिह और लक्ष्मण सिंह के वंशज आज भी गोरखपुर में रहते हैं.
(राजेश रजक की रिपोर्ट)