
भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने करीब 7400 करोड़ की अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डाऊ केमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा. कोर्ट ने कहा कि लंबित दावों को पूरा करने के लिए आरबीआई के पास पड़े 50 करोड़ रुपए की रकम का इस्तेमाल किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते हैं तो पेंडोरा बॉक्स खुल जाएगा.
आपको बता दें कि साल 1984 में 2 दिसंबर की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसमें 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद साल 1989 में यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 715 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था. साल 1992 में पीड़ितों में इस रकम को बांट दिया गया. केंद्र सरकार ने मृतकों के परिवार को 1-3 लाख रुपए तक के मुआवजे का दिशा-निर्देश दिया. लेकिन साल 2010 में केंद्र सरकार ने मुआवजे की रकम बढ़ाने के लिए क्यूरेटिव याचिका दायर की. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है.
2010 में दायर की गई थी क्यूरेटिव याचिका-
3 दिसंबर 2010 को भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए मुआवजे की रकम बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी. केंद्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7844 करोड़ रुपए की मांग वाली याचिका दायर की थी.
अतिरिक्त मुआवजा मामले में कब क्या हुआ-
भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे के लिए क्यूरेटिव याचिका दायर की गई. आपको बताते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ.
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