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Rahul Bajaj Death: 50 सालों तक संभाली बजाज ग्रुप की बागडोर, गैरेज में बना था कंपनी का पहला स्कूटर

राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी. उनकी लीडरशिप में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह दोपहिया वाहन बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई. 

बिजनेसमैन राहुल बजाज का निधन (फाइल फोटो) बिजनेसमैन राहुल बजाज का निधन (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी.

  • राहुल के पिता कमलनयन और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुछ समय तक एक ही स्कूल में पढ़े थे.

बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. वो पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे. राहुल बजाज 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे. राहुल बजाज ने साल 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी. सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था.  

1965 में संभाली थी बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी

राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कोलकाता में हुआ था. राहुल बजाज मारवाड़ी बिजनेसमैन परिवार से थे. उनके पिता कमलनयन बजाज और मां का नाम सावित्री बजाज था. बजाज और नेहरू परिवार में तीन जेनरेशन से दोस्ती चली आ रही थी. राहुल के पिता कमलनयन और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुछ समय तक एक ही स्कूल में पढ़े थे. राहुल बजाज ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की. उन्होंने मुंबई की लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी हासिल की थी. देश के सफलतम उद्योगपतियों में शामिल राहुल बजाज ने दुपहिया और तिपहिया वाहनों के क्षेत्र में बजाज ऑटो को खड़ा किया और उसे टॉप तक पहुंचाया. राहुल बजाज ने 1965 में बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी. उनकी लीडरशिप में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और यह दोपहिया वाहन बेचने वाली देश की अग्रणी कंपनी बन गई. 

पहला बजाज वेस्पा स्कूटर गुरुग्राम के एक गैरेज में बना था

राहुल के दादा जमनालाल बजाज (1889-1942) अपने समय के मशहूर बिजनेसमैन थे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था. 1926 में जमनालाल बजाज ने ट्रेडिंग करने के लिए उन्हें गोद लेनेवाले सेठ बछराज के नाम से एक फर्म 'बछराज एंड कंपनी' बनाई.  1942 में उनके निधन के बाद उनके दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की. 1948 में  बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ने असेम्बल्ड टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर लाॉन्च किए थे. पहला बजाज स्कूटर गुरुग्राम के एक गैरेज शेड में बना था. इसके बाद बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ने कुर्ला में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया, जिसे बाद में आकुरडी शिफ्ट किया गया. यहां फिरोदियाज की भागीदारी में बजाज फैमिली ने टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर बनाने के लिए अलग-अलग प्लांट्स लगाए. 1960 में कंपनी का नामकरण 'बजाज ऑटो' किया गया. 

 बजाज स्कूटर खरीदने के लिए करना पड़ता था सालों इंतजार 

बजाज का स्कूटर उन दिनों इतना लोकप्रिय हो गया कि 70 और 80 के दशक में बजाज स्कूटर खरीदने के लिए लोगों को 15 से 20 साल इंतजार करना पड़ता था. कई लोगों ने तो उन दिनों बजाज स्कूटर के बुकिंग नंबर बेचकर लाखों रुपए कमाए. राहुल बजाज और फिरोदिया परिवार में बिजनेस को लेकर विवाद हुआ. सितंबर 1968 में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फिरोदियाज को बजाज टेंपो मिला और राहुल बजाज ऑटो के चेयरमेन और मैनेजिंग डायरेक्टर बने. 

2001 में मिला पद्म भूषण

राहुल बजाज ने 2005 में कंपनी में अपनी जिम्मेदारियां बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज को दे दी थी. साल 2008 में उन्होंने बजाज ग्रुप का बंटवारा बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में कर दिया था. 2021 में उन्होंने उम्र का हवाला देते हुए बजाज ऑटो के गैर-कार्यकारी चेयरमैन पद से भी इस्तीफा दे दिया था. राहुल बजाज साल 2006 से लेकर 2010 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे. उद्योग जगत में उनके योगदान के लिए साल 2001 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.