जिस बावड़ी की खुदाई हो रही है. उसको रानी की बावड़ी कहा जाता रहा है और एक समय यहां पर रानी सुरेंद्र बाला आराम किया करती थीं. ये बावड़ी अंग्रेजों के जमाने की है और इस बावड़ी का अर्किटेक्चर भी इस बात की तस्दीक कर रहा है. अब सवाल है कि क्यों हो रही है बावड़ी की खुदाई? बावड़ी एक ऐतिहासिक धरोहर है और उसकी खुदाई के बाद उस दौर की सांस्कृतिक विरासत का खुलासा हो सकता है...इसके बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं हमारे संवाददाता अभिनव माथुर