इस वीकेंड पर छुट्टियां बिताने के लिए अगर आप कोई बेहतर जगह तलाश रहे है तो राजस्थान के एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू चले आएं .राजस्थान की धोरो वाली धरती की इन वादियों में आपको न सिर्फ राहत देने वाला तापमान मिलेगा बल्कि राजस्थानी संस्कृति से जुड़े गीत –संगीत और नृत्य लुत्फ उठाने का मौका भी मिल जाएगा.
राजस्थान के माउंट आबू में शुक्रवार से 3 दिवसीय ग्रीष्म महोत्सव का आगाज हो गया है. 12 मई से शुरू हुए इस तीन दिवसीय ग्रीष्म महोत्सव का समापन 14 मई को किया जाएगा. पर्यटकों से गुलजार हिल स्टेशन की विश्व प्रसिद्ध नक्की झील पर गेर नृत्य आयोजन के साथ ही महोत्सव का आगाज किया गया है. इसके बाद कच्छी घोड़ी, घूमर नृत्यु, मश्क वादन के साथ देर शाम मांगनियार लोक कलाकारों ने सुरीली प्रस्तुतियों से पर्यटकों को मुग्ध कर दिया गया.
माउंट आबू के पर्यटन अधिकारी भेरूसिंह चौहान ने बताया की हर साल की तरह ही इस बार भी तीन दिवसीय ग्रीष्म महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन का उदेश्य पर्यटन को देने के साथ ही राजस्थानी संस्क्रती का बढ़ावा देना होता है.
पर्यटन अधिकारी भेरूसिंह ने बताया की प्रदेश के अन्य स्थानों की तुलना में माउंट आबू का तामपान 10 से 12 डिग्री तक कम रहता है. ऐसे में इस तपती गर्मी में यहां की वादियां पर्यटकों के लिए सबसे मुफीद जगह है.
आयोजन के पहले दिन नक्की झील पर कच्छी घोड़ी नृत्य, राजस्थानी नृत्य गीत, मागनियार कलाकरों द्वारा लोक संगीत, घूमर नृत्य, मश्क वादन की प्रस्तुतियां दी जाएंगी. आयोजन के दूसरे दिन आदिवासी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, अलगोजा गीत, सफेद अंगी गेर नृत्य,कठपुतली नृत्य, मैजिक शो, चकरी नृत्य,राजस्थानी नृत्य होगा. आयोजन के तीसरे दिन वॉक फॉर नक्की राउंड, सांस्कृतिक प्रस्तुति आदिवासी नृत्य, राजस्थानी लोक गीत, बहरूपिया कला प्रदर्शनी, लोक गीत, मैजिक शो, लंगा लोक गीत, घुटना चकरी और चकरी नृत्य की प्रस्तुतियों के साथ ही आयोजन का समापन हो जाएगा.
राजस्थान की मरुस्थली जमीन पर 1720 मीटर ऊंचाई पर बसा पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू अपने पौराणिक ऐतिहासिक महत्व के साथ योग ध्यान और प्रक्रतिक नजारों के लिए जाना जाता है. जब प्रदेश की अन्य जगहों पर तापमान आग उगल रहा होता है तब यहां का तापमान आपको राहत देता हुआ महसूस होगा.
माउंट आबू में विश्व भर में प्रसिद्ध देलवाडा जैन मंदिर है तो अचलगढ़ में स्थापित अचलेश्वर महादेव का मंदिर है, जिसे शिव के अंगूठे की पूजा के लिया जाना जाता है. अरावली पर्वत की सबसे ऊंची चोटी जिसे गुरु शिखर के नाम से जाना जाता है, यहां भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर स्थापित है.
नेचर लवर यहां की टॉड रॉक, सनसेट पॉइंट, टाइगर पथ जैसी जगहों पर घूम सकते हैं और अपने वीकेंड को शानदार बना सकते हैं.
(राहुल त्रिपाठी की रिपोर्ट)