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कोरोना से जंग में बड़ा झटका: दुनिया की सबसे असरदार वैक्सीन का असर 41 फीसदी घटा

फाइजर की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना से 88 फीसदी बचाव होता था जो छह महीने बाद 47 फीसदी रह गया है. यानी कोरोना के खिलाफ वैक्सीन के असर में 41 फीसदी की कमी आयी है.

फाइजर वैक्सीन के असर में 6 महीनें में आयी 41 फीसदी कमी फाइजर वैक्सीन के असर में 6 महीनें में आयी 41 फीसदी कमी
हाइलाइट्स
  • फाइजर वैक्सीन के असर में 6 महीनें में आयी 41 फीसदी कमी

  • डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 53 फीसदी प्रभावी रह गई

हाल ही में सामने आए एक कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता पर हुई स्टडी के रिजल्ट्स चौंकाने वाले तो हैं ही, साथ ही इस स्टडी ने दुनिया भर की चिंताएं बढ़ा दी है. दरअसल, एक शोध के नतीजों से ये सामने आया है कि कोरोना के खिलाफ दुनिया की सबसे असरदार वैक्सीन के असर में कमी आई है, और ये कमीं कोई छोटी मोटी नहीं बल्कि 41 फीसदी की कमी देखने को मिली है. 
 

वैक्सीन के असर में 6 महीनें में आयी 41 फीसदी कमी

लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक कोरोना वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer BioNtech) के कोरोना के खिलाफ असर में छह महीनें में काफी कमी आई है. रिपोर्ट के अनुसार फाइजर की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना से 88 फीसदी बचाव होता था जो छह महीने बाद 47 फीसदी रह गया है. यानी कोरोना के खिलाफ वैक्सीन के असर में 41 फीसदी की कमी आयी है. हालांकि शोध में ये भी सामने आया है कि मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण से होने वाली मौत को रोकने में फाइजर टीके की प्रभावशीलता छह महीने तक 90% के उच्च स्तर पर रही.


डेल्टा के खिलाफ 53  प्रभावशीलता

स्टडी में बताया गया है कि फाइजर का टीका लगवाने के एक महीने बाद डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह 93 फीसदी प्रभावी थी, लेकिन चार महीने बाद यह घटकर 53 फीसदी रह गई. जबकि अन्य वेरिएंट के मुकाबले प्रभावशीलता 97 फीसदी से घटकर 67 फीसदी हो गई.