बिहार के गया जिले का पटवा टोली गांव, जो कभी करघे के काम के लिए जाना जाता था, अब शिक्षा और इंजीनियरिंग हब के रूप में उभर रहा है। इस गांव के 40 से ज़्यादा छात्रों ने जेईई मेन्स 2025 में शानदार प्रदर्शन किया है, जिसमें शरण्या ने 99.64 और अशोक ने 97.7 परसेंटाइल हासिल किए। इस सफलता के पीछे 'वृक्ष संस्थान' का बड़ा योगदान है, जो यहाँ के आर्थिक रूप से कमजोर बुनकर परिवारों के बच्चों को निशुल्क कोचिंग देता है। एक छात्र ने बताया, "जीतने भी परिवार के बच्चे यहाँ पे आते हैं तो ज्यादातर मतलब बहुत ही विकर सेक्शन के आते हैं... यहाँ पे बिल्कुल निशुल्क बच्चे पढ़ लेते हैं।" 1991 में जितेंद्र कुमार के IIT पहुंचने के बाद शुरू हुआ यह सफर अब तक 300 से ज़्यादा इंजीनियर दे चुका है।