होली रंगों का त्योहार है. इस बार 14 मार्च को होली मनाई जाएगी. इसके लिए वन विभाग ने पहल करते हुए हर्बल गुलाल बनाना शुरू कर दिया है. यह गुलाल फूल-पत्ती और आटे से बनाया जा रहा है. यह 100 प्रतिशत ईको फ्रेंडली है, इसलिए स्किन के लिए यह पूरी तरह सेफ है. होली के मौके पर वैसे तो बाजार में कई तरह के रंग गुलाल मिलते हैं. लेकिन राजस्थान में वन विभाग द्वारा तैयार की जाने वाली हर्बल गुलाल की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है. यह गुलाल पूरी तरह से नेचुरल रहती है. विशेष तरह के फूल व पत्तियों से इस गुलाल को तैयार किया जाता है. इसमें किसी भी तरह का रंग व केमिकल नहीं डालता है. गुलाल से स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. इसलिए हर्बल गुलाल की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है.
बाजार पर होली का रंग चढ़ने लगा है, तरह-तरह के रंग व पिचकरिया बाजार में मिलने लगे हैं. दुकान सज चुकी हैं. खरीददार भी बच्चों के साथ खरीदारी करने के लिए बाजार में पहुंच रहे हैं. इन सब के बीच राजस्थान में वन विभाग की तरफ से हर्बल गुलाल तैयार की गई है. इस गुलाल की डिमांड अन्य बाजार में मिलने वाली गुलाल की तुलना में ज्यादा है. क्योंकि यह गुलाल नेचुरल फूलों से तैयार की जाती है.
पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में पनाश के फूल पेड़ों से गिरते हैं. उन फूलों को इकट्ठा करके उनसे गुलाल तैयार होती है. इसके अलावा पेड़ों की पत्तियों से भी गुलाल तैयार की जाती है. वन विभाग पांच से छह रंगों में गुलाल तैयार करता है. इसमें ऑरेंज, हरा, पीला और केसरिया रंग शामिल है. हरे रंग की गुलाल नीम की पत्तियों से तैयार की जाती है. जबकि अन्य रंग की गुलाल अलग-अलग फूलों से तैयार होती हैं.
लवर में आसपास क्षेत्र में क्या ऐसी प्रजातियों के पेड़ हैं. जिनसे सर्दियों के मौसम में रंग-बिरंगे फूल पेड़ से गिरते हैं. इन फूलों को वनकर्मी इकट्ठा करते हैं. सबसे पहले इन फूलों की पत्तियों को सुखाया जाता है. उसके बाद इनको पानी में उबालकर इनका बारीक पाउडर बनाया जाता है और उस पाउडर से गुलाल तैयार होती है. इसके अलावा नीम की पत्तियों से भी हरे रंग की गुलाल तैयार होती है. इस गुलाल को लोग पसंद करते हैं.
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गांव की महिला सहायता समूह की मदद से गुलाल तैयार की जाती है. इसका फायदा वन विभाग के साथ महिलाओं को भी मिलता है. हाथों से सालों पुरानी पद्धति से इस गुलाल को तैयार किया जाता है. शहर में जगह-जगह काउंटर लगाकर गुलाल बेची जा रही है. वन विभाग के काउंटर पर 50 रुपए का एक पैकेट मिल रहा है. इसमें 250 ग्राम गुलाल है.
हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट