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Indian Monuments: रानी की वाव से लेकर दक्षिणेश्वर काली मंदिर तक, महिलाओं ने बनवाए हैं भारत के ये मशहूर स्मारक

beghum
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भारत में जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें, स्मारक या अभिलेख हैं, ज्यादातर सभी भारतीय राजाओं और सम्राटों ने बनवाए हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं उन स्मारकों के बारे में जिन्हें भारतीय महिलाओं ने बनवाया. इतिहास में भारतीय रानियों और बेगमों के योगदान को कोई नकार नहीं सकता है. लेकिन उनके बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती. पर आपको जानकर हैरानी होगी कि गुजरात में एक बावड़ी से लेकर कर्नाटक के मशहूर मंदिर तक, देश में कई वास्तुशिल्प चमत्कार हैं जिनकी नींव महिलाओं ने रखी. (Photo: Unsplash)
 

 

Taj ul masjid
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ताज-उल-मस्जिद, भोपाल, मध्य प्रदेश
भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, ताज-उल-मस्जिद (या "मस्जिदों के बीच ताज"), भोपाल की बेगमों द्वारा निर्मित भव्य स्मारकों में से एक है. भोपाल में चार बेगमों का राज रहा और उन्होंने अलग-अलग समय पर 1819 से 1926 तक शासन किया था. उन्हें राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक सुधार में अग्रणी होने के लिए जाना जाता था. बेगम शाहजहां ने अपने शासनकाल के दौरान कई महलों, मंदिरों और मस्जिदों का निर्माण किया और इस मस्जिद के लिए उन्होंने वास्तुकार अल्लाह रक्खा खान को नियुक्त किया. (Photo: Unsplash)

virupaksha
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विरुपाक्ष मंदिर, पट्टाडकल, कर्नाटक
देश के सबसे उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है विरुपाक्ष मंदिर. इस मंदिर को रानी लोकमहादेवी ने बनवाया था. इसका निर्माण 740 ईस्वी के आसपास पूरा हुआ. रानी ने इस पवित्र संरचना का निर्माण पल्लवों के खिलाफ अपने पति विक्रमादित्य द्वितीय की जीत का जश्न मनाने के लिए करवाया था. और मंदिर के निर्माण के लिए कांची की पल्लव राजधानी से मूर्तिकार आए थे. (Photo: Unsplash)

Rani k vav
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रानी की वाव, पाटन, गुजरात
गुजरात के पाटन में सरस्वती नदी के तट पर निर्मित, रानी की वाव का निर्माण 11वीं शताब्दी में रानी उदयमती ने अपने पति, राजा भीमदेव प्रथम के स्मारक के रूप में किया था. इसे पानी में एक भूमिगत मंदिर या उल्टे मंदिर के रूप में डिजाइन किया गया था. यह आश्चर्यजनक बावड़ी मारू-गुर्जरा स्थापत्य शैली के शिल्प कौशल को दर्शाती है. रानी की वाव का फोटो भारतीय करेंसी पर भी है. (Photo: Twitter)

kali mandir
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दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
रानी रश्मोनी सिर्फ रानी नहीं थीं बल्कि एक नेता थीं. एक मछुआरे के परिवार में जन्मी रश्मोनी ने न सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी को मछली पकड़ने पर कर लेने के लिए चुनौती दी बल्कि सती, बहुविवाह और बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष भी किया. दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के बनने के पीछे सबसे बड़ा योगदान रानी रशमोनी का है. (Photo: Unsplash)

Gulmarg
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महारानी शंकर मंदिर, गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर
गुलमर्ग में लाल छत वाले मंदिर का निर्माण 1915 में महाराजा हरि सिंह की पत्नी मोहिनी बाई सिसोदिया ने करवाया था. भगवान शिव के मंदिर को मोहिनेश्वर शिवालय के नाम से भी जाना जाता है. यह बर्फ से ढकी चोटियों के बीच एक पहाड़ी पर खड़ा है, और शहर के सभी कोनों से दिखाई देता है. (Photo: Wikimedia)