scorecardresearch

मणिपुर में बन रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, जानिए इसकी विशेषताएं

मणिपुर में भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे ऊंचे सेतुबंध (Bridge Pier) का निर्माण कर रहा है जो 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेलवे परियोजना का एक हिस्सा है. यह पुल यूरोप के मोंटेनेग्रो में 139 मीटर माला-रिजेका वायडक्ट के मौजूदा रिकॉर्ड को तोड़ देगा. क्योंकि इसे 141 मीटर (34 मंजिला इमारत के बराबर) की ऊंचाई पर बनाया जा रहा है. 

Indian Railways constructing world's tallest bridge Indian Railways constructing world's tallest bridge
हाइलाइट्स
  • 111 किमी की दूरी होगी 2-2.5 घंटे में तय

  • 703 मीटर लंबा होगा यह पुल

मणिपुर में भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे ऊंचे सेतुबंध (Bridge Pier) का निर्माण कर रहा है जो 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेलवे परियोजना का एक हिस्सा है. 

यह पुल यूरोप के मोंटेनेग्रो में 139 मीटर माला-रिजेका वायडक्ट के मौजूदा रिकॉर्ड को तोड़ देगा. क्योंकि इसे 141 मीटर (34 मंजिला इमारत के बराबर) की ऊंचाई पर बनाया जा रहा है. 

कम समय में पूरी की जा सकेगी यात्रा: 

बताया जा रहा है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद इस 111 किमी की दूरी को 2-2.5 घंटे में तय किया जा सकेगा. वर्तमान में जिरीबाम-इंफाल (एनएच -37) के बीच की दूरी 220 किमी है. इसे तय करने में लगभग 10-12 घंटे लगते हैं. निर्माण के बाद , नोनी घाटी को पार करने वाला पुल दुनिया का सबसे ऊंचा घाट पुल बन जाएगा. 

यह परियोजना सरकार की 'एक्ट ईस्ट' नीति का हिस्सा है. यह पूर्वोत्तर में सभी राज्यों की राजधानियों को ब्रॉड गेज से जोड़ने और क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर केंद्रित है. 

स्पेशल डिजाइन और तकनीक का प्रयोग: 

रेलवे का कहना है कि यह पुल 703 मीटर लंबा होगा. पुल के खंभों का निर्माण हाइड्रोलिक ऑगर्स का उपयोग करके किया गया है. लंबे घाटों को विशेष रूप से डिजाइन 'स्लिप-फॉर्म तकनीक' की जरूरत है ताकि कुशल और निरंतर निर्माण सुनिश्चित किया जा सके. 

इस परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 13,809 करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी. और इसे राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया गया था.