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वायु प्रदूषण से बढ़ सकता है डिप्रेशन का खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा

शोध का नेतृत्व करने वाले टैन ने कहा, "उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में ज्यादा लोग उदास हो जाएंगे क्योंकि उनके जीन और उनके वातावरण में प्रदूषण डिप्रेशन के प्रभावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं."

प्रदूषण की वजह से बढ़ सकता डिप्रेशन का खतरा प्रदूषण की वजह से बढ़ सकता डिप्रेशन का खतरा
हाइलाइट्स
  • 352 स्वस्थ वयस्कों पर की गयी स्टडी.

  • प्रदूषण की वजह से डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है

एक नए अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण (Air Pollution) के संपर्क में आने से स्वस्थ लोगों में अवसाद (Depression) का खतरा काफी बढ़ सकता है. खासकर उन लोगों में जिनमें डिप्रेशन की आनुवंशिक प्रवृत्ति होती है. स्टडी के मुताबिक हाई पर्टिकुलेट मैटर एयर पॉल्युशन की वजह से डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है. 

PNAS पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित रिसर्च में वायु प्रदूषण, न्यूरोइमेजिंग, ब्रेन जीन एक्स्प्रेशन और 40 से अधिक देशों के एक अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक संघ से इकट्ठा किए गए डेटा पर संयुक्त वैज्ञानिक डेटा शामिल है. अमेरिका में ब्रेन डेवलपमेंट (LIBD) के लिए बनाए गए लिबर इंस्टीट्यूट के हाओ यांग टैन ने कहा, "इस अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण अवसाद के अनुकूल जीन की अभिव्यक्ति को बदलकर मस्तिष्क की महत्वपूर्ण संज्ञानात्मक और भावनात्मक सर्किटरी को प्रभावित कर रहा है." 

उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में ज्यादा लोग डिप्रेशन के शिकार 

चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय के सहयोग से शोध का नेतृत्व करने वाले टैन ने कहा, "उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में ज्यादा लोग उदास हो जाएंगे क्योंकि उनके जीन और उनके वातावरण में प्रदूषण डिप्रेशन के प्रभावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं." शोधकर्ताओं ने नोट किया कि सभी लोगों में अवसाद विकसित होने की कुछ प्रवृत्ति होती है, लेकिन कुछ लोगों के जीन में इसका ज्यादा जोखिम होता है. उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति का मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति में अवसाद जरूर होगा लेकिन यह बाकी आबादी से ज्यादा उस व्यक्ति में जोखिम को बढ़ाता है. 

जीन और पॉल्युशन एक साथ अवसाद के जोखिम को बढ़ाते 

अध्ययन से पता चलता है कि अवसाद उन स्वस्थ मनुष्यों में विकसित होने की अधिक संभावना है जिनमें ये  जीन हैं और जो हवा में उच्च स्तर के कण-पदार्थ वाले वातावरण में रहते हैं. LIBD में पोस्टडॉक्टरल फेलो और के प्रमुख लेखक ज़ी ली ने कहा, "हमारे परिणाम वायु प्रदूषण के बीच एक सीधा, न्यूरोलॉजिकल लिंक दिखाते हैं और मस्तिष्क भावनात्मक और संज्ञानात्मक जानकारी को संसाधित करने और अवसाद के जोखिम में कैसे काम करता है." जोखिम वाले जीन और पॉल्युशन एक साथ अवसाद के जोखिम को किसी भी कारक से ज्यादा बढ़ा देते हैं. 

352 स्वस्थ वयस्कों पर किया गया अध्ययन

ये अध्ययन बीजिंग में रहने वाले 352 स्वस्थ वयस्कों पर किया गया. प्रतिभागियों ने पहले जीनोटाइपिंग की, जिससे शोधकर्ताओं ने प्रत्येक व्यक्ति के पॉलीजेनिक डिप्रेशन रिस्क स्कोर की गणना की. ये गणितीय कैलकुलेशन होती है कि एक व्यक्ति अकेले जीन के आधार पर अवसाद से पीड़ित होगा. फिर उन्होंने छह महीने की अवधि में प्रत्येक प्रतिभागी के वायु प्रदूषण के सापेक्ष जोखिम के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र की. टीम ने पाया कि जिन लोगों में अवसाद के लिए उच्च आनुवंशिक जोखिम  था और जो हाई पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में थे, उनके मस्तिष्क में देखा गया कि कैसे अवसाद के लिए जीन एक साथ काम करते हैं. 

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