
जिंदगी का असली मजा, निडरता से जीने में है. इंसान खाली हाथ आया है, और खाली हाथ ही जाएगा. इसी बात को दिल में लिए बिहार के एक बच्चे ने जो जज्बा और बहादुरी दिखाई वो वाकई तारीफ के काबिल है. बिहार के धीरज ने अपने छोटे भाई नीरज को मौत के मुंह से निकाल कर सही सलामत बचा लिया. आज धीरज के साहस के लिए प्रधानमंत्री ने उन्हें बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है, और साथ ही उन्हें एक लाख रुपए की धनराशि दी है.
भाई की खातिर मगरमच्छ से लड़ गए धीरज
बिहार के पटना से करीब 200 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में पश्चिम चंपारण जिले के योगापट्टी प्रखंड में एक नदी में बहुत से मगरमच्छ हैं. दोनों भाई अपने गांव के बाहर उस नदी में अपनी भैंसों को नहलाने गए थे. छोटा भाई नीरज कुमार जहां पानी के अंदर गया, वहीं बड़ा भाई धीरज कुमार नदी किनारे बैठा था. अचानक एक बड़ा मगरमच्छ नीरज की जांघ पर चढ़ गया. जिसे देख धीरज ने बिना झिझक नदी में छलांग लगा दी और अपने भाई को बचाने की बेताब कोशिश में 15 मिनट तक मगरमच्छ से लड़ता रहा. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मगरमच्छ ने अपनी पूंछ से उस पर कई बार वार किया, फिर भी धीरज ने उससे से लड़ना जारी रखा और अंततः अपने भाई को मुक्त करने में सक्षम हो गया. इस हादसे में धीरज को कई गंभीर घाव हो गए थे.
मगरमच्छ ने दिए गंभीर घाव
वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने तुरंत धीरज को स्थानीय सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया. जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए जिले के दूसरे सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. डॉक्टरों ने कहा कि मगरमच्छ ने उसकी जांघ से मांस के बड़े टुकड़े फाड़े और गंभीर घाव दिए. हालांकि इस सब के बाद भी को सुरक्षित था.
भाई को मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ा लाए धीरज
हादसे को याद करते हुए धीरज बताते हैं, "मगरमच्छ ने मुझे अपनी पूंछ से कई बार मारा, लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और अपने घुटनों से जोर-जोर से मारना जारी रखा और अपनी उंगलियों को उसकी आँखों में धकेलता रहा. आखिरकार, इसने मेरे भाई को अपने चंगुल से मुक्त कर दिया और गहरे पानी में चला गया."
छोटी सी उम्र में धीरज ने बहादुरी दिखाई वो शायद बड़े-बड़े लोग नहीं दिखा पाते, पर धीरज की निडरता वाकई कमाल है. उनकी निडरता का सम्मान आज प्रधानमंत्री ने भी किया.