दिल्ली की लाइफ लाइन यमुना को बचाने के लिए अब दिल्ली के लोग खुद पहल कर रहे हैं. 4 जून 2023 को यमुना संसद के माध्यम से एक आंदोलन की शुरुआत की गई. इसमें दिल्ली ही नहीं देश के लाखों लोगों ने भाग लिया.
यमुना संसद के आयोजन के लिए वजीराबाद जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है और कालिंदी कुंज तक जहां से यमुना दिल्ली से उत्तर प्रदेश के लिए प्रस्थान करती है के बीच के जगहों का चयन किया गया था. वजीराबाद, उस्मानपुर, पुराने लोहे का पुल, गीता कॉलोनी, आईटीओ, निजामुद्दीन, डीएनडी, कालिंदी कुंज दिल्ली कि इन आठ जगहों पर करीब डेढ़ लाख लोग इकट्ठा हुए और 22 किलोमीटर तक मानव शृंखला का निर्माण किया.
18 सौ से अधिक संस्थाएं हुईं शामिल
यमुना संसद में 18 सौ से अधिक संस्थाएं शामिल हुईं. स्कूलों के बच्चों से लेकर किसान, दिल्ली के व्यापारी व्यापारी, धर्मगुरु, नेता, पत्रकार, समाजसेवी सहित लाखों लोग यमुना के घाटों पर एकत्रित हुए. वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज तक मानव शृंखला का निर्माण किया. यमुना संसद से जुड़े एक लाख से ज्यादा लोगों ने पूरी दिल्ली में मानव शृंखला बनाई और यमुना के प्रति जागरूकता अभियान चलाया. लोगों को यमुना का महत्व बताया.
आजतक नहीं निकला समाधान
राजधानी दिल्ली में लोगों का जीवन यमुना नदी पर निर्भर करता है लेकीन दिल्ली तक पहुंचते-पहुंचते यमुना अपना निर्मल स्वरूप खो देती है. यमनोत्री से यमुना जब निकलती है तो यमुना का जल अमृत समान होता है लेकिन दिल्ली तक आते-आते यमुना का पानी पीने लायक तक नहीं रह जाता. यमुना के दूषित होने के कारण तो बहुत हैं लेकीन समाधान अभी तक सामने नहीं आए हैं. दिल्ली में कई सरकारें आईं और गईं यमुना की सफाई हमेशा अहम राजनीतिक मुद्दा रहा लेकिन कोई भी सरकार यमुना को साफ करने में सफल नहीं हो पाई.
दिल्ली की जनता का मांगा समर्थन
यमुना संसद में आईटीओ घाट के पास दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय भी शामिल हुए. गोपाल राय ने दिल्ली की जनता का समर्थन मांगा. उन्होंने कहा कि हर किसी को यमुना के संरक्षण के लिए अपना योगदान देना चहिए. यमुना को मां का दर्जा देते हुए रविवार को दिल्ली वासी सड़कों पर उतर आए और यमुना संसद के माध्यम से यमुना में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए जागरूकता फैलाने का एक प्रयास किया.