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केरल में फुली वैक्सीनेटेड लोग हो रहे संक्रमण का शिकार, मगर फिर भी कम है कोरोना का खतरा

आंकड़ों के अनुसार पिछले दो हफ्तों में डेली कोविड केसों में केरल में पूरी तरह से टीकाकरण किए गए लोगों का हिस्सा बढ़ा है, लेकिन केवल कुछ मामलों में ही ऑक्सीजन बेड या आईसीयू की जरूरत पड़ी क्योंकि टीकाकरण से लक्षणों की गंभीरता कम हो जाती है.

हाइलाइट्स
  • टीकाकरण ने लोगों में महामारी का डर कम कर दिया है.

  • केरल में पूरी तरह से टीकाकरण किए गए लोगों में बढ़ा संक्रमण.

केरल में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. देश भर से सामने आने वाले संक्रमण के कुल मामलों में से 60 प्रतिशत मामले सिर्फ केरल से दर्ज किए जा रहे हैं. हैरानी कि बात ये है कि केरल में पिछले कुछ दिनों से सामने आ रहे मामलों मे फुली वैक्सीनेटेड लोगों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. हालांकि इन मामलों में केवल कुछ ही लोगों को ऑक्सीजन बेड या आईसीयू की जरूरत पड़ी, क्योंकि वैक्सीनेटेड लोगों में संक्रमण की तीव्रता नॉन-वैक्सीनेटेड लोगों की तुलना में बहुत कम है. फुली वैक्सीनेटेड लोगों में मध्यम तीव्रता का संक्रमण दर्ज किया गया क्योंकि टीकाकरण से लक्षणों की गंभीरता कम हो जाती है. 

राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो हफ्तों में डेली कोविड केसों में केरल में पूरी तरह से टीकाकरण किए गए लोगों का हिस्सा बढ़ा है, लेकिन केवल कुछ मामलों में ऑक्सीजन बेड या आईसीयू की आवश्यकता पड़ी क्योंकि टीकाकरण से लक्षणों की गंभीरता कम हो जाती है. आंकड़ों से पता चलता है कि केरल से पिछले 15 दिनों में (19 अक्टूबर से 2 नवंबर तक) 1,19,401 सकारात्मक मामले सामने आए हैं.  इनमें से 1,00,593 लोग वैक्सीनेशन के लिए एलिजिबल हैं. हालांकि इनमें से केवल 67,980 (57.9 प्रतिशत) लोगों ने ही वैक्सीन की दोनों या फिर सिंगल डोज ली है. जबकि 40,584 (कुल गिनती का 34.9 प्रतिशत) लोग फुली वैक्सीनेटेड हैं और 27,396 ने (कुल गिनती का 22.9 प्रतिशत) अभी सिर्फ एक डोज ली है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कोरोना वैक्सीनेशन संक्रमण की गंभीरता को कम करने में मददगार साबित हो सकती है.

फुली वैक्सीनेटेड लोगों में कम है संक्रमण की तीव्रता 

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन का अंदाजा लगाया जा चुका था. उन्होंने कहा  कि यह भी साबित हुआ कि टीकाकरण संक्रमण की गंभीरता को रोक सकता है.  मंत्री ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में 77,516 सक्रिय मामलों में से केवल 2 प्रतिशत को ही ऑक्सीजन बेड की आवश्यकता है और लगभग 1.5 प्रतिशत को आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत महसूस हुई. राज्य में अब तक 95 प्रतिशत पात्र आबादी को पहली डोज दी जा चुकी है, जबकि उनमें से 52 प्रतिशत को दोनों खुराकें मिली हैं. वर्तमान में, भारत में दैनिक मामलों की संख्या का लगभग 50 प्रतिशत केरल से बताया जा रहा है, जो देश में सक्रिय मामलों का 45 प्रतिशत है. 

अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया था, इन दिनों नियमित रूप से संक्रमित होने वालों में हैं.  इसके अलावा टीकाकरण ने लोगों में महामारी का डर कम कर दिया है, जिससे कई लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल को मानना छोड़ दिया है.  आंकड़ों कि बात की  जाए तो केरल से पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस संक्रमण के 7,545 नए मामले सामने आए हैं. जबकि इस दौरान 136 संक्रमितों की मौत हुई है.

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