Life Imprisonment to Yasin Malik: एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में दोषी पाए गए यासीन मलिक को आजीवन कारावास यानी उम्रकैद की सजा सुना दी है. यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. NIA ने यासीन मलिक को मौत की सजा देने की मांग की थी. बता दें कि यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल की. आइये जानते हैं यासीन मलिक और यासीन के आतंकी गतिविधियों के बारे में.
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ का चीफ रह चुका है. बता दें कि ये संगठन भारत और पाकिस्तान से कश्मीर को अलग करने की मांग करता रहा है. यासीन कश्मीर घाटी में अगगाववाद का नेतृत्व करता आया है.
यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल, 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था. यासीन ने अपनी पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर से की. यासीन ने श्री प्रताप कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली, उसके बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया बन गया. यासीन ने खुद ये दावा किया कि कश्मीर में सेना के जुल्म को देख कर उसने बंदूक उठाई. यासीन ने पाकिस्तानी कलाकार मुशाल हुसैन से शादी की है. मार्च 2012 में दोनों को एक बेटी हुई. बेटी का नाम रखा गया रजिया सुल्ताना. मुशाल पाकिस्तान के कराची की रहने वाली हैं. मुशाल की मां रेहाना पाकिस्तानी मुस्लिम लीग की नेता रह चुकी हैं और मुशाल के पिता एक जाने-माने अर्थशास्त्री थे.
टेरर फंडिंग केस में क्या-क्या कबूला?
बता दें कि यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने के अलावा कई गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और कश्मीर में आशांति फैलाने का आरोप है. मलिक ने ये सभी आरोप कबूल किए हैं. एनआईए कोर्ट ने जिन धाराओं के तहत मलिक को दोषी करार दिया है, उनमें शामिल है:-
UAPA कानून की धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम),
UAPA कानून की धारा 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने),
UAPA कानून की धारा 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश),
UAPA कानून की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते)
IPC की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और IPC की धारा 124-ए (देशद्रोह)
आतंकवादी से बना अलगाववादी नेता
कश्मीर को भारत से आजाद कराने की जंग कोई नई नहीं है. ये जंग कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ (JKLF) ने छेड़ी थी. यासीन इसी आतंकी संगठन का चीफ था. यासीन के इशारे पर सालों तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फलता -फूलता रहा. इतना ही नहीं यासीन ने इस्लाम के नाम पर मुस्लिम नौजवानों में नफरत के बीज भी बोए. यासीन ने आंतकवादियों को रिहा करवाने के लिए तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण भी करवाया था.
यासीन मलिक - टेरर फंडिंग केस की टाइमलाइन
अक्टूबर 1999: यासीन मलिक को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया .
26 मार्च, 2002: यासीन मलिक को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (Prevention of Terrorism Act) के तहत गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद यासीन लगभग एक साल तक हिरासत में रखा गया.
मई 2007: यासीन मलिक और उसकी पार्टी जेकेएलएफ ने सफ़र-ए-आज़ादी के नाम से एक अभियान की शुरूआत की थी. इस अभियान का मकसद कश्मीरी युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काना था.
फरवरी 2013: यासीन मलिक ने इस्लामाबाद में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद से मुलाकात की .
12 जनवरी 2016: यासीन मलिक ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर गिलगित-बाल्टिस्तान के पाकिस्तान में विलय का विरोध जताया.
2017: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विभिन्न अलगाववादी नेताओं के खिलाफ टेरर फंडिंग का मामला दर्ज किया और 2019 में दायर चार्जशीट में यासीन मलिक और चार और लोगों के नाम आए.
26 फरवरी, 2019: मलिक के घर की तलाशी ली गई, तलाशी में दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के अलावा आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई.
10 अप्रैल, 2019: एनआईए ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी समूहों को फंडिंग से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया.
मार्च 2020: यासीन मलिक और उसके 6 साथियों पर 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में 40 भारतीय वायु सेना के जवानों पर हमला करने के आरोप में टाडा के तहत गंभीर आरोप लगे.
मार्च 2022: दिल्ली अदालत ने सबूतों के आधार पर यासीन मलिक और अन्य के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया.
10 मई, 2022: मलिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल किया. उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और 20 (एक आतंकवादी गिरोह का सदस्य होने के नाते) सहित उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा.