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जब स्वर कोकिला के स्वर रोकने की हुई थी साजिश, जानें क्या है पूरी घटना

1962 की शुरुआत में, लता मंगेशकर गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं. डॉक्टरों को बुलाया गया और मेडिकल जांच में पता चला कि उसे धीमा जहर दिया गया था. वो तीन दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रहीं. जिस कारण वो शरीर से काफी कमजोर हो गई थीं.

जब स्वर कोकिला के स्वर रोकने की हुई थी साजिश, जानें क्या है पूरी घटना जब स्वर कोकिला के स्वर रोकने की हुई थी साजिश, जानें क्या है पूरी घटना
हाइलाइट्स
  • 33 साल की उम्र में दिया गया था जहर

  • पद्मा सचदेव कि किताब में है जिक्र

  • मजरूह सुल्तानपुरी चखते थे लता का खाना

स्वर कोकिला लता मंगेशकर वो शख्सियत थीं जिनसे हर कोई प्यार करता था. भारत हो या पाकिस्तान हर कोई उनकी आवाज का कायल था.  ताउम्र लता दीदी किसी भी तरह की कॉन्ट्रोवर्सी से दूर ही रहीं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब किसी ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी. मशहूर लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी एक किताब में इस बात खुलासा किया था. दरअसल पद्मा लता मंगेशकर के बहुत करीब थीं.

33 साल की उम्र में दिया गया था जहर
बात 1963 की है, जिस वक्त लता जी 33 साल की थीं. उस वक्त अचानक लता दीदी के पेट में दर्द होने लगा. धीरे-धीरे दर्द इतना तेज हो गया, जिसे बर्दाश्त करना उनके बस में ना रहा. घर वाले और करीबी फौरन उन्हें अस्पताल ले गए. अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि लता को कोई स्लो प्वॉइजन दिया जा रहा था. जिस कारण उनके पेट में दर्द हो रहा था. इस जहर की वजह से उनका शरीर काफी कमजोर भी हो गया था. 

पद्मा सचदेव कि किताब में है जिक्र
अपनी किताब में पद्मा ने लिखा है कि, "लता जी ने मुझे यह बताया. वह 1963 में 33 वर्ष की थीं. उनके पेट में एक सुबह तेज दर्द हुआ, और उन्होंने उल्टी होने लगी. उल्टी करते वक्त उनके मुंह से कुछ हरा तरल पदार्थ निकला. दर्द के कारण, लता अपने पैर तक नहीं हिला पा रही थीं, और उनके पूरे शरीर में दर्द हो रहा था. तीन दिनों तक वो जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रहीं. लेकिन चौथे दिन से उनकी सेहत में सुधार आने लगा. दस दिनों के बाद वो काफी हद तक ठीक हो गई थीं. तब डॉक्टरों ने बताया की उन्हें जहर दिया जा रहा था. 

क्या उनके कुक ने की थी मारने की साजिश
पद्मा की किताब में आगे लिखा है कि, "जहर देने का खुलासा होने के बाद अचानक लता जी का रसोईया गायब हो गया, यहां तक की उसने अपनी पगार तक नहीं ली." जिस कारण उनको जहर देने का शक उस  रसोईये पर ही जाता है. हालांकि ऐसा क्यों हुआ और किसने किया इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं है.

मजरूह सुल्तानपुरी चखते थे लता का खाना
इस हादसे के बाद से बॉलीवुड के मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी रोजाना शाम 6 बजे लता जी से मिलने उनके घर पहुंचते थे. मजरूह पहले खाने का स्वाद चखते थे और फिर लता को खाने देते थे. लता जी के उस कठिन समय में मजरूह ने उनका काफी साथ दिया. वह लता को अच्छे मूड में रखने के लिए कविताएं और कहानियां सुनाते थे. पद्मा की किताब के अलावा लंदन के फिल्म लेखक नसरीन मुन्नी कबीर के साथ एक इंटरव्यू में, लता ने इस घटना के बारे में बताया था. जिसकी पुष्टि लता की छोटी बहन उषा मंगेशकर से हुई थी.