देश में कोयला संकट गहराता जा रहा है. कई राज्यों से मिली कोयला संकट की शिकायतों के बाद गृहमंत्री अमित शाह एक्टिव मोड में आ गए. सोमवार को उन्होंने कोयला संकट पर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई. बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ कोयला मंत्रालय के बड़े अफसर भी शामिल हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक बैठक में वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ-साथ राज्य की ओर से संचालित ऊर्जा समूह एनटीपीसी लिमिटेड के अधिकारी भी शामिल हुए. अधिकारियों से कोयला संकट पर सवाल-जवाब भी किया गया. कोयला संकट पर केंद्र क्या एक्शन प्लान अपना रहा है, इस पर जानकारी सामने नहीं आई है.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, देश थर्मल प्लांटों में कोयले के भंडार की अभूतपूर्व कमी का सामना कर रहा है, जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है. 5 अक्टूबर तक बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 थर्मल प्लांट्स में से 106 या लगभग 80 प्रतिशत फीसदी प्लांट क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में है. मतलब साफ है कि उनके पास महज 6 से 7 दिनों तक ही प्लांट को रन कराने भर का कोयला बचा है.
कई राज्य कर रहे हैं बिजली संकट का सामना
पंजाब में 3 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो गए हैं. केरल में 4. महाराष्ट्र में 13. वजह सिर्फ एक ही है कि कोयला ही नहीं बचा है. संभावित बिजली संकट के डर से, कर्नाटक और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से अपने राज्यों में कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया था. महाराष्ट्र के ऊर्जा विभाग ने नागरिकों से बिजली बचाने का आग्रह किया था और केरल सरकार ने चेतावनी दी थी कि उन्हें लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह कर रहे हैं जिससे कोयले और गैस को बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों को चलाया जा सके. अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को भी बिजली संकट पर काम करने की मांग उठाई है.
ऊर्जा संकट पर क्या है केंद्र सरकार की सफाई?
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने रविवार को कहा था कि दिल्ली में बिजली की कोई कमी नहीं है और आश्वासन दिया था कि आगे भी कोयले की आपूर्ति बनी रहेगी. आरके सिंह ने कहा था कि देश प्रतिदिन कोयले की औसत आवश्यकता से चार दिन आगे है और इस मुद्दे पर अनावश्यक दहशत पैदा की जा रही है.
कोयला संकट पर राज्य जहां चिंतित हैं, वहीं केंद्र का मानना है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है. कोयले की कमी और भारत में संभावित बिजली संकट के संबंध में लगातार अनिश्चितता बढ़ती जा रही है.