जब हम उनके घर गए…
कहने दिल से दिल लगा लो,
उनकी मां ने खोला दरवाजा,
हम घबरा कर बोले..
आंटी बच्चों को पोलियो ड्राप पिलवा लो.
दोस्त रूठे तो रब रूठे,
फिर रूठे तो जग छूटे,
अगर फिर रूठे तो दिल टूटे,
और अगर फिर रूठे
तो निकाल लट्ठ मार साले को
जब तक लट्ठ न टूटे.
दोस्तों हम उन्हें मुड़ मुड़कर देखते रहे,
और वो हमें मुड़-मुड़कर देखते रहे
वो हमें, हम उन्हें…
वो हमें, हम उन्हें…
क्योंकि परीक्षा में
न उन्हें कुछ आता था न हमें.
हो गए,
हुस्न के तेवर नुकीले हो गए,
हम इज़हार करने में रह गए,
उधर उनके हाथ पीले हो गए.
तुम्हारी शायरी बड़ी है फायरी,
Wah Wah… Wah Wah…
तुम्हारी शायरी बड़ी है फायरी,
Wah Wah… Wah Wah…
दिल करता है जल जाये
तुम्हारी शायरी वाली डायरी.