1. गोदान
गोदान मुंशी प्रेमचंद का प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है। यह पहली बार 1936 में प्रकाशित हुआ था और इसे आधुनिक भारतीय साहित्य के सबसे महान हिंदी उपन्यासों में से एक माना जाता है. गोदान उनके समय में प्रचलित वर्ग संघर्ष और ब्रिटिश काल के दौरान गरीब गांवों की दयनीय स्थिति को सामने लाता है. यह उपन्यास प्रेमचंद का अंतिम पूर्ण उपन्यास था. इस उपन्यास को फिल्म और टेलीविजन के लिए भी रूपांतरित किया गया था.
2. प्रतिज्ञा
ऐसा कहा जाता है कि प्रेमचंद को एक संतुलित और यथार्थवादी स्तर और अपने पाठकों को बांधे रखने की क्षमता 'प्रतिज्ञा' नामक उपन्यास से मिली, जो विधवा पुनर्विवाह के मुद्दे से संबंधित है. 1927 में यह उपन्यास प्रकाशित हुआ. प्रतिज्ञा एक युवा आदर्शवादी की कहानी है जो सामाजिक उत्थान और प्रगति के काम की जिम्मेदारी लेता है. यह उपन्यास उस युग के दौरान समाज और उस समय प्रचलित सामाजिक बुराइयों को दूर करके एक नए और बेहतर देश में विश्वास करने वाले लोगों के सामने आने वाली परेशानियों की एक झलक हमें दिखाता है.
3. निर्मला
1925 और 1926 के बीच पहली बार प्रकाशित एक मार्मिक उपन्यास, निर्मला का सुधारवादी एजेंडा अपने विषय में पारदर्शी है जो दहेज के सवाल और इसके परिणामस्वरूप बेमेल विवाह और संबंधित मुद्दों से संबंधित है. यह कहानी 1920 के दशक के भारतीय समाज में अत्यंत आवश्यक सामाजिक सुधार के युग को उजागर करने के लिए कल्पना का उपयोग करती है. यह उपन्यास दो व्यक्तियों के बीच उम्र में बड़ा अंतर होने पर विवाह के तत्कालीन आम मुद्दे पर बात करता है.
4. गबन
गबन 1931 में सरस्वती प्रेस द्वारा प्रकाशित हुआ था. इस उपन्यास के माध्यम से, प्रेमचंद ने "ब्रिटिश भारत के युग में निम्न मध्यम वर्ग के भारतीय युवाओं के बीच गिरते नैतिक मूल्यों" को दिखाने की कोशिश की है, और एक व्यक्ति एलिट दिखने और बनने के लिए कितनानीचे गिर सकता है, और एक झूठी छवि बनाए रख सकता है. गबन प्रेमचंद का एक कल्ट क्लासिक व्यंग्य है. यह उपन्यास उस समय की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और उत्तर भारतीय समाज की साधारण जीवन स्थितियों का लेखा-जोखा है.
5. रंगभूमि
प्रेमचंद का यह उपन्यास 1924 में प्रकाशित हुआ था. औपनिवेशिक भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित यह उपन्यास एक अंधे भिखारी सूरदास की अपनी पैतृक भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ गंभीर कहानी प्रस्तुत करता है. श्रमिक वर्गों के उत्पीड़न का विषय प्रेमचंद की अन्य रचनाओं की तरह विशिष्ट है. प्रेमचंद की रचनाओं में सूरदास सबसे महत्वपूर्ण गांधीवादी प्रभाव वाला पात्र है.
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